सात पुश्तों से कर रहे काम
शिल्पकार अंकित कुमार ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि उनका यह काम सात पुश्तों से चला आ रहा है, जिसे लगभग 100 वर्ष से अधिक हो गया है. शिल्पकारी का यह गुण अंकित कुमार की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित हो जाता है, जिससे उनका यह व्यवसाय पारिवारिक व्यवसाय के रूप में बनकर उभरा है.
बनाते हैं ये उत्पाद
अंकित कुमार ने बताया कि वे पढ़ाई के नाम पर शून्य हैं लेकिन दिमाग और हाथों की कला को इस तरह गढ़ा है कि मूर्तियां और घरेलू उपयोग में शामिल होने वाले पत्थर के उत्पाद बेहतरीन तरीके से बना लेते हैं. इन उत्पादों में नक्काशीदार हनुमान और शंकर जी समेत अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां, घर में उपयोग किए जाने वाले सिलबट्टे, चकरी, जात आदि उत्पादों को तैयार कर लेते हैं. एक मूर्ति की कीमत ₹5000 से भी अधिक है. वहीं अगर संगमरमर की मूर्ति के दाम की बात की जाए तो वह ₹21000 तक है.
व्यापार में है काफी चुनौती
शिल्पकारों के लिए उनके व्यापार में काफी चुनौतियां हैं. अंकित कुमार ने बताया कि उनके इस व्यापार में सबसे बड़ी समस्या उत्पादों का ना बिकना है. वे कहते हैं कि हमारा यह व्यवसाय साल भर चलने वाला है. जो किसी भी प्रकार के त्योहार से मुक्त है लेकिन पत्थर के उत्पादों के लगातार ना उपयोग होने के कारण उनके इस व्यापार को काफी चुनौती मिल रही है. इसके अलावा सरकार की तरफ से प्रोत्साहन न मिलने के कारण भी व्यापार में काफी संकट का सामना करना पड़ता है.
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