Hc Refuses To Quash Case Against Du Assistant Professor – Amar Ujala Hindi News Live
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प्रतीकात्मक तस्वीर – फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज के एक सहायक प्रोफेसर डॉ. रतन लाल के खिलाफ दायर आपराधिक मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया। उन पर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से पाए गए शिव लिंग’’ के बारे में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर किए गए एक विवादास्पद पोस्ट करने का आरोप है।
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न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने जोर देकर कहा कि प्रोफेसर द्वारा जानबूझकर की गई टिप्पणी भड़काऊ प्रतीत होती है। इसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना और सार्वजनिक सद्भाव को बिगाड़ना है। इस न्यायालय का मानना है कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता ने समाज के सौहार्द में व्यवधान उत्पन्न किया है और न्यायालय ने यह भी पाया है कि उक्त ट्वीट/पोस्ट समाज के एक बड़े वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया था।
अदालत ने अपने 26 पृष्ठों के फैसले में आगे कहा, केवल यह कहना कि इससे समाज में कोई अशांति या वैमनस्य नहीं हुआ, आईपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता। यह इस आधार पर है कि समाज में अशांति न होने मात्र से याचिकाकर्ता के कृत्य की आपराधिकता समाप्त नहीं हो जाती। प्रोफेसर, शिक्षक या बुद्धिजीवी होने के नाते किसी भी व्यक्ति को इस तरह की टिप्पणी, ट्वीट या पोस्ट करने का अधिकार नहीं है क्योंकि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है।