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कोटपूतली के किरतपुरा क्षेत्र में 3 साल की बच्ची चेतना खेलते समय सोमवार (23 दिसंबर) को 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। बच्ची 150 फीट की गहराई में 18 घंटे से फंसी है। हादसा सोमवार दोपहर करीब 1.50 मिनट पर बड़ियाली की ढाणी में हुआ। सोमवार देर रात बच्चे को

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अब बच्ची के कपड़ों में हुक फंसाकर उसे बाहर खींचने की कोशिश की जाएगा। हालांकि, इसमें बच्ची को चोट लगने की भी आशंका है। इसलिए प्रशासन ने परिवार से परमिशन मांगी है। वहीं, मंगलवार सुबह ASP वैभव शर्मा ने बताया कि बच्ची का गर्दन से नीचे का हिस्सा मिट्‌टी में धंसा है। कम स्पेस के कारण परेशानी आ रही है।

चेतना तक बोरवेल में पाइप के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है। कैमरे में उसका मूवमेंट नजर आ रहा है। उसके रोने की आवाज भी रिकॉर्ड हुई है। बोरवेल में जगह कम होने की वजह से बच्ची को कुछ भी खाने-पीने के लिए नहीं दिया जा सका है।

सबसे पहले जानिए- कहां हुआ हादसा

बोरवेल में उतारे गए कैमरे में बच्ची का मूवमेंट नजर आया है।

पहला प्रयास हुआ फेल, आज दूसरी कोशिश

सोमवार रात करीब 1 बजे रिंग रॉड और अंब्रेला टेक्नीक से बच्ची को निकालने का पहला प्रयास असफल रहा। एनडीआरएफ के सीनियर कमांडेंट योगेश मीणा ने बताया- जो रिंग बच्ची को फंसाने के लिए बोरवेल में फंसाने के लिए अंदर डाला था। वो बच्ची के कपड़ों मे उलझ गया था। उस रिंग से बच्ची की बॉडी पर पकड़ नहीं बन पाई।

ऐसे में आधी दूरी में पकड़ छूटने के डर से रिंग को दोबारा बाहर निकाला गया है। अब रिंग को सही कर दोबारा डालेंगे। मंगलवार सुबह प्रशासनिक अधिकारियों ने बच्ची के दादा व परिवार के अन्य लोगों को रेस्क्यू से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नए प्रयास में बच्ची को चोट लग सकती है तो वे प्रशासन पर आरोप नहीं लगाएंगे।

रेस्कयू ऑपरेशन से जुड़ी PHOTOS…

बच्ची चेतना की मां धोली देवी हादसे के बाद से ही लगातार रो रही हैं। दैनिक भास्कर की टीम जब उनसे बात करने पहुंची तो उन्होंने हाथ जोड़ कर सीएम भजनलाल शर्मा से मार्मिक अपील की। वो बस बार-बार यही कहती रहीं कि सीएम भजनलाल जी मेरी बेटी को बचा लो।

कोटपूतली से मेडिकल टीम ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ मौके पर पहुंची है। बोरवेल में पाइप डालकर बच्ची तक ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है।

देर रात तक NDRF और SDRF की टीम बच्ची के रेस्क्यू में जुटी रहीं।

चेतना के रेस्क्यू के लिए टीमें देसी जुगाड़ भी अपना रही हैं। वहीं, मॉर्डन टेक्नीक के जरिए भी उसे बाहर निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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