आयकर विभाग ने भोपाल में एक कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश बरामद किया था।
आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की बेहिसाबी संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी एंट्री हो गई है। ईडी ने सोमवार को सौरभ और उसके सहयोगी चेतन गौर के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के अंतर्गत प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआ
दूसरी ओर, केंद्रीय राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने भोपाल में मेंडोरी के जंगल में कार से गोल्ड-कैश मिलने के मामले की जांच शुरू कर दी है। इस गोल्ड के विदेश से आयात किए जाने की आशंका के मद्देनजर डीआरआई आयकर विभाग के पैरेलल जांच करेगा। इस संबंध में निदेशालय के अधिकारी एक होटल और स्कूल से जुड़े निवेश की भी जांच कर रहे हैं।
19 दिसंबर को लोकायुक्त और आयकर विभाग के छापों में सौरभ शर्मा के ठिकानों से 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ की नकदी और आभूषण मिले हैं। वहीं, आयकर विभाग को भोपाल के मेंडोरी के जंगल में 19 दिसंबर की देर रात एक कार से 52 किलो सोना मिला। 11 करोड़ रुपए कैश भी बरामद हुए। कार एक मकान के बाहर लावारिस हालत में मिली। सोने की कीमत करीब 40 करोड़ 47 लाख रुपए आंकी गई है। कार का मालिक चेतन सिंह गौर सौरभ का करीबी है।
सौरभ जल्द ही शाहपुरा के बी सेक्टर में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था। चेतन स्कूल की समिति में सचिव है जबकि चेयरपर्सन सौरभ की मां और डायरेक्टर पत्नी हैं।
7 करोड़ के बंगले में रहता है सौरभ जहां सौरभ फिलहाल रह रहा था, अरेरा कॉलोनी स्थित वह बंगला E-7/78 उसने 2015 में सवा दो करोड़ रुपए में खरीदा था। हालांकि, सौरभ इसे अपने बहनोई का बंगला बताता है। बंगले की वर्तमान कीमत लगभग 7 करोड़ रुपए है। सूत्रों के मुताबिक, नौकरी करते समय खरीदा गया ये बंगला सौरभ ने किसी अन्य के नाम से खरीदा था।
लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार को सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर पर छापा मारा था।
दिवाली पर रिश्तेदारों-दोस्तों को LED टीवी बांटी थी लोकायुक्त टीम को जयपुरिया स्कूल की बन रही बिल्डिंग से 40 पेटी पैक एलईडी टीवी मिलीं। सभी 43 इंच की हैं। सूत्रों के अनुसार, सौरभ शर्मा ने दिवाली के दौरान सैकड़ों टीवी अपने संबंधियों को गिफ्ट के तौर पर बांटी थीं। बाकी टीवी उसने स्कूल की इमारत में छिपाकर रखी थीं।
आयकर विभाग की टीम को मेंडोरी के जंगल में इनोवा कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए कैश मिले थे। इस कार का रजिस्ट्रेशन चेतन गौर के नाम पर है।
आरक्षक से बिल्डर बना सौरभ शर्मा परिवहन विभाग में पदस्थ सीनियर अफसर बताते हैं कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में थे। साल 2016 में उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए सौरभ की तरफ से आवेदन दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने स्पेशल नोटशीट लिखी कि उनके यहां कोई पद खाली नहीं है।
अक्टूबर 2016 में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती सौरभ की पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई। मूल रूप से ग्वालियर के साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सौरभ का जीवन कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदल गया। नौकरी के दौरान ही उसका रहन-सहन काफी आलीशान हो गया था, जिससे उसके खिलाफ शिकायतें विभाग और अन्य जगहों पर होने लगीं।
कार्रवाई से बचने के लिए सौरभ ने वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत सेवानिवृति ले ली। इसके बाद उसने भोपाल के नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया।
केंद्रीय मंत्री ने लिखा था मुख्य सचिव को लेटर 2016 में परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के बाद सौरभ करीब एक साल तक ग्वालियर आरटीओ में रहा। इसके बाद अपनी पदस्थापना चेकपोस्ट पर करा ली। यहां वह लगभग तीन साल रहा। इस दौरान चेक पोस्टों में जमकर अवैध वसूली की शिकायतें आ रही थीं। ये तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी तक भी पहुंचीं। गडकरी ने मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को अवैध वसूली के संबंध में पत्र लिखा था।
2019 में सौरभ शर्मा उड़नदस्ता में आ गया। इसके बाद आधे से ज्यादा चौकियों को वही संभालने लगा था। बड़े अधिकारी सौरभ के इशारे पर चेक पोस्ट पर तैनाती देते थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर मध्यप्रदेश के सभी चेक पोस्ट 1 जुलाई 2024 को बंद कर दिए गए थे।
चेतन बोला- मैं वर्कर की हैसियत से काम करता था आयकर विभाग को दिए बयान में चेतन सिंह गौर ने खुद को सौरभ शर्मा का साधारण वर्कर बताया है। चेतन का कहना है- सौरभ जहां कहता था, मैं वहां साइन कर दिया करता था। मेरे दस्तावेज वह अलग-अलग काम बताकर ले लेता था।
चेतन ने यह भी बताया कि वे दोनों पुराने परिचित थे और उसे काम की जरूरत थी। इसी कारण उसने सौरभ से कभी कोई सवाल नहीं किया। चेतन के अनुसार, सौरभ ने इसी भरोसे का फायदा उठाकर उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। चेतन ने कहा- सौरभ ने उसके नाम से कार खरीद ली। चेतन के दस्तावेजों पर पेट्रोल पंप का आवंटन करा लिया। इसके अलावा भी कई संपत्तियां चेतन के नाम से खरीदीं।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष बोले- भोपाल की धरती सोना-चांदी-नकदी उगल रही पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा पर छापे की कार्रवाई को लेकर कहा कि इतना बड़ा भ्रष्टाचार अकेले सौरभ शर्मा के बस की बात नहीं है। इसमें अफसर और भाजपा के नेता भी शामिल हैं। आज प्रदेश भर में भाजपा के भवन हर जिले में बन रहे हैं, नेताओं के अस्पताल बन रहे हैं। यह सब परिवहन घोटाला के रुपए का हिस्सा ही है।
गोविंद सिंह ने कहा- एक पुराना गीत हुआ करता था- मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती। लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पर आज यह गाना सटीक बैठ रहा है, क्योंकि भोपाल की धरती सोना-चांदी-नकदी उगल रही है।
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NGO की जमीन पर स्कूल बना रहा सौरभ शर्मा, फ्रेंचाइजी में सचिव है चेतन
लोकायुक्त और इनकम टैक्स के छापों में आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। सौरभ शर्मा के ठिकानों से 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ के नकदी और आभूषण मिले हैं। ये भी पता चला है कि सौरभ जल्द ही शाहपुरा के बी सेक्टर में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था। चेतन सिंह गौर जयपुरिया स्कूल की समिति में सचिव है। पूरी खबर पढ़ें
सौरभ शर्मा के स्कूल का पदाधिकारी निकला 52 किलो सोने से भरी कार का मालिक
भोपाल में आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर पर लोकायुक्त की छापेमारी में अब तक 7.98 करोड़ रुपए मूल्य का सामान बरामद हुआ है। इसी के साथ, मेंडोरी के जंगल में बरामद 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद के साथ जो कार पकड़ी गई थी, उसका मालिक सौरभ शर्मा का साझेदार है। यह जानकारी लोकायुक्त की जांच में सामने आई है। पूरी खबर पढ़ें
52 किलो सोना, 11 करोड़ कैश का कनेक्शन, कार मालिक चेतन ने खोले राज
भोपाल के मेंडोरी इलाके में गुरुवार रात को जंगल में लावारिस खड़ी कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए कैश मिले थे। इस मामले में आयकर विभाग की जांच अब आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की ओर घूम गई है। इतनी मोटी रकम और गोल्ड मिलने के मामले में एमपी का परिवहन विभाग भी जांच घेरे में आ सकता है। इसके लिए सौरभ शर्मा का मुख्य किरदार बनना तय माना जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें
7 साल में करोड़पति बने कॉन्स्टेबल की इनसाइड स्टोरी, 23 चेकपोस्ट का कैश संभालता था
दैनिक भास्कर ने जब एक मामूली से परिवहन कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के पूरे करियर की परिवहन विभाग के सीनियर अफसरों से बात कर पड़ताल की, तो पता चला कि नौकरी लगने से लेकर उसके इस्तीफा होने तक की पूरी स्टोरी में सरकार की बड़ी कृपा रही है। कहने को वह एक कॉन्स्टेबल था, लेकिन मंत्री और अफसरों का सबसे चहेता था। पूरी खबर पढ़ें
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