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world saree day 2024
– फोटो : Freepik

विस्तार


छह गज से लेकर नौ गज का परिधान साड़ी संस्कृति संग सुंदरता को संजोती है। यह न केवल परंपरा को दिखाती है बल्कि अब यह महिलाओं के लिए फैशन ट्रेंड भी बन गई है। साड़ी पहनने के विभिन्न तरीके महिलाओं को स्टाइलिश बना रहे हैं। इस कारण साड़ियां पुरानी पीढ़ी से लेकर अल्फा जेन पीढ़ी की भी पसंद बनी हुई हैं। साड़ी के इस क्रेज का ही कमाल है कि हर साल 21 दिसंबर को विश्व साड़ी दिवस मनाया जाता है।

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पुराने समय में साड़ी को बांधने के केवल दो से तीन ही तरीके  होते थे लेकिन अब 50 से अधिक तरीकों के साथ इसे बांधा जा सकता है। वर्तमान में धोती स्टाइल, ब्टरफ्लाई, ऑफ शोल्डर स्टाइल, हॉफ साड़ी, साड़ी विद बेल्ट, रफ्ल साड़ी, इंडो वेस्टर्न, फ्यूजन तरीके से साड़ी पहनी जाती है। यह ट्रेंड आजकल महिलाओं को खूब आकर्षित कर रहे हैं। फैशन का लुक आने से नई पीढ़ी हो या पुरानी पीढ़ी दोनों इसे अलग तरीके से पहनना चाहते हैं।

साड़ियों के मामले में दिल्ली मिनी इंडिया

अलग-अलग राज्यों में साड़ियां अलग नाम से पहचानी जाती है। मसलन, उत्तर प्रदेश में बनारसी, तमिलनाडु की कांजीवरम, राजस्थान की बांधनी, महाराष्ट्र की  पैंठनी, मध्यप्रदेश की चंदेरी साड़ियां भारतीय सभ्यता को दिखाती हैं। राज्यों के हिसाब से इसके पहनने के तरीके भी अलग हो जाते हैं। दिल्ली इस मामले में भी मिनी इंडिया दिखती है। हर राज्य की साड़ियां पहने महिलाएं यहां दिख जाती हैं।  

घूंघट लगाता है सुंदरता में चार चांद

समय के साथ परिधानों ने भी अपने स्वरूप में बदलाव किया है लेकिन साड़ी आज भी हमारी संस्कृति की खूबसूरती है। आज भी घूंघट प्रथा प्रासंगिक है। सूट की तुलना में साड़ी ऐसा परिधान है जिसमें घूंघट भी सुंदरता को बढ़ावा देता है।  -सुमन लता 

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