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सुल्तानपुर : सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है ऐसे में दुधारू पशुओं के लिए नेपियर चारा बेहतर हो सकता है. आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं नेपियर चारे के बारे में कि इसको कैसे बोएं और इसको खिलाने से पशुओं के दूध उत्पादन में कितनी बढ़ोत्तरी होगी. दरअसल गन्ने की तरह दिखने वाली सुपर नेपियर घास मूल रूप से थाईलैंड में उगने वाली घास है. जिसे ‘हाथी घास’ के नाम से भी जाना जाता है. इसके पीछे कारण यह है कि इसका आकार काफी बड़ा होता है. यह घास किसानों और पशु पालकों के लिए आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद है.

बार-बार कटने के लिए हो जाता है तैयार
कृषि विज्ञान केंद्र सुल्तानपुर  में कार्यरत पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉक्टर दिवाकर ने बताया कि नेपियर चारा बहुत ही फायदेमंद है. यह प्रत्येक 50 दोनों में बार-बार कटाई के लिए तैयार हो जाता है, जो कि यह प्रक्रिया कई वर्षों तक अनवरत चलती रहती है. इससे किसानों को बार-बार नेपियर के बीज बोने का झंझट नहीं झेलना पड़ता.

विदेशी प्रजाति की है यह घास
हाथी घास के नाम से जानी जाने वाली नेपियर घास विदेशी प्रजाति की घास है जिसका उद्भव थाईलैंड में माना जाता है, यह घास पशुओं में दुग्ध उत्पादन की क्षमता को बढ़ाती है. इसके अलावा यह पशुओं के लाभ के साथ-साथ किसानों की आर्थिक क्षमता को भी मजबूत करती है. इस घास के साथ खास बात क्या है कि इसमें किसी अतिरिक्त संसाधनों की भी आवश्यकता नहीं पड़ती.

कब और कैसे करें इसकी खेती.?
वैसे तो नेपियर को लगाने का सबसे अच्छा समय मार्च का महीना होता है. लेकिन इसके साथ ही इसकी बुवाई जुलाई-अगस्त में भी कर सकते हैं. हालांकि अधिक गर्मी और अधिक सर्दी  इसके लिए लाभप्रद नहीं होती है. क्योंकि इसके पौधे सही से स्थापित नहीं हो पाते हैं. यह एक सदाबहार चारा है. इसलिए यदि इसके टुकड़े बड़े हों, तो इनकी पत्तियां काट देनी चाहिए. इसके साथ ही इसकी बुवाई हमेशा लाइनों और मेड़ों पर ही करनी चाहिए. नेपियर की बुआई ठीक उसी प्रकार की जाती है, जैसे गन्ने की की जाती है.

FIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 13:29 IST

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