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सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : पीटीआई

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अब तक अपना घर न मिलने से परेशान खरीदारों की स्थिति पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण खरीदारों की दिक्कतों को दूर करने के लिए 10 दिन के भीतर कोई योजना लाए। ऐसा करने में विफल रहने पर उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया जाएगा।

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देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, आप भी गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं। बेशक, डेवलपर्स ने घर खरीदारों से पैसा कमाया। लेकिन इससे आपकी गलती कम नहीं हो जाती। पीठ ने यह भी कहा, अगर प्राधिकरण ने कोई समाधान नहीं निकाला तो हम पूरी गड़बड़ी की सीबीआई जांच का आदेश देंगे।

जस्टिस खन्ना ने कहा, आपको घर खरीदारों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करनी होगी। आप भी इस समस्या का हिस्सा हैं। आपने यह गड़बड़ी होने दी। पीठ ने ग्रेनो प्राधिकरण को यह सुझाव भी दिया कि वह पूरी जमीन अपने कब्जे में ले, परियोजनाओं का विकास करे और घर खरीदारों को फ्लैट दे। पीठ ने विस्तृत हलफनामे में जमीन के आवंटन की तारीख और निजी कंपनी के पक्ष में लीज डीड की तारीख सहित सारी जानकारी मुहैया कराने को कहा है।

शीर्ष अदालत कर्ज में डूबी रियल्टी फर्म अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की दिवालियेपन कार्यवाही के संबंध में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीली न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के संदर्भ में 12 अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। एनसीएलएटी ने घर खरीदारों के एक समूह की याचिका को खारिज कर दिया था, जिन्होंने अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के अधिग्रहण के लिए अल्फा कॉर्प डेवलपमेंट की बोली को एनसीएलटी की मंजूरी को चुनौती दी थी। 

एनसीएलटी ने 8 जून, 2021 को अल्फा कॉर्प डेवलपमेंट की समाधान योजना को मंजूरी दी थी। 800 से अधिक घर खरीदारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शोएब आलम ने कहा कि एक पीएसयू रुकी परियोजनाओं को विकसित करने और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और अन्य को बकाया राशि का भुगतान करने को तैयार है।

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