Patients Will Soon Get Accurate And Accessible Treatment In The Advanced Stage Of Cancer – Amar Ujala Hindi News Live
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AIIMS – फोटो : ANI
विस्तार
कैंसर की एडवांस स्टेज (स्टेज 4) में पहुंच चुके मरीजों को जल्द सटीक सुलभ इलाज मिल पाएगा। इन मरीजों की सुविधा के लिए एम्स ने कम लागत वाली एंटीबॉडी और अनुकूली सेलुलर थेरेपी तैयार की है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि एडवांस स्टेज तक पहुंच चुके मरीजों में कई बार दवाई असर नहीं करती। ऐसे मरीजों में कैंसर ठीक होने पर फिर से बढ़ जाता है। इन मरीजों की सुविधा के लिए एंटीबॉडी और अनुकूली सेलुलर थेरेपी को विकसित किया गया है। जल्द ही इसका क्लीनिक ट्रायल होगा। इस दौरान करीब 20 मरीजों पर इसका परीक्षण होगा। परीक्षण के दौरान सटीक इलाज होने पर फेज 2 का ट्रायल होगा। उम्मीद है कि अगले दो साल के बाद देश को स्वदेशी तकनीक मिल जाएगी। यह विदेशी तकनीक के मुकाबले 5 से 10 फीसदी की लागत पर उपलब्ध हो जाएगी। विदेश में इस तकनीक से इलाज करवाने पर एक करोड़ रुपये तक का खर्च आ जाता है।
एम्स में डॉ. बीआरए इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी (लैब) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मयंक सिंह ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द देश को स्वदेशी तकनीक उपलब्ध हो जाएगी। इसमें कैंसर से लड़ने के लिए मरीजों की सेल से स्वदेशी एंटीबॉडी तैयार की जाएगी। उसके बाद इसकी मदद से इलाज होगा।
तकनीक ऐसे करेगी इलाज
एंटीबॉडी आधारित उपचारों ने सेलुलर सीएआर टी सेल (काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी सेल) थेरेपी के विकास में मदद की। यह कैंसर चिकित्सा में मददगार है। इसमें कैंसर कोशिका पर एंटीजन को लक्षित करने के लिए इन एंटीबॉडी के घटक शामिल हैं। हालांकि इम्यूनोथेरेपी महंगी है। यह भारत की अधिकतर आबादी की पहुंच से बाहर है जबकि स्वदेशी तकनीक उपलब्ध होने से मध्यम वर्ग की पहुंच में होगा।
गंभीर मरीजों की जांच की
शोध के दौरान डॉ. मयंक ने बी सेल मैच्योरेशन एंटीजन के अनुक्रम को समझने के लिए भारतीय मल्टीपल मायलोमा रोगियों की जांच की। शोध में तैयार हुई एंटीबॉडी के शुरुआती परिणाम बेहतर मिले है। दुनिया में पहले से ही इस एंटीबॉडी के घटक का उपयोग बी सेल परिपक्वता प्रतिजन (बीसीएमए) को लक्ष्य के रूप में उपयोग करके मल्टीपल मायलोमा में सेलुलर सीएआर टी सेल थेरेपी विकसित करने के लिए कर रहे हैं। पहले भी बीसीएमए को लक्षित करके रिलैप्स और रिफ्रैक्टरी मल्टीपल मायलोमा के खिलाफ सीएआर टी सेल थेरेपी विकसित की गई।
अभी होता है ऐसे इलाज
कैंसर के इलाज में अभी कीमो, रेडियोथेरेपी सहित अन्य का इस्तेमाल होता है। इससे शरीर को नुकसान हो सकता है। इसके बार सटीक इलाज के लिए कैंसर कोशिकाओं के लिए एक प्रोटीन इलाज आया। इसमें कैंसर फिर से फैलने की आशंका रहती है। इसके बाद इम्यूनोथेरेपी आई। इसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग किया जा रहा है।
एक कोशिका से उत्पन्न होता है कैंसर
डॉक्टरों का कहना है कि सभी कैंसर कोशिकाएं एक ही कोशिका से उत्पन्न होती हैं। इसमें उत्परिवर्तन के एक क्रम से कैंसर कोशिका में परिवर्तित हो जाती है। कैंसर कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ती हैं।