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अमर उजाला संवाद
– फोटो : अमर उजाला

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पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में स्थित नंगली रजापुर गांव के निवासियों की समस्याएं दशकों से खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। यह गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। स्वतंत्रता से पहले से लेकर आज के समय तक ग्रामीणों के लिए परिस्थितियां लगातार बदतर बनी हुई हैं। ग्रामीण दो बार अपने गांव को उजड़ते देख चुके है। तीसरी बार गांव के स्थाई तौर पर बसने के बाद उनके सामने कृषि भूमि बचाने की नई चुनौती खड़ी हो गई। 

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अमर उजाला संवाद में ग्रामीणों ने बताया कि डीडीए की ओर से आए दिन बुलडोजर चलाए जाते हैं, जिससे उनकी खड़ी फसलें नष्ट हो जाती हैं और उनके खेतों पर बनी झोपड़ियां धराशायी कर दी जाती हैं। इससे ग्रामीणों की आजीविका पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। कृषि भूमि के म्यूटेशन की प्रक्रिया को भी लटका दिया गया है, जिससे उनकी जमीन कानूनी रूप से उनके नाम नहीं हो पा रही है। गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ग्रामीणों को दूसरे क्षेत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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