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नई दिल्‍ली. लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया तो पार्टी ने इसका श्रेय अपने नेता राहुल गांधी को दिया. ऐसा लगने लगा कि पिछले 10 साल से हाशिए पर मौजूद कांग्रेस पार्टी एक बार फिर सक्रिय होगी. हालांकि पिछले छह महीने के सियासी घमासान को देखें तो ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. इंडिया गठबंधन के साथी एक-एक कर राहुल गांधी की लीडरशिप क्‍वालिटी पर सवाल उठा रहे हैं. चाहे उमर अब्‍दुल्‍ला हों या फिर आखिले यादव या ममता बनर्जी… एक-एक कर सभी राहुल की कांग्रेस का हाथ मजबूती से पकड़ने की जगह साथ छोड़ते दिख रहे हैं.

एक दिन पहले ही जम्‍मू-कश्‍मीर के सीएम उमर उब्‍दुल्‍ला का कांग्रेस पार्टी को आइना दिखाया. उन्‍होंने कहा कि बार-बार चुनाव हारने पर कांग्रेस को ईवीएम पर सवाल उठाने की प्रथा को बंद कर देना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि जब संसद के सौ से ज्‍यादा सीटें आपने इसी ईवीएम का उपयोग कर जीती थी तब आप कुछ महीने बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि हमें ये ईवीएम पसंद नहीं क्योंकि इस बार चुनावी नतीजे उस तरह नहीं आए जैसा हम चाहते हैं. कांग्रेस जम्‍मू-कश्‍मीर सरकार का हिस्‍सा है लेकिन इसके बावजूद इस केंद्र शासित प्रदेश की सरकार में उनका कोई मंत्री नहीं है. अब्‍दुल्‍ला ने कांग्रेस पार्टी को प्रदेश की राजनीति में ज्‍यादा भाव नहीं दिया है.

आखिलेश दिखा रहे आंख
इंडिया गठबंधन में साथी अखिलेश यादव भी लगातार कांग्रेस पार्टी को आंख दिखाते नजर आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी पहले ही महाराष्‍ट्र के महाविकास अघाड़ी गठबंधन से बाहर हो चुकी है. उधर, दिल्‍ली चुनाव से पहले जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के आमने-सामने हैं. वहीं, अखिलेश यादव कांग्रेस से दूरी बनाते हुए अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. दिल्‍ली में बीजेपी को घेरने के लिए आज यानी 16 दिसंबर को AAP ने ‘महिला अदालत’ नाम से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया है. इसमें अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव एक मंच पर साथ नजर आएंगे. इससे पहले यूपी उपचुनाव के दौरान भी अखिलेश यादव कांग्रेस को अपने तल्‍ख तेवर दिखा चुके हैं. तब उन्‍होंने बिना कांग्रेस से बात किए सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्‍मीदवार उतार दिए थे. बाद में कांग्रेस पार्टी ने यूपी उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था.

इंडिया गठबंधन के प्रमुख पद पर कांग्रेस अलग-थलग
कांग्रेस पार्टी चाहती है कि राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन का प्रमुख बनाया जाए. हालांकि साथी पार्टियां इसके लिए तैयार नहीं हैं. ममता बनर्जी पहले ही इंडिया गठबंधन की कमान अपने हाथों में लेने की इच्‍छा जता चुकी हैं. अखिलेश यादव सहित कई विपक्षी दलों ने ममता को गठबंधन में बड़ी जिम्‍मेदारी देने का समर्थन किया. उधर, कांग्रेस पार्टी ममता को कमान देने के फॉर्मूले पर चुप्‍पी साधे नजर आई. उसने ना तो इसके लिए हां की और ना ही मना किया.

कांग्रेस से दूरी की क्‍या है असल वजह
यहां बड़ा सवाल यह है कि चाहे ममता बनर्जी हों या फिर अखिलेश यादव, उमर अब्‍दुल्‍ला व केजरीवाल. कोई भी कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी की लीडरशिप को स्‍वीकार करने को क्‍यों तैयार नहीं है. इंडिया गठबंधन में इस वक्‍त हैसियत के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्‍यादा लोकसभा सीट जीत के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. इसके बावजूद तमाम दलों को राहुल गांधी की लीडरशिप पर शक क्‍यों है. मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए लगता है कि प्रदेशों में लगातार कांग्रेस की हार इसकी बड़ी वजह है. हरियाणा जैसे राज्‍य में कांग्रेस की जीत तय नजर आ रही थी, लेकिन इसके बावजूद पार्टी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई. जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सम्‍मानजनक सीटें तक नहीं जीत पाई. महाराष्‍ट्र में एमवीए का हश्र तो हम सभी ने देखा है. इससे पहले मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान के चुनाव नतीजों ने भी राहुल गांधी की लीडरशिप क्‍वालिटी पर सवाल खड़े किए.

Tags: Akhilesh yadav, Omar abdullah, Political news, Rahul gandhi

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