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4 घंटे पहले

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बोर्ड एग्‍जाम का समय जितना क्रूशियल बच्‍चे के लिए है, उतना ही पेरेंट्स के लिए भी है। कई बार पेरेंट्स ये समझ नहीं पाते कि बच्‍चा एग्‍जाम को लेकर कितना स्‍ट्रेस में है।

इस दौरान बच्‍चे को मॉरल सपोर्ट कैसे दें, उसकी पढ़ाई में कैसे मदद करें और अपनी बिजी शेड्यूल से समय कैसे निकालें। पेरेंट्स के इन्हीं सवालों के जवाह हमने जाने हमारे एक्सपर्ट्स से। आज के हमारे एक्सपर्ट्स हैं…

  • डॉ. निधि दुग्गल, प्रिंसिपल, PW, गुरुकुलम स्कूल, गुरुग्राम
  • प्रीती एन, सीनियर टीचर, रायन इंटरनेशनल स्कूल, भोपाल

सवाल- एग्जाम के बाद बेटी ने बताया कि उसका पेपर अच्छा नहीं हुआ। उसे कैसे हैंडल करूं?

जवाब- अगर आपकी बेटी ने आपको बताया कि उसका एग्जाम अच्छा नहीं हुआ और इस वजह से वो स्ट्रेस में हैं, तो सबसे पहले बार-बार उससे ये न पूछे कि क्यों अच्छा नहीं हुआ या पढ़ाई ढंग से नहीं की तुमने। बेटी को दोष न दें। उसके पास बैठें। जब भी वो बताना चाहे कि उससे क्या गलती हुई तो सुनें। उसके साथ आगे के एग्जाम प्रिपेरेशन की स्ट्रैटेजी डिस्कस करें। बेटी को एनकरेज करें। उसे समझाएं कि एग्जाम में मुश्किलों से हर कोई गुजरता ही है। ये बिल्कुल नॉर्मल है।

सवाल- हम दोनों ही पेरेंट्स वर्किंग हैं तो बच्चे के लिए वक्त कैसे निकालें?

जवाब- एग्जाम सीजन में बच्चे पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं। इसके बावजूद उन्हें समय देना और उनकी छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अगर दोनों पेरेंट्स वर्किंग हैं, तो…

  • दोनों में से कोई एक पेरेंट हर दिन बच्चों के साथ वक्त जरूर बिताए।
  • हफ्तेभर के रूटीन में कुछ समय फैमिली को डेडीकेट करें।
  • जब भी बच्चों के साथ समय बिताएं, तो पूरा समय बच्चों को ही दें। ऐसा न हो कि बच्चों के पास बैठे हैं और पूरा ध्यान लैपटाप या फोन पर लगा रहे।
  • वीकेंड या ईवनिंग सब साथ मिलकर लंच या डिनर कर सकते हैं। इसके अलावा वॉक पर या बाहर आऊटिंग पर जा सकते हैं।
  • अपने काम और जिम्मेदारियां बांट लें। इससे आपको बच्चों के साथ बिताने के लिए ज्यादा समय मिल सकेगा।
  • बच्चों के साथ दोस्त की तरह बात करें और जानें कि वो कैसा महसूस कर रहे हैं।

सवाल- बच्चों के मन से एग्जाम के डर को दूर करने के लिए क्या कर सकते हैं?

जवाब- बच्चे जब एग्जाम देते हैं, तो उनके मन में एग्जाम को लेकर डर आता ही है। ऐसे में ये जिम्मेदारी पेरेंट्स की है वो किस तरह बच्चों के मन से इस डर को कम करते हैं।

बच्चों के मन से एग्जाम के डर को दूर करने के लिए…

  • एग्जाम को लेकर घर में पॉजिटिव माहौल बनाएं। उन्हें महसूस न कराएं कि बोर्ड एग्जाम के आधार पर ही उनका फ्यूचर तय होगा।
  • बच्चों को समझाएं कि गलतियां लर्निंग प्रोसेस का एक खास हिस्सा है। उन्हें एनकरेज करें लेकिन फालतू का प्रेशर न बनाएं।
  • उन्हें टेक इफेक्टिव स्टडी टेक्नीक्स और टाइम मैनेजमेंट स्किल्स के बारे में बताएं। इससे उनका कॉन्फिडेंट बूस्ट होगा।
  • एग्जाम के समय घर का माहौल शांत और सपोर्टिव होना चाहिए।

सवाल- गलत संगत में पड़ने की वजह से बेटा प्रीबोर्ड में चीटिंग करते हुए पकड़ा गया था। मैं उसे कैसे समझाऊं कि चीटिंग करना ठीक नहीं ताकि इस बार वो ऐसा कुछ न करें?

जवाब- ऐसी सिचुएशन में आपको बेटे के साथ गंभीर चर्चा की जरूरत है। उसे बताएं कि चीटिंग गलत है और इससे उसका ही नुकसान होगा। साथ ही बेटे को बताएं कि चीटिंग करने पर किस-किस तरह की सजा मिल सकती है। उसे बताएं कि जीवन में सच्चाई और ईमानदारी बहुत जरूरी है। इसके अलावा उससे आराम से पूछे कि उसे चीटिंग करने की जरूरत क्यों पड़ी। अगर वो बताएं कि उसे पढ़ने में किसी तरह की कोई दिक्कत हो रही है या उसे कुछ समझ नहीं आता, तो उसकी उचित मदद करें। उसे एहसास कराएं कि अच्छे नंबर लाने के लिए चीटिंग के अलावा बहुत सारे उपाय हैं।

सवाल- बच्चे बोर्ड एग्जाम की वजह से बिल्कुल फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर पाते। ऐसे में वजन बढ़ने के साथ कई बीमारियों का डर लगता है। मैं कैसे उनकी मदद करूं?

जवाब- एग्जाम हो या न हो, बच्चों के लिए फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है। इसके लिए पढ़ाई के बीच उनके लिए छोटे-छोटे ब्रेक्स तय करें। इस समय में उनके साथ बैडमिंटन या ऐसा कोई गेम खेल सकते हैं। उनके साथ वॉक पर जा सकते हैं या घर पर ही रहकर बच्चों के साथ स्ट्रेचिंग कर सकते हैं। उन्हें पढा़ई के साथ-साथ खेलकूद या कोई फिजिकल एक्टिविटी बैलेंस करने के लिए मोटीवेट करें।

सवाल- मेरी बेटी ने कल बताया कि उसकी कोई सहेली NEET की, कोई CLAT की तो कोई JEE Advance की तैयारी कर रही है। अब उसे भी चिंता है कि बोर्ड एग्जाम तो हो जाएंगे, उसके बाद वो क्या करेगी?

जवाब- पीयर प्रेशर या टीचर्स के कहने पर कोई एग्जाम देने से बेहतर है कि बेटी को उसके इंट्रेस्ट और पैशन समझने के लिए एनकरेज करें ताकी बोर्ड एग्जाम के बाद आगे क्या करना है, इसे लेकर उसे क्लैरिटी मिल सके। उसके साथ अलग-अलग करियर ऑप्शन्स डिस्कस करें और समझाएं कि सक्सेसफुल होने के लिए सिर्फ एक नहीं, कई रास्ते हैं।

उसकी क्वालिटीज और टैलेंट समझने में आप उसकी मदद भी कर सकते हैं और फैसला लेने में उसे गाइड करें। साथ ही बेटी के साथ बैठकर रिसर्च करें कि उसके पसंद के करियर के लिए कहां पढ़ाई करनी चाहिए, किस तरह के कोर्सेज करने चाहिए और इसके लिए किस तरह की ट्रेनिंग लेनी चाहिए।

सवाल- घर से मिलने वाले एग्जाम के प्रेशर को तो पेरेंट्स मैनेज कर सकते हैं, लेकिन टीचर्स और पीयर्स (दोस्त, क्लासमेट्स) से मिल रहे प्रेशर को कैसे हैंडल करें?

जवाब- बच्चों के टीचर्स और पीयर्स से मिल रहे प्रेशर को ऐसे करें हैंडल…

  • टीचर्स के साथ इस बारे में खुलकर बात करें और उनसे कहें कि स्‍ट्रेस मैनेजमेंट को लेकर वो बच्चों को गाइड करें।
  • बच्चे को समझाएं की दोस्तों और क्लासमेट्स के साथ एक बाउंड्री सेट करना जरूरी है। उनकी सभी बात मानने की जरूरत नहीं है।
  • बच्चों को सेल्फ-कॉन्फिडेंस के बारे में बताएं। साथ ही उन्हें समझाएं कि खुद के साथ हमेशा सच्चाई के साथ पेश आएं।
  • उन्हें एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टीविटीज में हिस्सा लेने के लिए एनकरेज करें। इससे उनका सोशल सर्किल बढ़ेगा और वो सिर्फ स्कूल या ट्यूशन के दोस्तों से अफेक्ट नहीं होंगे।
  • बच्चों को घर पर सपोर्टिंव एनवायरमेंट दें। उन्हें महसूस कराएं कि वो घर के जरूरी सदस्य हैं जहां उनकी हर बात सुनी जाती है।

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