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आगरा: उत्तर प्रदेश में मंदिर-मस्जिद विवाद का दायरा बढ़ता जा रहा है. अयोध्या, काशी, मथुरा और संभल के बाद अब जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है. स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने दावा किया है कि अटाला मस्जिद को एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब यह तय होना है कि जौनपुर जिला अदालत में इस मामले की सुनवाई संभव है या नहीं.

स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने जौनपुर जिला कोर्ट में दावा किया कि मस्जिद की जगह 13वीं शताब्दी में बने अटला देवी मंदिर का अस्तित्व था. उनका कहना है कि यह मंदिर राजा विजय चंद्र ने बनवाया था, लेकिन बाद में इसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया.

अदालती प्रक्रिया
अटाला मस्जिद के वक्फ की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. यह याचिका मामले की पोषणीयता यानी अदालत में सुनवाई के अधिकार को चुनौती देती है. मामले की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में होगी.

क्या कहता है इतिहास
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एमके पुंडीर के अनुसार, जौनपुर शहर की स्थापना फिरोज शाह तुगलक ने की थी. उन्होंने बताया कि अटाला मस्जिद के निर्माण में मंदिर के अवशेषों का उपयोग किया गया था. मस्जिद के पिलर, बीम, और छत जैसे हिस्से मंदिर के मूल संरचना के हैं. यह मस्जिद 1408 में बनकर तैयार हुई थी और अपने समय की एक बड़ी मस्जिद है.

मंदिर के हिस्सों का इस्तेमाल
एमके पुंडीर ने आगे कहा कि अटाला मस्जिद का आर्किटेक्चर इस बात का संकेत देता है कि यह मूल रूप से एक री-अरेंजमेंट है, जिसमें मंदिर के हिस्सों का इस्तेमाल किया गया. हालांकि, हिंदू पक्ष के दावे पर उन्होंने टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि अदालत इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी.

ग्रामीणों और एक्सपर्ट की चिंताएं
इस विवाद से जौनपुर और आसपास के इलाकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं. हाईकोर्ट का फैसला इस मामले में ऐतिहासिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा.

Tags: Hindu Temple, Local18

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