8 दिसंबर को, एचटीएस ने असद की सरकार को उखाड़ फेंका और पूरे देश पर नियंत्रण की घोषणा की लेकिन पूरे देश पर नियंत्रण की घोषणा केवल हवा में है. वहां पहले से मौजूद सीरियाई लोकतांत्रिक बल (एसडीएफ) ने हार मानने से इनकार कर दिया है और उत्तरी सीरिया पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए लगातार लड़ रहे हैं. दूसरी तरफ रूस अमेरिका और इजरायल ने भी अपने पत्ते पूरी तरह से नहीं खोले जिसकी चलते सीरिया इन देशों और अपनों के बीच ही फुटबॉल बन गया है.
अमेरिका से लेकर इजरायल तक.. हर एक की नजर सीरिया पर
सीरिया को लेकर अमेरिका ने कहा है कि अमेरिकी सेना सीरिया में अपना काम करना जारी रखेगी और ऑयल फील्ड वाले क्षेत्रों को नियंत्रित करेंगे. दूसरी तरफ इजरायली वायु सेना ने अरब-इजरायल युद्ध के बाद सबसे बड़े हवाई हमले के साथ एहतियाती उपायों के रूप में असद बलों के बचे हुए अधिकांश बारूद डिपो, और विमान आदि को भी नष्ट कर दिया है. इसके साथ ही इजरायली सेना लगातार सीरिया को घेरती चली आ रही है और उसे अभी तक किसी भी समूह के प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा है. रूस अपने एक नए ही रूप में सामने आया है. रूसी सेनाएं उन क्षेत्रों और ठिकानों से हट गई हैं जिन पर कभी उनका नियंत्रण था और विद्रोहियों ने उन्हें अपने युद्ध सामान के साथ वापस जाने में कोई अड़चन पैदा नहीं की.
इसमें सबसे बड़ी समस्या विदेशी देशों को लेकर इजरायल की है जिसे लेकर सीरिया पर कथित कब्जा करने के दावेदार एचटीएस ने कोई बयान जारी नहीं किया है. इन देशों के अलावा एचटीएस को सबसे बड़ी समस्या एसडीएफ से है जिसने उसका नियंत्रण मानने से इनकार कर दिया है. एसडीएफ कौन हैं?
सीरियाई लोकतांत्रिक बल यानि एसडीएफ कुर्द वाईपीजी, पीकेके और अनेक स्थानीय और बाहरी जनजातीय लोगों से मिलाकर लगभग बने इस संगठन के बारे में कहा जाता है कि अमेरिका ने इस गठबंधन को आईएसआईएस और असद बलों के साथ-साथ तुर्की समर्थित विद्रोहियों के खिलाफ लड़ने के लिए बनाया था और इसके पीछे की पूरी फंडिंग भी अमेरिका द्वारा ही की जाती है. इस संगठन में लगभग 1 लाख प्रशिक्षित लड़ाके बताए जाते हैं.
सीरिया में भी हर दल का अपना एजेंडा
एसडीएफ में पूर्वी सीरिया के एक अरब क्षेत्र जिसे डेर एज जोर कहा जाता है उसे पर अपना कब्जा कर लिया है. बताया जाता है कि यह कब्जा करने के लिए अमेरिका ने पहन के पीछे से उसका साथ दिया था क्योंकि इस क्षेत्र के जरिए वह आतंकी संगठन आईएसआईएस से लड़ना चाहता है. इसके अलावा अन्य क्षेत्र मनबिज, रक्का और कोबेन मैं भी तुर्की समर्थित विद्रोहियों और एसडीएफ के बीच लगातार लड़ाई चल रही है दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ जमकर बड़े हथियारों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
यानी कुल मिलाकर असद के पतन के बाद सीरिया में कई दलों के बीच एक नया सत्ता संघर्ष छिड़ गया है क्योंकि सभी देश पर अपना नियंत्रण चाहते हैं और बाहरी देशों ने इस मामले में पूरी तरह से सीरिया को उसके भाग्य पर छोड़ा हुआ है. यही कारण है कि आने वाले दिनों में सीरिया में फिलहाल शांति होने की कोई असर नजर नहीं आ रहे.
Tags: Syria war
FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 16:04 IST
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