Image Slider

सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले को ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. इसे किलों का शहर भी कहा जाता है. यहां के विजयगढ़ और अगोरी दुर्ग से जुड़ा एक दिलचस्प इतिहास है, जो रहस्यमयी सुरंगों और शासकों की कहानियों से भरा हुआ है.

प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री की कृति चंद्रकांता में विजयगढ़ किले का उल्लेख है. जानकारों के मुताबिक विजयगढ़ और अगोरी किले के बीच लगभग 50 किलोमीटर लंबी एक गुप्त सुरंग हुआ करती थी. यह सुरंग राजा द्वारा आपात स्थितियों में सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए बनवाई गई थी. हालांकि अब यह सुरंग दफ्न हो चुकी है, लेकिन इसके अस्तित्व की पुष्टि स्थानीय इतिहासकार और ग्रामीण करते हैं.

अगोरी किले का गौरवशाली अतीत
अगोरी किला सोन नदी के तट पर स्थित है, जो चोपन से 8 किलोमीटर और रॉबर्ट्सगंज से 25 किलोमीटर दूर है. इसे चंदेल और खरवार वंश के शासकों का निवास स्थान माना जाता है. यह किला तीन नदियों—सोन, रेणु और विजुल—से घिरा है, और इसे आदिवासी किला भी कहा जाता है.

खरवार वंश की कहानियां
खरवार वंश का राज्य 12वीं शताब्दी में स्थापित हुआ. उस समय बालंदशाह के वंशज मदनशाह इस क्षेत्र के शासक थे. एक समय मदनशाह के दरबार में शरण मांगने वाले चंदेल शासक परिमल और बरिमल ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और राजा की गद्दी पर बैठ गए.

घाटम और विजयगढ़ की लड़ाई
1290 ईस्वी में, खरवार वंश के शासक घाटम ने चंदेल शासकों पर हमला किया. इस लड़ाई में चंदेल वंश का अंत हो गया. घाटम ने विजयगढ़ किले पर अधिकार कर लिया.

विरासत और आज का महत्व
स्थानीय निवासी मुराहू खरवार बताते हैं कि अगोरी किले का इतिहास विक्रम संवत 1600 से जुड़ा है. उनकी दसवीं पीढ़ी किले की देखभाल कर रही है. वर्तमान में किला खंडहर बन चुका है, लेकिन इसकी ऐतिहासिक और रहस्यमयी कहानियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं.

सुरंग और रहस्य
माना जाता है कि एक सुरंग विजयगढ़ किले को बाबा सोमनाथ मंदिर से जोड़ती थी. यह सुरंग किले की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी. विजयगढ़ किले को तिलिस्मी किले के नाम से भी जाना जाता है, जो आज भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र है.

Tags: History of India, Local18

———-

🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।

 

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||