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मुख्य आरोपियों में शामिल इरफान और शोभित सिंह, डिग्री लेने वाले लोगों को डरा-धमका कर रजिस्ट्रेशन फीस वसूलते थे।
गुजरात पुलिस ने सूरत से डॉक्टरी की फर्जी डिग्री देने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह पिछले कम पढ़े-लिखे बेरोजगारों को 32 साल से 70 हजार में फर्जी डिग्रियां देने का काम कर रहा था। रजिस्ट्रेशन रीन्यू करवाने के लिए 5 हजार रुपए फीस भी लेता था।
इनमें से एक तो आठवीं पास था। वहीं एक फर्जी डॉक्टर शमीम अंसारी भी शामिल है, जिसके गलत इलाज की वजह से कुछ दिन पहले एक बच्ची की मौत हो गई थी। इस मामले में अब तक कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया है।
गिरोह के 2 मुख्य आरोपी डॉ. रमेश गुजराती और बीके रावत के पास से पुलिस को सैकड़ों एप्लिकेशन और सर्टिफिकेट मिले हैं। यह गिरोह अब तक 1200 लोगों को फर्जी डॉक्टरी सर्टिफिकेट दे चुका था।
पुलिस ने खबर मिलने पर पांडेसरा में 3 क्लीनिक पर छापा मारा। जहां इनके पास से बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी के सर्टिफिकेट मिले, जिन्हें सूरत के ही 2 डॉक्टरों ने जारी किया था।
इनकी जांच करने पर पता चला कि जो सर्टिफिकेट इन्हें दिया गया था, वह गुजरात सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है। पुलिस के साथ छापा मारने गई टीम ने भी कहा कि डिग्री फर्जी है।
मुख्य आरोपी डॉ. रमेश गुजराती (बीच में), बीके रावत (बाएं)… ये दोनों 2002 से साथ काम कर रहे हैं।
मुख्य आरोपी ने 1990 में की थी इलेक्ट्रो होम्योपैथी की पढ़ाई
पकड़े गए आरोपी डॉ. रमेश गुजराती ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने 1990 के दशक में बीएचएमएस की पढ़ाई की थी। वह कई ट्रस्ट में वक्ता के तौर पर काम करता रहा, लेकिन जब इससे ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ तो उसने इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में कदम रखा। उसने यह गिरोह इसलिए शुरू किया क्योंकि भारत सरकार या राज्य सरकार ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी के लिए कोई नियम लागू नहीं किए हैं।
गुजराती ने 2002 में गोपीपुरा इलाके में एक कॉलेज शुरू किया था, लेकिन छात्रों की कमी के कारण कॉलेज बंद हो गया। इसके बाद उसने रावत के साथ मिलकर डिग्रियां बेचने का धंधा शुरू कर दिया।
पुलिस को रमेश के घर से 7 रजिस्ट्रेशन बुक्स, 15 रीन्यूएबल कार्ड, खाली सर्टिफिकेट और कई जेरोक्स भी मिले।
रजिस्ट्रेशन वाली वेबसाइट भी फर्जी रमेश गुजराती को पता चला कि भारत में इलेक्ट्रो-होम्योपैथी के लिए कोई नियम-कानून नहीं हैं। इसके बाद उसने इसी कोर्स में डिग्री देने के लिए एक बोर्ड बनाने की प्लानिंग की। इसके लिए उसने पांच लोगों को काम पर रखा। उन्हें इलेक्ट्रो-होम्योपैथी में ट्रेनिंग दी।
3 की जगह 2 साल में ही डिग्री पूरी करवाकर उन्हें इलेक्ट्रो-होम्योपैथी दवाएं लिखने की ट्रेनिंग दी। इन्होंने 70 हजार रुपए दिए इसके बाद 15 दिन के अंदर ही उन्हें सर्टिफिकेट दे दिए गए। इनका रजिस्ट्रेशन करने वाली वेबसाइट भी फर्जी थी।
गुजरात में पिछले कुछ दिनों में सामने आए बड़े फर्जीवाड़े
2 दिसंबर : फर्जी ED टीम ने ज्वेलर के घर-दुकान पर छापा मारा गांधीधाम में फर्जी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने ज्वेलर की दुकान और घर पर छापेमारी की। इस दौरान 22.25 लाख रुपए नकद और आभूषण चुरा लिए। पुलिस ने इस मामले में 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी 15 दिन पहले आदिपुर कस्बे में एक चाय की दुकान पर मिले थे और ED अधिकारी बनकर फर्म पर छापा मारने की योजना तैयार की थी। पढ़ें पूरी खबर…
23 नवंबर: थिएटर की जगह अस्पताल बना, डॉक्टर भी फर्जी निकले सूरत शहर के पांडेसरा में ही फर्जी मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल का खुलासा हुआ। बिना किसी परमिशन के एक खंडहर थिएटर में चल रहे अस्पताल के तीनों डॉक्टर भी फर्जी निकले। तीनों के ही पास कोई मेडिकल डिग्री नहीं थी। इतना ही नहीं, इनमें से एक डॉक्टर तो सूरत और नवसारी में अवैध शराब बेचने के मामले में भी गिरफ्तार हो चुका था। पढ़ें पूरी खबर…
22 अक्टूबर: नकली जज, नकली कोर्ट, जमीन भी हड़पी एक शख्स ने फर्जी ट्रिब्यूनल बनाया। खुद को उसका जज बताया और गांधीनगर में बने अपने ऑफिस में असली अदालत जैसा माहौल बनाते हुए फैसले भी सुनाए। आरोपी का नाम मॉरिस सैमुअल है। बतौर ऑर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) नकली जज मॉरिस ने अरबों रुपए की करीब 100 एकड़ सरकारी जमीन अपने नाम कर ऑर्डर पारित किए। हैरानी की बात यह है कि यह फर्जी कोर्ट पिछले पांच साल से चल रहा था। पढ़ें पूरी खबर…
मार्च 2022 : महाठग किरण पटेल बना था PMO अधिकारी गुजरात में इससे पहले 2023 में खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का वरिष्ठ अधिकारी बताने वाले किरण पटेल का मामला भी सुर्खियों में रहा था। अहमदाबाद पुलिस ने किरण पटेल और उसकी पत्नी मालिनी के खिलाफ 22 मार्च को धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। दोनों ने मंत्री का बंगला रेनोवेशन कराने के नाम पर लिया था और इसके बाद फर्जी कागजात से उस पर कब्जा कर लिया था।
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