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नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने पार्थ चटर्जी की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा।

पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी से जुड़े ED के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बधुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच से चटर्जी को जमानत देने की मांग की। सुनव

मुकुल ने दलील दी, ‘चटर्जी को छोड़कर इस मामले के सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, एक हफ्ते पहले भी एक आरोपी को जमानत मिली थी। चटर्जी 2.5 साल से जेल में हैं।’

इस पर बेंच ने कहा- पार्थ चटर्जी को दूसरे आरोपियों के जैसे होने का दावा करने में थोड़ी शर्म आनी चाहिए, क्योंकि वे सभी इसके कारण ही आरोपी हैं। हर कोई मंत्री नहीं होता। पहली बात तो ये कि आप (पार्थ चटर्जी) भ्रष्ट व्यक्ति हैं। आपके घर से करोड़ों रुपए बरामद हुए हैं। आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या इस तरह से भ्रष्ट व्यक्ति को जमानत मिल सकती है?’

बेंच ने कहा कि आप (पार्थ चटर्जी) दूसरों के जैसे व्यवहार की मांग नहीं कर सकते। जांच में देरी और दूसरे पक्ष की भूमिका पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन मामले की योग्यता पर नहीं। सुनवाई के बाद बेंच ने पार्थ की जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

दरअसल, ED ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामल में पार्थ चटर्जी को 25 अप्रैल 2023 में गिरफ्तार किया था। 22 जुलाई को पार्थ और उनकी करीबी अर्पिता के 18 ठिकानों से ED ने रेड में 20 करोड़ कैश बरामद किया था। गिरफ्तारी के बाद से ही पार्थ जेल में हैं।

केस जुड़ी 2 तस्वीरें…

पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला के वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। अर्पिता मुखर्जी उनकी करीबी हैं।

अर्पिता के घर से जब्त किए गए 2000 रुपए और 500 के नोटों का अंबार मिला था। इन्हें गिनने के लिए मशीन मंगानी पड़ी थी।

कोर्ट रूम लाइव…

पार्थ का पक्ष मुकुल रोहतगी ने रखा और ED की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए।

रोहतगी- चटर्जी इस मामले में लंबे समय से जेल में हैं। उन्हें अन्य आरोपियों की जैसे ही जमानत दी जाए।

बेंच- पार्थ को इस मामले में अगर भ्रष्ट व्यक्तियों को इस तरह जमानत मिल सकती है तो समाज में क्या संदेश जाएगा।

एसवी राजू- चटर्जी को इस मामले में जमानत मिल भी जाती है, तो भी वह जेल से बाहर नहीं निकलेंगे, क्योंकि उन पर सीबीआई के मामले भी चल रहे हैं।

रोहतगी– ऐसा लगता है कि वे (राजू) पार्थ की परेशानी पर खुश हो रहे हैं। अन्य मामलों में जो कुछ भी होता है, वो मेरी नजर में है। मुझे कहीं से तो शुरुआत करनी होगी। वे किस तरह का तर्क दे रहे हैं? पार्थ 2.5 साल से जेल में हैं।

रोहतगी- पैसा पार्थ के परिसरों से नहीं बल्कि एक कंपनी के परिसर से बरामद किया गया था।

बेंच- चटर्जी के पास कंपनी का कंट्रोल था। उनके और अर्पिता मुखर्जी के जॉइंट नेम पर कई प्रॉपर्टी खरीदी गई थीं। पार्थ के मंत्री बनने के बाद डमी लोगों को रखा गया। पहले आपने (पार्थ) खुद को कंट्रोल किया। मामला 2022 का है। आप (पार्थ) मंत्री थे, जाहिर है कि आपने (पार्थ) खुद के खिलाफ जांच का आदेश नहीं दिए। कोर्ट के दखल के बाद जांच शुरू हुई। आरोप है कि 28 करोड़ रुपए बरामद किए गए हैं। जाहिर है इतनी बड़ी रकम घर पर नहीं रखी गई होगी।

बेंच- अदालत को ये जांचने की जरूरत है कि क्या पार्थ चटर्जी को रिहा करने से मामले की जांच पर और शर्तों पर असर पड़ेगा, क्योंकि पार्थ चटर्जी को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता।

रोहतगी- पार्थ की उम्र 70 साल है, वे अदालती कार्यवाही के दौरान ही बेहोश हो गए थे। कुछ शर्तें लगाई जा सकती हैं जैसे कि वह इलाके में प्रवेश नहीं करेंगे, कहीं और रहेगें।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

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तस्वीर 28 सितंबर की है। सेंथिल बालाजी को स्टालिन सरकार में फिर से मंत्री बनाया गया था। सेंथिल बालाजी पीछे वाली लाइन में। (दाएं से तीसरे)

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