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बलिया: एक ऐसे सिद्ध संत जिनके महिमा का आज भी लाखों लोग गुणगान करते हैं. आस-पास के गांव वालों की तो इतनी आस्था जुड़ी है कि छोटे बड़े कार्यक्रमों में जब तक बाबा को भोग नहीं लगता, तब तक कोई भोजन तक नहीं करता है. ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे मन से आता है उसे दुखों से छुटकारा मिल जाता है. ये समाधि न केवल इंसानों की मुरादें पूरी करती है. बल्कि बेजुबानों का भी कल्याण करती है. आइए विस्तार से जानते हैं…

मठाधीश प्रताप नारायण दास ने कहा कि ‘ये हमारे ही दादा गुरु राम लिलहा बाबा की समाधि स्थल है’ . यह बलिया शहर से गायघाट रेवती निकट मेन रोड पर स्थित प्रख्यात पंचरुखा मंदिर के ठीक सामने स्थित है. यह मंदिर काफी प्राचीन है. इसके 8वें महंत और ब्रह्मर्षि राम लिलहा थे. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि ये बाबा 5 साल की उम्र में ही घर परिवार छोड़कर गंगा के किनारे चले गए थे.

बालू और पत्ती खाकर बने महान संत

इस प्रकार राम लिलहा बाबा गंगा के किनारे तपस्या करने लगे. महंत ने आगे कहा कि ‘उनके दादा कहते थे कि बाबा गंगा का बालू और पत्तियों का भोजन किया करते थे. गंगा के किनारे एक वट वृक्ष था. जिसके खोखले में बाबा रहते थे. जहां घनघोर तपस्या के बाद बाबा एक सिद्ध संत हो गए.

इस समाधि से जुड़ी है गहरी आस्था

इस दौरान जिले के रेवती थाना क्षेत्र अंतर्गत गायघाट गांव के लोग किसी न किसी कारण से दुःखी रहा करते थे. अंत में बाबा के पास जाकर निवेदन किए, तो बाबा उनकी बात मानकर बलिया से रेवती मार्ग में पड़ने वाले प्रख्यात पंचरुखा मंदिर के ठीक सामने स्थित प्राचीन मंदिर पर रहने लगे. धीरे-धीरे ग्रामवासियों की समस्या दूर हो गई.

आज भी बाबा के इस समाधि स्थल से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है. यही नहीं लोग एक से एक चमत्कारिक घटना भी बताते हैं. स्थानीय लोगों में दिलीप प्रसाद माली, डॉ. बृजेश कुमार पांडेय, जितेन्द्र कुमार तिवारी और सुनील कुमार समेते अन्य लोगों के अनुसार ‘बाबा की महिमा अपरम्पार है. इसके चमत्कार से हर कोई वाकिफ है.

Tags: Ballia news, Ground Report, Local18, Religion 18

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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