देश में 33 सुपरकम्प्यूटर तैनात किए जा चुके हैं. हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में ये जानकारी देश की संसद में देशवासियों को दी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत 21 नवंबर, 2024 तक देश में 32 पेटाफ्लॉप की संयुक्त कंप्यूटिंग क्षमता वाले कुल 33 सुपरकंप्यूटर तैनात किए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि अब भारत अब सुपरकम्प्यूटर खुद ही डिजाइन कर सकता है, विकसित कर सकता है और स्वदेशी तकनीक से उसका निर्माण भी कर सकता है. आखिर ये सुपरकम्प्यूटर क्या होते हैं, इनकी क्या अहमियत होती है और भारत में इनकी क्या स्थिति है? आइए यही सब कुछ समझने की कोशिश करते हैं.
क्या होते हैं सुपर कम्प्यूटर्स
सुपरकम्प्यूटर आम कम्प्यूटर्स से बहुत अलग होते हैं. आमतौर पर जो कम्प्यूटर इस्तेमाल होते हैं, वे हमारी रोजमर्रा की जररूतों के लिहाज से काफी पर्याप्त होते हैं और हम इंसानों की तुलना में गणना तो तेज करते हैं. पर वे बहुत ज्यादा और वह भी जल्दी गणना करने में सक्षम नहीं होते हैं. जैसे मौसम के बारे मे अब तक मिली जानकारी को डाल कर उन्हें प्रोसेस कर अगलॉ कुछ दिन के मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए सुपरकम्प्यूटर की जरूरत होगी. इस तरह सुपरकम्प्यूटर बहुत ही उच्च स्तर की पर्फोर्मेंस देने वाले कम्प्यूटर होते हैं.
कैसे होती है सुपरकम्प्यूटर की क्षमता की गणना?
सुपरकम्प्यूटर की क्षमता को (FLOPS) से मापा जाता है, जो कि फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन पर सेकेंड होता है. यह आंकड़ों को प्रोसेस करने यानी गणना करने की गति को दर्शाता है. भारत में जो सुपरकम्प्यूटर हैं वे पीटा फ्लॉप्स (10 के आगे 15 शून्य) तक की गणना कर सकते हैं, जबकि आम कम्प्यूटर मिलियन फ्लॉप्स में गणना कर पाते हैं. इस तरह एक साधारण सा सुपरकम्प्यूटर भी कम से कम 60 हजार पर्सनल कम्प्यूटर के बारबर होता है.
एक सामान्य कम्प्यूटर साधारण की गणना बहुत तेजी से करता है, लेकिन जटिल गणना करने में केवल सुपर कम्पयूटर ही सक्षम होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
कहां होता है इनका इस्तेमाल?
सुपरकम्प्यूटर मौसम और जलवायु के अलावा, एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, रिसर्च, रक्षा, चिकित्सा आदि कई क्षेत्रों में होती है. रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में नाभकीय प्रतिक्रियाओं की गणना हो पृथ्वी के किसी इलाके में तेल और गैस की खोज करना हो सुपरकम्प्यूटर मददगार होते हैं.
कैसे होता है इस्तेमाल
सुपरकम्पयूटिंग का इस्तेमाल जटिल गणनाओं वाले मॉडलिंग और सिम्यूलेशन में होती है इसमें बहुत से प्रोग्राम और निर्देश को मिला कर एक एल्गॉरिदम बनाया जाता है. इनमें आंकड़े की जानकारी देकर नतीजे हासिल किए जाते हैं. जैसे अंतरिक्ष में तारा बनने को देख समझ कर हासिल की जानकारी को कम्प्यूटर में डालने के बाद अगर हमें उसके अंत के हालात का पता लगाना हो, तो इस काम के लिए हमारे कम्प्यूटर को बहुत ही ज्यादा मात्रा में डेटा को प्रोसेस कर गणना करनी होगी. और अगर यह काम हमें लाखों करोड़ों तारों वाली गैलेक्सी के लिए करना हो तो? ऐसे ही कामों के लिए सुपरकम्प्यूटिंग की जरूरत होती.
इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा सुपरकम्प्यूटर अमेरिका के पास हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Unsplash)
कितने सुपरकम्प्यूटर हैं?
दुनिया में पहला सुपरकम्प्यूटर 1964 में बना सीडीसी 6400 माना जाता है. जबकि इसकी जरूरत द्वितीय विश्वयुद्ध के समय कम्प्यूटर बनाने की जरूरत के समय ही बन गई थी. इस समय दुनिया में कुछ हजार सुपरकम्प्यूटर ही हैं, इनमें से 500 बेस्ट सुपरकम्पयूटर को सूचीबद्ध करने का काम टॉप500 प्रोजेक्ट करता है. इसके मुताबिक दुनिया के शीर्ष 500 सुपरकम्प्यूटर में अमेरिका के 182, चीन के पास 63, जर्मनी के प स 41, जापान के पास 34, फ्रांस के पास 24, इसके बाद 24 देशों के पास 15 से कम कमप्यूटर हैं.
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भारत के पास 7 सुपर कम्प्यूटर हैं. जो शीर्ष 500 सुपरकम्प्यूटर में शामिल हैं. लेकिन ये संख्या केवल शीर्ष 500 सुपरकम्प्यूटर वाली है. लेकिन भारत के पास अभी कुल 33 सुपरकम्प्यूटर हो चुके हैं यही जानकारी हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री ने दी है. इन की क्षमता 32 पेटाफ्लॉप्स है.
Tags: Cyber Knowledge, Science facts, Science news, Tech Knowledge, Weird news
FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 14:26 IST
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