मदरसे के कमरे में यही कंकाल पड़ा मिला है।
कानपुर के एक मदरसे में बच्चे का कंकाल पड़ा मिला। मदरसे का ताला टूटने की बात पता चलने पर आज जब मालिक वहां पहुंचे, तब यह बात सामने आई। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस और फोरेंसिक टीम ने कंकाल को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है।
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कमरे में कोई और चीज पड़ी नहीं मिली है। यह भी पता नहीं चला कि ये हत्या है या बच्चा गलती से मदरसे के अंदर बंद हो गया था। फिर भूख और बीमारी से उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद सामने आएगा कि बच्चे की मौत कैसे हुई? फिलहाल जाजमऊ थाने की पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। यह मदरसा पोखरपुर इलाके में है। 4 साल पहले कोविड काल में इसको बंद कर दिया गया था।
अब सिलसिलेवार पूरा मामला समझिए…
कंकाल की हडि्डयों के सैंपल कलेक्ट किए गए हैं। इनकी जांच के बाद सच सामने आएगा।
4 साल पहले मदरसा बंद हुआ था शब्बीर अहमद बेकनगंज में रहते हैं। उनका जाजमऊ के पोखरपुर फार्म वाली गली में करीब 100 वर्ग गज का 2 मंजिला मकान है। इसमें शब्बीर के दामाद परवेज अख्तर 2015 में मदरसा चलाते थे। उस वक्त यहां 70 से ज्यादा बच्चे पढ़ते थे।
वह नई सड़क पर रहते हैं। इस मदरसे का नाम कदरिया उलूम था। आस-पास रहने वाले लोगों ने बताया कि करीब 4 साल पहले कोविड काल में यह मदरसा बंद कर दिया गया था। 2 साल पहले परवेज अख्तर की भी मौत हो गई, उन्हें कैंसर था।
पुलिस ने कंकाल को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
ताला टूटा था, अंदर गए तो शव पड़ा था परवेज के बेटे अमजा ने बताया- डेढ़ से दो साल पहले हम लोग जब मदरसा पर आए थे, तब भी ताला टूटा मिला था। तब नया ताला लगाया था। तब हम लोगों ने अंदर जाकर नहीं देखा था कि वहां क्या है?
बुधवार दोपहर 12 बजे KDA में रहने वाले हमारे ममेरा भाई अनस ने बताया कि मदरसे का ताला फिर से टूटा पड़ा है। इसके बाद हम लोग वहां पहुंचे। आज अंदर जाकर देखा, तो कमरे में एक बच्चे का कंकाल पड़ा था। इसके बाद हमने तुरंत पुलिस को इस बारे में बताया।
कंकाल मिलने की सूचना के बाद आस-पास के लोग इकट्ठा हो गए। पुलिस उनके भी बयान दर्ज कर रही है।
रिश्तेदार बोले-कोरोना काल से पढ़ाई बंद थी मदरसे की बिल्डिंग में बाहर लोहे का गेट लगा है। अंदर प्रवेश करने से पहले लोहे का चैनल है। इसके अंदर एक ओर प्रथम तल जाने के लिए जीना बना है। वहीं, दूसरी ओर एक क्लास रूम है, जिसमें धूल से सनी कुछ सीटें व बेंच पड़ी हुई थीं।
चौंकाने वाली बात यह है कि ब्लैक बोर्ड में क्लास वर्क में 20/05/2023 की तारीख लिखी है, जबकि परिवार और रिश्तेदारों का दावा है कि कोरोना काल से पढ़ाई बंद है। ऐसे में सवाल उठता है कि उस दिन कौन पढ़ा गया।
किचन के सामने बने कमरे में मिला कंकाल मदरसे में क्लास रूम के पीछे एक किचन बना है। इसके सामने छोटा सा कमरा है जिसमे बच्चे का कंकाल मिला है। इस छोटे कमरे पर खिड़की भी लगी है। इसके अलावा मदरसे में पीछे खुले मैदान की ओर एक दरवाजा भी है लेकिन, इसमें अंदर से ताला बंद है।
अक्सर आती है दुर्गंध, इसलिए नहीं हुआ शक मदरसे के नजदीक ही विजय सिंह रहते हैं। उन्होंने कहा- सामने जंगल है, जिसमें लोग मरे जानवर बोरी आदि फेंक जाते हैं। इसलिए घरों में दुर्गंध आया करती है। यही वजह है कि पड़ोस के मकान में शव की दुर्गंध का आभास ही नहीं हुआ। कंकाल के शरीर पर हाफ पैंट जो खुला पड़ा था। ऊपर के कपड़े भी चढ़े थे।
पार्षद जितेन चौरसिया ने बताया कि ये मदरसा 4 साल से बंद है। यहां कोई आता-जाता नहीं है। लाश यहां कैसे आई, ये नहीं पता।
यह कहना मुश्किल कि शव मेल है या फीमेल कुछ देर बाद ही ADCP पूर्वी राजेश कुमार श्रीवास्तव और फोरेंसिक टीम आ गई। पड़ताल करने के बाद साक्ष्य इकट्ठे किए। फोरेंसिक एक्सपर्ट की मानें, तो शव पूरी तरह से डिस्पोज हो चुका है। सिर्फ कंकाल और उसके ऊपर कपड़ा बचा है। कंकाल को देखकर यह भी बताना मुश्किल हो रहा है कि मेल या फीमेल, किसका शव है। मामले की जांच की जा रही है।
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