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शाहजहांपुर: इन दिनों रबी की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई हो रही है. इसी के साथ ही किसान सरसों चना एवं मटर की भी खेती करते हैं. परंतु गेहूं की खेती करने वाले किसानों को फसल लगने वाले रोग एवं कीट को लेकर चिंता रहती है. क्योंकि गेहूं की फसल में रोग एवं कीट लगने से फसल प्रभावित हो जाती है. जिसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है. ऐसा ही एक रोग है कंडुआ, जो गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है. इस रोग के चपेट में आने से उत्पादन में भारी गिरावट आती है और कई बार गेहूं की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि कंडुआ रोग एक गंभीर फंगल रोग है जो गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है. यह रोग गेहूं के दानों को संक्रमित करता है और फसल की उपज को कम कर देता है. संक्रमित दाने काले हो जाते हैं और इन पर एक काली परत चढ़ जाती है. कुछ समय बाद, संक्रमित दाने फट जाते हैं और उनमें से काला चूर्ण निकलता है. यह रोग फसल के उत्पादन को प्रभावित करता है. यह रोग एक फंगस के कारण होता है जो गेहूं के फूल आने के समय दानों को संक्रमित करता है. यह फंगस हवा के माध्यम से फैलता है.

ऐसे करें बीजों का उपचार
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बीज उपचारित करने के लिए 2 से 2.5 ग्राम कैप्टान या थीरम नाम का रसायन 1 किलो बीज उपचारित करने के लिए पर्याप्त होता है. 2 से 2.5 ग्राम बावस्टीन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. 40 किलोग्राम बीज उपचारित करने के लिए 100 ग्राम कैप्टान या बावस्टीन की जरूरत होती है. बीज उपचारित करने के लिए गेहूं के बीज को छायादार स्थान पर फर्श पर बिछाएं, बीज पर पानी का छिड़काव करें और रसायन को बीज के ऊपर बिखेर दें. अच्छी तरह से हाथ से पूरे बीज को मिला दें. इसके बाद गेहूं की फसल की बुवाई की जा सकती है.

ट्राइकोडर्मा से करें मिट्टी का उपचार
गेहूं की फसल को कंडुआ रोग से बचाने के लिए मृदा उपचार भी जरूरी है.अगर एक बार गेहूं की फसल में कंडुआ रोग आ जाता है तो मिट्टी में संक्रमण बना रहता है. इसके बाद अगली बार फिर से गेहूं की फसल की बुवाई करने पर फसल में कंडुआ रोग का प्रभाव दिख सकता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान गेहूं की बुवाई से पहले खेत को ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर लें. एक एकड़ जमीन के लिए 2 किलोग्राम ट्रिकोडरमा को 50 से 60 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर एक सप्ताह से 10 दिनों तक छायादार स्थान पर ढक दें. उसके बाद ट्राइकोडर्मा के इस पूरे मिश्रण को खेत में बिखेर कर अंतिम जुताई कर खेत को बुवाई के लिए तैयार कर लें.

इन बातों का रखें ध्यान

  • गेहूं की किस्मों का सावधानी पूर्वक चयन करें.
  • कंडुआ रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें.
  • फसल चक्र का उपयोग करें
  • एक ही खेत में लगातार गेहूं की खेती न करें.
  • अगर गेहूं की फसल में कंडुआ रोग के लक्षण दिखाई दें संक्रमित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें.

Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttarakhand news

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