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किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने वीडियो जारी कर जानकारी दी है कि जगजीत सिंह डल्लेवाल को पुलिस उठाकर ले गई है।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आज से हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल शुरू करने वाले हैं। यह घोषणा उन्होंने 4 नवंबर को ही कर दी थी। हालांकि, तारीख आते ही पुलिस ने उन्हें रातोरात डिटेन कर लिया गया है।

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किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने जानकारी दी है कि सोमवार रात करीब 2 बजे डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर से उठा लिया गया है। उन्हें कहां ले गए हैं, इसकी जानकारी नहीं है। जिन्होंने डल्लेवाल को उठाया है, उनमें कई पुलिसवाले हिंदी भाषा बोल रहे थे।

पंधेर का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों पर जुल्म ढहा रही है। डल्लेवाल को CM भगवंत मान की जूरिडिक्शन से उठाया गया है, इसलिए पंजाब सरकार को किसानों के प्रति अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। बताना होगा कि उन्हें कहां ले गए हैं? अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

डल्लेवाल ने 4 नवंबर को ऐलान किया था कि वह आमरण अनशन पर बैठेंगे।

अनशन पर जाने से पहले डल्लेवाल ने जमीन परिवार के नाम की डल्लेवाल ने 4 नवंबर को ऐलान किया था कि पार्लियामेंट सेशन शुरू होते ही वह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसके बाद 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे। एक दिन पहले सोमवार को फरीदकोट में जगजीत सिंह डल्लेवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि वह सिर पर कफन बांधकर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। केंद्र सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होंगी या फिर वह अपनी जान कुर्बान कर देंगे। उनकी मौत से भी आंदोलन नहीं रुकेगा। मौत के बाद दूसरे नेता आमरण अनशन शुरू करेंगे।

इसलिए, अपनी जमीन को पुत्र, पुत्रवधू और पौत्र के नाम करवा दिया है, ताकि कोई विवाद न रहे। किसान संगठन जागरूकता अभियान के तहत घर-घर जाकर समर्थन जुटा रहे हैं और अपनी मांगों के बारे में लोगों को जानकारी दे रहे हैं। अनुमान है कि हजारों की गिनती में किसान खनौरी बॉर्डर पर पहुंचेंगे।

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि डल्लेवाल MSP समेत 12 मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठ रहे हैं। 13 फरवरी से किसान आंदोलन-2 चल रहा है। कई किसान शहीद हुए। 450 से ज्यादा किसान घायल हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी मोदी सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है।

कोहाड़ बोले- आमरण अनशन में सहयोग करें उन्होंने कहा कि मोदी अक्सर बाहर जाते हैं तो कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे बड़े वर्ग यानी किसान वर्ग की बातों को ही नहीं सुना जा रहा। ऐसे में मजबूर होकर यह फैसला लिया कि डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठेंगे।

उन्होंने आग्रह किया कि सभी साथी डल्लेवाल का सहयोग करें। यह नहीं हो कि अनशन शुरू होने के बाद एक दिन आ गए और फोटो-वीडियो खिंचवा के चले गए। इससे काम नहीं चलेगा।

बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली दिल्ली जाएंगे किसान इधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने 18 नवंबर को ऐलान किया था कि किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने कहा था कि 9 महीने से किसान चुप बैठे हैं, लेकिन सरकारों की ओर से हमारी उपेक्षा की जा रही है। इस कारण दिल्ली जाने का फैसला लिया है।

इस बार किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के बजाय पैदल मार्च करेंगे। इसमें पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसान शामिल होंगे​। सरकार के पास 10 दिन का समय है।

किसानों-सरकार की मीटिंग बेनतीजा रही सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी और किसान नेताओं की 4 नवंबर को चंडीगढ़ में मीटिंग हुई थी। मीटिंग की अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह ने की। मीटिंग में किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरे किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल नहीं पहुंचे।

पंधेर ने मीटिंग में आने से मना कर दिया था, जबकि डल्लेवाल ने तबीयत खराब होने का हवाला दिया था। डल्लेवाल के संगठन के सदस्य मीटिंग में शामिल हुए। किसानों ने अपनी 12 मांगें सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सामने रखीं। किसानों ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

यह तस्वीर 4 नवंबर की है, जब किसान नेता चंडीगढ़ में सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी के साथ मीटिंग में शामिल होने पहुंचे थे।

13 फरवरी को दिल्ली कूच करने निकले थे फसलों पर MSP की गारंटी समेत दूसरी मांगों को लेकर पंजाब के किसान 13 फरवरी 2024 को दिल्ली कूच करने के लिए निकले थे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर, खनौरी बॉर्डर और डबवाली बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई।

शंभू बॉर्डर पर किसानों ने पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इससे अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।

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