सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी से जुड़ी आज दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। एक नई याचिका आज 22 नवंबर को हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी में सीलबंद वजूखाने के एरिया के ASI सर्वे की मांग की। इसी जगह पर एक ठोस संरचना मिली थी, जिस
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हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर की बाकी जगह की तरह इस सीलबंद एरिया का भी सर्वे जरूरी है, ताकि वहां पर मंदिर की मौजूदगी साबित करने के लिए और सबूत मिल सके। सुप्रीम कोर्ट के 2022 में दिए आदेश के मुताबिक, वजुखाने वाली जगह अभी सील है। हिंदू पक्ष अब इस आदेश में बदलाव की मांग कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को नोटिस भेजा है। 15 दिन में मुस्लिम पक्ष को जवाब दाखिल करना होगा।
ज्ञानवापी के वुजूखाने में 16 मई 2022 को ये ठोस संरचना मिली थी। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये शिवलिंग है।
ज्ञानवापी से जुड़े 15 केस हाईकोर्ट ट्रांसफर कर एकसाथ सुने जाने की मांग इसके अलावा पिछले महीने दाखिल एक याचिका पर भी आज सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष ने मांग की थी कि ज्ञानवापी से जुड़े सभी 15 मामलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए, ताकि उन पर एक साथ सुनवाई हो सके। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी किया। मुस्लिम पक्ष को 2 हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
ज्ञानवापी से जुड़े 9 मुकदमे वाराणसी जिला जज और 6 मुकदमे सिविल जज सीनियर डिवीजन, वाराणसी की अदालत में चल रहे हैं। ये याचिका लक्ष्मी देवी और तीन अन्य महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। इस केस की भी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा है। दोनों केस की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
‘कानून के महत्वपूर्ण सवाल बड़ी अदालत ही तय करे’ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन 15 मुकदमों में कानून के महत्वपूर्ण सवाल भी शामिल हैं, जिन्हें बड़ी अदालत को ही तय करना चाहिए। इन सवालों में हिस्टोरिकल फेक्ट्स, ASI संबंधित सवाल, हिन्दू और मुस्लिम लॉ और संविधान के अनुच्छेद-300 ए की व्याख्या जैसे सवाल भी शामिल हैं। इसलिए इन मुकदमों की सुनवाई हाईकोर्ट में होनी चाहिए।
ज्ञानवापी में वजूखाना कोर्ट के आदेश पर सील है।
1991 से अब तक ज्ञानवापी का पूरा मामला समझिए…
- आजादी से पहले से अब तक ज्ञानवापी पर विवाद कई बार सुर्खियों में रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का हिस्सा है। इसको लेकर कई बार मुकदमे हुए, लेकिन वह किसी रिजल्ट तक नहीं पहुंचे हैं। 1991 में पहली बार यह विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में आया।
- तब वाराणसी के पंडित सोमनाथ व्यास समेत 3 ने कोर्ट में केस दायर किया। इसमें इन्होंने ज्ञानवापी को काशी विश्वनाथ परिसर का ही हिस्सा होने की बात कही। याचिका में कोर्ट से अपील की गई थी कि ज्ञानवापी में दर्शन, पूजन और सनातनी धर्म के अन्य कार्यों को नियमित करने की अनुमति दी जाए।
- इस मामले में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सर्वे करने के आदेश दिए। हालांकि, वाराणसी कोर्ट के इस आदेश पर मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट ने सर्वे पर स्टे लगा दिया। तब से यह केस फ्लोर में नहीं आया।
2021 में 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी पर दाखिल की याचिका
- दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर ने वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में 18 अगस्त 2021 में एक याचिका दाखिल की।
- इसमें कहा गया कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं का स्थान है। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा के लिए सर्वे कराकर स्थिति स्पष्ट करने की बात भी याचिका में कही गई।
- मां शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी के पिछले हिस्से में है। 1992 से पहले यहां नियमित दर्शन-पूजन होता था। लेकिन, बाद में सुरक्षा व अन्य कारणों से बंद होता चला गया। अभी साल में एक दिन चैत्र नवरात्र पर शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की अनुमित होती है।
- मुस्लिम पक्ष को शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन में आपत्ति नहीं है। उनका विरोध पूरे परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी कराए जाने पर है।
कोर्ट ने इस याचिका पर सर्वे का आदेश दिया
- 5 महिलाओं की याचिका पर करीब आठ महीने तक सुनवाई और दलीलें चलतीं रहीं। 26 अप्रैल को कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया। इसके लिए, कोर्ट ने ही एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए। सर्वे टीम 6-7 मई को सर्वे के लिए पहुंची तो वहां हंगामा और विरोध हुआ।
- इसके बाद दोनों पक्ष फिर कोर्ट गए। मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर को बदलने की मांग की। हिंदू पक्ष ने तहखानों समेत पूरे परिसर की वीडियोग्राफी की मांग की। दोनों ने तीन दिन तक फिर से दोनों पक्षों को सुना। इसके बाद कोर्ट ने 12 मई को ASI सर्वे कराने को लेकर फाइनल फैसला सुनाया था।
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