संभलः उत्तर प्रदेश में काशी-मथुरा के बाद अब संभल के जामा मस्जिद पर हिंदुओं ने दावा कर दिया है और इसको लेकर जिला न्यायालय में हिंदू पक्ष ने याचिका भी लगा दी है, जिसके निर्देश के बाद मस्जिद के अंदर सर्वे भी हो गया. हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही जामा मस्जिद जिस जगह पर बनी है, वहां पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करता था, जिसे तोड़वाकर बाबर ने 1529 में मस्जिद बनवा दिया. अपनी याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को अपना आधार बनाया है. किताब में बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी है और रिपोर्ट ASI की है. वहीं संभल के जिला कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट मांगी है. हालांकि इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद कमेटी ने भी कोर्ट में अपील दाखिल की है. अब अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी. हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में गृह मंत्रालय, एएसआई के डायरेक्टर जनरल, एएसआई मेरठ सर्किल के अधीक्षक, संभल जिले के डीएमऔर जामा मस्जिद की प्रबंध कमेटी को पार्टी बनाया है.
बाबरनामा
बाबरनामा किताब में पेज नंबर 687 पर जिक्र है कि साल 1529 में बाबर संभल में आया था. बाबर ने जो आत्मकथा लिखी है, वो तुर्की भाषा में है, इसका अनुवाद एनेट सुसान्नाह बेवरिज ने किया था. अनुवादक ने अपनी टिप्पणी में लिखा है, ‘हिंदू बेग कुचिन 932 हिजरी में हुमायूं का सेवक था. 933 हिजरी में संभल में उसने एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था. यह बाबर पर आदेश किया गया. मस्जिद पर आज भी मौजूद एक शिलालेख में इसकी याद दिलाई जाती है.’
आइन-ए-अकबरी
अकबर के शासनकाल में फारसी भाषा में अबुल फजल ने यह किताब लिखी. 1589 से 1600 के बीच लिखी गई पुस्तक में पेज नंबर-281 पर लिखा है, ‘सम्बेल (संभल) में प्रचुर मात्रा में शिकार उपलब्ध है, जहां गैंडा पाया जाता है. यह एक छोटा हाथी जैसा जानवर है, जिसके पास सूंड नहीं होती. इसके थूथन पर एक सींग होती है, जिससे यह दूसरे जानवरों पर हमला करता है. इसकी खाल से ढाल बनाई जाती है और सींग से धनुष की डोरी, संभल शहर में हरि मंडल (विष्णु का मंदिर) नामक एक मंदिर है, जो एक ब्राह्मण का है, ये एक प्राचीन स्थान है, जो शेख फरीद-ए-शंकर गंज के उत्तराधिकारी जमाल का विश्राम स्थल है.
ASI रिपोर्ट
एएसआई ने 1874-76 के बीच संभल शहर से संबंधित प्राचीन पुरावशेषों के बारे में तत्कालीन महानिदेशक मेजर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम की देखरेख में रिपोर्ट बनाई और फिर इस रिपोर्ट को एक पुस्तक के तौर पर प्रकाशित किया गया. इसमें 1874-1876 के बीच किए गए सर्वे के संबंध में पेज नंबर-24 से 27 तक संभल का उल्लेख किया गया है.पुस्तक में लिखा है, ‘पुराना शहर संभल, रोहिलखंड के बिल्कुल बीचों-बीच महिष्मत नदी पर बसा है. सतयुग में इसका नाम साब्रित या सब्रत और संभलेश्वर बताया जाता है. त्रेतायुग में इसे महादगिरि और द्वापर युग में पिंगला कहा जाता है.
हिंदू पक्ष ने यह भी दलील दी है कि संभल ऐतिहासिक शहर है, हिंदू शास्त्रों में इसकी जड़ें गहरी हैं. यहां भगवान विष्णु के एक अवतार कल्कि, भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार हैं, जिनका आगमन कलयुग में होना तय है. माना जाता है कि उनके अवतरण से कलयुग का अंत होगा और अगले युग की शुरुआत होगी, जिसे सतयुग के नाम से जाना जाएगा.
Tags: UP news
FIRST PUBLISHED : November 22, 2024, 08:34 IST
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