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विष्णु शर्मा.

जयपुर. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर कुंजीलाल मीणा को 12 लाख रुपये की रिश्वत से जुड़े बहुचर्चित मामले में क्लीन चिट दे दी है. एसीबी ने करीब डेढ़ साल पुराने इस ट्रैप केस में जांच पूरी कर उदयपुर की विशेष अदालत में चार्जशीट पेश कर दी है. इसमें यूडीएच के तत्कालीन प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा, संयुक्त सचिव मनीष गोयल और सहायक अनुभाग अधिकारी हरिमोहन मीणा को रिश्वत कांड में दोषी नहीं माना है. एसीबी ने सिर्फ दलाल गौरव जैन को ही रिश्वत कांड में दोषी माना है.

जानकारी के अनुसार साल 2023 में उदयपुर निवासी परिवादी ने एसीबी मुख्यालय जयपुर में एक शिकायत दर्ज करवाई थी. उसने अपनी शिकायत में बताया कि उसकी जमीन का भू रुपांतरण करने की फाइल यूडीएच डिपार्टमेंट में अटकी हुई है. इस फाइल में एनओसी दिलवाने की एवज में दलाल गौरव जैन ने लाखों रुपये की रिश्वत मांगी है. दलाल गौरव जैन ने पीड़ित को बताया कि उसकी यूडीएच के टॉप अफसरों से अच्छी पहचान है. वह उसे जल्द ही एनओसी दिलवा देगा.

एसीबी ने डेढ़ साल पहले किया था दलाल गौरव जैन को ट्रैप
एसीबी जयपुर की स्पेशल यूनिट ने शिकायत का सत्यापन किया. उसमें दलाल गौरव जैन ने यूडीएच के तत्कालीन प्रमुख सचिव सहित अन्य अफसरों के नाम लिए थे. 8 मई 2023 को एसीबी की जयपुर से उदयपुर पहुंची. टीम ने गौरव जैन को 12 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था. दलाल गौरव जैन के ट्रैप होने के बाद एसीबी ने एक एफआईआर दर्ज की. उसमें यूडीएच के तत्कालीन प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा, संयुक्त सचिव मनीष गोयल और सहायक अनुभाग अधिकारी हरिमोहन मीणा को भी आरोपी मानते हुए रिश्वत केस में नामजद किया था. लेकिन डेढ़ साल बाद एसीबी ने जब कोर्ट में चार्जशीट फाइल की तो उसमें माना कि तीनों ही अधिकारियों का इस रिश्वत केस में कोई हाथ नहीं है.

इसलिए बच गए सीनियर आईएएस और अन्य दोनों अफसर
एसीबी ने चार्जशीट में बताया है कि दलाल गौरव जैन ने जब परिवादी से 12 लाख रुपये की रिश्वत की डिमांड की थी उससे पहले ही यूडीएच के तत्कालीन संयुक्त सचिव मनीष गोयल ने भूरुपांतरण के लिए आई फाइल को आगे बढ़ा दिया था. रिश्वत की मांग का सत्यापन 10 अप्रेल को किया गया था. जबकि मनीष गोयल इस फाइल को 23 मार्च को ही अपनी टिप्पणी के साथ आगे बढ़ा चुके थे. वहीं परिवादी ने बताया था कि वह अपने काम के लिए कई बार सचिवालय गया था. जबकि एसीबी की जांच में परिवादी के सिर्फ दो बार ही सचिवालय जाने की पुष्टि हुई है. दूसरी तरफ रिश्वत लेते पकड़े गए दलाल गौरव जैन ने पूछताछ में किसी भी अधिकारी का नाम नहीं लिया. इस वजह से जांच ऑफिसर ने आईएएस कुंजीलाल मीणा, संयुक्त सचिव मनीष गोयल व अनुभागाधिकारी हरिमोहन मीणा पर लगे रिश्वत मांगने के आरोप सही नहीं माने.

Tags: Big news, Corruption case, IAS Officer

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