Image Slider

झांसी. झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड को 5 दिन बीत चुके हैं लेकिन, अभी तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है. 12 बच्चों की मौत के बाद भी यह तय नहीं हो पाया है कि किसकी लापरवाही से NICU वार्ड लाक्षागृह में तब्दील हो गया था. जांच पर जांच चल रही है लेकिन किसी पर आंच नहीं आई है.गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज अग्निकांड के बाद यूपी सरकर ने कमिश्रर विमल दुबे और डीआईजी कलानिधि नैथानी की 2 सदस्यीय कमिटी गठित कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट मांगी थी. इस 2 सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. जांच में यह बात सामने आई है कि मेडिकल कॉलेज अग्निकांड एक हादसा था. कोई साजिश नहीं थी. जबकि डीजीएमई डॉ. किंजल सिंह की अध्यक्षता में गठित 4 सदस्यीय टीम अभी अपनी जांच कर रही है.इस पूरे मामले में झांसी की जनता क्या सोचती है यह जानने के लिए लोकल 18 ने आम लोगों से बात की.

एक व्यक्ति संजय पटवारी ने कहा कि इस पूरी घटना में जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती चल रही है. कई लोगों को बचाने का काम जारी है. इसमें मेडिकल प्रशासन से जुड़े लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. महेंद्र द्विवेदी ने कहा कि जब पहले ही पता था वायरिंग गलत है तो उसे ठीक क्यों नहीं गया? शासन से आए 4 करोड़ रुपए कहां खर्च हुए? इसका भी हिसाब होना चाहिए. एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि इस घटना की वजह से नवजात बच्चों ने अपनी जान खो दिया है. जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.

जिम्मेदारों को बचाने के लिए जांच की नौटंकी
पंकज रावत ने कहा कि इसमें पूरी जिम्मेदारी प्रिंसिपल और सीएमएस की है. उनकी ही देखरेख में यह सारा काम होना था. लेकिन, जिस तरह से क्लीन चिट दी जा रही है यह गंभीर सवाल खड़े करता है. जांच के नाम पर जिम्मेदार लोगों को बचाया जा रहा है. यहां के डॉक्टर मेडिकल कॉलेज में इसलिए सुविधाएं कम रखते हैं जिससे मरीज उनके द्वारा चलाए जा रहे प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा सके.,

FIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 20:00 IST

———-

🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।

 

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||