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-हरियाणा से बिहार में शराब तस्करी के लिए गाजियाबाद आए तीन तस्करों को आबकारी विभाग ने दबोचा
-90 हजार की हरियाणा शराब ने लगाया 7 लाख का चूना, एक्सेंट कार को किया सीज
-शराब तस्करी के लिए गाजियाबाद में रेलवे स्टेशन के पास लिया हुआ था किराए पर कमरा
-हरियाणा की सस्ती शराब का हो रहा था स्टॉक, गाजियाबाद से बिहार शराब तस्करी के लिए ट्रेन का करते थे इस्तेमाल

उदय भूमि
गाजियाबाद। जनपद गाजियाबाद को अवैध शराब के कारोबार से मुक्त करने के लिए चल रही आबकारी विभाग की कार्रवाई का ही परिणाम है जिस जिले में पहले शराब माफिया का राज होता था, वहीं आज गाजियाबाद में आबकारी विभाग का राज दिखाई दे रहा है। आबकारी विभाग का यह राज यूं ही एक दिन में स्थापित नहीं हुआ है। बल्कि इसके लिए आबकारी विभाग की टीम ने खूब मेहनत की है, इसी का परिणाम है कि अब गाजियाबाद में शराब माफिया क्यो छोटे तस्करों की भी दाल नही गलती है। जिले में चोरी छिपे शराब तस्करी करने वाले तस्कर हो या फिर बाहरी राज्यों से शराब तस्करी करने वाले माफिया, इन सबको जिले में आने से रोकने के लिए आबकारी विभाग की टीम ने जिले में चारों तरफ अपना सख्त पहरा बैठाया हुआ है। जिले में मौजूद आबकारी निरीक्षक मनोज शर्मा, अखिलेश बिहारी वर्मा, त्रिवेणी प्रसाद मौर्य, डॉ. राकेश त्रिपाठी, अनुज वर्मा और अभय दीप सिंह को शराब तस्करों से निपटने में महारथ हासिल है।

क्योंकि हर कोई शराब तस्करों पर कार्रवाई के लिए नए-नए तरीकों का इजाद कर शराब तस्करों से दस कदम आगे बढ़कर उनकी रणनीति को धराशायी कर रहे है। ऐसा इसलिए संभव है कि जिले में शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आबकारी अधिकारी भी अपनी टीम को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ नई रणनीति के तहत कार्रवाई करने के लिए योजना बनाते रहते है। जिस पर टीम कार्रवाई कर शराब तस्करों पर हावी होती नजर आ रही है। जिले में एक बार फिर से आबकारी विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अवैध शराब समेत तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए तीन तस्करों ने जिले को ही अपना अवैध शराब का गोदाम बनाने के लिए तीन दिन पहले ही किराए पर मकान लिया था। वहीं पर हरियाणा से शराब लाकर एकत्रित किया जा रहा था। गाजियाबाद में हरियाणा शराब का स्टॉक कर उसे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से बिहार पहुंचाने की फिराक में थे। जिसके लिए उन्होंने गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के समीप ही किराए पर कमरा लिया हुआ था। देखा जाए तो गाजियाबाद स्टेशन में प्रवेश करने के लिए चेकिंग मशीन लगी हुई है।

मगर उसके अलावा भी कई ऐसे रास्ते है, जहां से स्टेशन आसानी से पहुंचा जा सकता है और वहां से ट्रेन के माध्यम से बिहार आसानी से शराब पहुंच सकती है। शराब तस्करों ने अपने इस धंधे को छिपाने के लिए ओला कैब में गाड़ी चलाते थे और उसी गाड़ी में हरियाणा से शराब तस्करी करते थे। शराब तस्करी के दौरान एक ड्राइविंग करता था तो दो अन्य साथी सवारी बनकर गाड़ी में बैठ जाते थे। जिससे किसी को शक न हो और आसानी से शराब तस्करी हो सकें। लेकिन उनके सपनो को गाजियाबाद आबकारी विभाग की टीम ने पलभर में चकनाचूर कर दिया। बिहार पहुंचने से पहले शराब तस्करों को सलाखों के पीछे भेज दिया। आबकारी विभाग की इस कार्रवाई से एक बार फिर बिहार में शराब की आस लगाए बैठे लोगों की उम्मीद पर पानी फिर गया। जिले में इन दिनों शहर विधानसभा सीट पर मतदान चल रहा है। चुनाव से एक दिन पहले आबकारी विभाग की यह कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है।

जिला आबकारी अधिकारी संजय कुमार प्रथम का कहना है कि जिले में अवैध शराब के खिलाफ आबकारी विभगा की टीमें लगातार कार्रवाई कर रही है। कार्रवाई के साथ शराब की ओवर रेटिंग रोकने के लिए भी आबकारी विभाग की टीम के साथ खुद भी लगातार दुकानों का निरीक्षण किया जा रहा है। चुनाव को लेकर बुधवार शाम तक पांच बजे तक दुकाने पूर्ण रुप से बंद है, दुकाने शतप्रतिशत बंद रहे इसकी जांच के लिए आबकारी विभाग की टीम लगातार अपने-अपने क्षेत्र में चेकिंग कर रही है। मंगलवार रात को आबकारी निरीक्षक मनोज शर्मा की टीम ने मुखबिर की सूचना पर विजय नगर स्थित रेलवे रोड उत्सव भवन के पास चेकिंग के दौरान तीन शराब तस्करों को गिरफ्तार किया है। जिनकी पहचान राकेश पासवान पुत्र नंदकिशोर पासवान, मुरारी कुमार पुत्र शंभू सिंह निवासी मराची जिला पटना बिहार और राजीव कुमार पुत्र टुनटुन सिंह निवासी गांव हिंदूपुर बडहिया जिला लखीसराय बिहार के रुप में हुई है। जिनके पास से तस्करी में प्रयुक्त हरियाणा नंबर एक्सेंट कार में रखी 98 बोतल अंग्रेजी शराब (फॉर सेल इन हरियाणा ऑनली) बरामद किया गया।

जिसमें इम्पीरियल ब्लू ब्रांड की 48 बोतल, रॉयल ग्रीन व्हिस्की ब्रांड की 42 बोतल और मैजिक मोमेंट ब्रांड की 8 बोतल और तीन मोबाइल बरामद हुआ। बरामद शराब की कीमत करीब 90 हजार रुपये है, मगर इसी शराब को बिहार में बेच कर तस्कर करीब तीन से चार गुना अधिक की कमाई करते। 90 हजार की शराब के चक्कर में करीब 7 लाख की कार भी अब सीज हो गई। अब कार कबाड़ में सडऩे के बाद ही शायद इन्हें मिलेगी। पकड़े गए तस्कर रात ही हरियाणा से शराब तस्करी कर गाजियाबाद में शराब छिपाने के लिए लेकर आए थे। पकड़े गए तस्करों के खिलाफ विजय नगर थाने में आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए जेल भेजा गया। जिन्होंने विजय नगर क्षेत्र में ही किराए पर कमरा लिया हुआ था। किराए के कमरे में ही शराब का स्टॉक कर रहे थे और गाजियाबाद से टे्रन द्वारा बिहार शराब भेजने की फिराक में थे।

तीन दिन पहले लिया था विजय नगर में किराए पर कमरा
आबकारी विभाग की टीम द्वारा पकडे तीन तस्कर इतने शातिर है कि हरियाणा से बिहार में शराब तस्करी के लिए गाजियाबाद के विजय नगर क्षेत्र में तीन दिन पहले ही किराए पर कमरा लिया हुआ था। जहां से यह शराब तस्करी करते थे। टीम ने जब शराब तस्करों को पकड़ा तो पता चला कि विजय नगर में किराए पर कमरा लिया हुआ था। जब टीम तस्करों को किराए के मकान पर लेकर लेकर पहुंची तो वहां मकान मालिक से पता चला कि वह रेलवे स्टेशन से सवारी बैठाते है, जो कि ड्राइवरी करते है। हरियाणा से शराब तस्करी के बाद इसे विजय नगर में किराए पर लिए हुए मकान मेंं छिपा देते थे और यहां से पिट्ठू बैगमें हरियाणा की शराब भरकर गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर टे्रन द्वारा बिहार में शराब तस्करी करते थे। बिहार में इसी शराब को महंगे दामों में बेचते है।

गाजियाबाद में हरियाणा की शराब पहुंचने के बाद बाहर भेजना इतना मुश्किल नहीं है। क्योंकि गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के लिए कई ऐसे दर्जनों चोर रास्ते है। जहां से शराब तस्कर आसानी से बिना पुलिस और आरपीएफ चेकिंग के प्लेटफार्म पर पहुंच सकते है और उसके बाद बिहार वाली टे्रन में सवार होकर बिहार पहुंच जाते है। लेकिन आबकारी विभाग की ठोस रणनीति और अलर्ट मुखबिर तंत्र के आगे शराब माफिया के सभी जुगाड़ धरे के धरे रह गए। आबकारी विभाग की टीम ने अपनी कार्रवाई से एक बार फिर से साबित कर दिया कि शराब माफिया कितने भी जुगाड़ लगा लें, मगर उनकी रणनीति के आगे उनके सभी जुगाड़ फेल है। शराब माफिया हो या फिर तस्कर गाजियाबाद में कदम रखने का मतलब उनकी जगह जेल है।

किराए की ओला कैब को शराब तस्करी में करते थे प्रयोग
शराब तस्करों ने हरियाणा शराब तस्करी के लिए हरियाणा नंबर की कार को ओला में चला रहे थे। उसी ओला कार को सवारी बैठाने और शराब तस्करी में प्रयोग करते थे। ओला कार में सवारी देख जल्दी से पुलिस भी चेक नहीं करती है। इसी का फायदा उठाकर शराब तस्करी हरियाणा से शराब तस्करी करते थे। जिसमें एक गाड़ी ड्राइव करता था तो बाकी दो साथी सवारी बनकर गाड़ी में बैठ जाते थे। उसके बाद गाड़ी में हरियाणा शराब की पेटी भरकर दिल्ली के रास्ते गाजियाबाद में आते थे और किराए के मकान में शराब छिपा देते थे। प्रतिदिन खर्चा निकालने के लिए बीच-बीच में गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से सवारी को बैठाकर उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम करते थे। असली काम तो इनका शराब तस्करी का था। आबकारी विभाग की टीम ने गाड़ी की जांच की तो गाड़ी भी किराए की निकली और जब गाड़ी मालिक से फोन पर बात की गई तो मालिक ने भी अपना बचाव करते हुए गाड़ी बेचने की बात कह डाली। लेकिन आबकारी विभाग की टीम ने शराब तस्करों के साथ गाड़ी मालिक के नाम भी मुकदमा दर्ज कराया है।

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