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-नगर निगम पर कंपनी ने 72 करोड़ रुपए नहीं देने का ठोका था दावा

गाजियाबाद। नगर निगम और मैसर्स व्हाईट प्लाकार्ड कंपनी के बीच हुए अनुबंध के तहत शहर में स्ट्रीट पोल पर लाइट लगाने वाली कंपनी व्हाईट प्लाकार्ड कंपनी का आर्बिट्रेशन कोर्ट में क्लेम खारिज हो गया। व्हाईट प्लाकार्ड कंपनी द्वारा किए गए दावे के इस मामले में 3 वर्ष 20 दिन बाद नगर निगम को बड़ी जीत मिली है। नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक के अथक प्रयास के बाद कंपनी का आर्बिट्रेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया। आर्बिट्रेशन कोर्ट द्वारा लिए गए अहम निर्णय के बाद कंपनी के 72 करोड़ रुपए के भुगतान नहीं किए जाने के क्लेम खारिज करने का निर्णय लिया है। नगर निगम द्वारा इस मामले में आर्बिट्रेशन कोर्ट में 40 सुनवाई गहनता से की गई।

बीते 17 नवंबर को कोर्ट में हुई 41वीं सुनवाई को नगर निगम के हित में निर्णय हुआ है। नगर आयुक्त ने बताया कि 28 नवंबर 2021 को मैसर्स व्हाइट प्लाकार्ड कंपनी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील याचिका दायर की गई। जिसमें फर्म द्वारा 23 अप्रैल 2022 को 72 करोड़ रुपए का नगर निगम पर दावा किया गया। इसके बाद नगर निगम द्वारा 30 अक्टूबर 2022 को काउंटर क्लेम 125 करोड़ रुपए का दाखिल किया गया। यह लगभग 2 वर्ष के बाद नगर निगम के विधि विभाग के अथक प्रयास से प्रभावी कार्रवाई की गई। जिसमें आर्बिट्रेशन कोर्ट में नगर निगम के हित में निर्णय सुनाया गया। आर्बिट्रेशन में क्लेेम को रिजेक्ट कर दिया।

नगर निगम के तत्कालीन प्रकाश प्रभारी आश कुमार ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में मामले में तीन सदस्य कमेटी गठित की गई थी। जिसमें तीन आर्बिट्रेटर नियुक्त किए गए। इनमें रिटायर्ड न्यायाधीश जनार्दन सहाय,राकेश तिवारी,संजय हरकोली थे। रिटायर्ड न्यायाधीश की कमेटी ने मैसर्स व्हाईट प्लाकार्ड कंपनी के केस में सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिया गया। नगर आयुक्त ने इस मामले में तत्कालीन प्रकाश प्रभारी आश कुमार,विधि अधिक्षक विशाल गौरव समेत टीम को प्रोत्साहित भी किया गया।




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