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– फोटो : एएनआई
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राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने सभी संबंधित विभागों को ग्रैप के नियमों का पालन करने के निर्देश दिए हैं। सरकार का कहना है कि वैज्ञानिकों ने दो दिनों की जो रिपोर्ट रखी है, उसके अनुसार प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के मुख्य दो कारण हैं।
पहाड़ों पर बर्फबारी होने से दिल्ली के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। इससे पूरे उत्तर भारत में सुबह-शाम धुंध की स्थिति बनी हुई है। वहीं,हवा की गति में कमी आई है। इन दो वजहों से प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण का स्तर 400 के पार चला गया है। 14 अक्तूबर के बाद से एक्यूआई खराब से बेहद खराब में बना हुआ था, अचानक दो दिनों में प्रदूषण का स्तर गंभीर है। इसे देखते हुए बृहस्पतिवार को ग्रीन वार रूम में पर्यावरण वैज्ञानिकों के साथ बैठक की गई। हवा की जो गति है उसमें सुधार होने का अनुमान है। इससे प्रदूषण के स्तर में कमी आने की संभावना है। सरकार सभी परिस्थितियों पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है।
प्रदूषण में दिल्ली का योगदान केवल 30%
गोपाल राय ने कहा कि सीएसई ने 12 अक्तूबर से 3 नवंबर के बीच आईआईटीएम के डाटा का विश्लेषण जारी किया है। इससे यह पता चलता है कि दिल्ली में जो प्रदूषण है उसमें रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली का योगदान 30.34 प्रतिशत, एनसीआर के जिलों का 34.97 प्रतिशत व एनसीआर से सटे जिलों का 27.94 प्रतिशत का योगदान है।
सरकार दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विंटर एक्शन प्लान बनाकर पुरजोर प्रयास कर रही है, लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करना है तो केंद्र सरकार को एनसीआर से सटे राज्यों के साथ मिलकर संयुक्त एक्शन प्लान बनाना होगा। इसे सख्ती से लागू करना होगा और सभी को अपने हिस्से के प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा।
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