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12 घंटे पहले

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय (UPPSC) ने UPPCS का एग्जाम दो शिफ्ट में करवाने का फैसला वापस ले लिया है। वहीं समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षा -2023 को लेकर कमेटी बनाने की बात कही है। प्रयागराज में आयोग के गेट के सामने 4 दिनों से 20 हजार छात्र डटे थे, इनकी मांग के आगे सरकार को झुकना पड़ा है।

हालांकि धरना दे रहे एक छात्र ने दैनिक भास्कर से बातचीत में इसे ‘आधी जीत’ बताया है। उन्होंने कहा,

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आयोग का नोटिस जारी करना एक छलावा है, ढोंग है।

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छात्र RO/ARO एग्जाम के मुद्दे पर अभी भी आयोग के बाहर डटे हुए हैं। भोंपू बजाकर और बोतलें पटक कर हूटिंग कर रहे हैं। छात्र अड़े हैं कि आयोग RO/ARO पर भी स्पष्ट फैसला दे। छात्र कह रहे हैं कि कमेटी में उनके ही अफसर होंगे। आंदोलन खत्म हो जाएगा तो फिर छात्रों के खिलाफ ही कोई डिसीजन लेंगे।

सुबह छात्रों ने बैरीकेडिंग तोड़कर आयोग के परिसर में दाखिल होने की कोशिश की थी।

आयोग ने कहा एक शिफ्ट में होगी PCS परीक्षा, RO/ARO पर कमेटी बनेगी

छात्रों के प्रदर्शन के चौथे दिन आयोग के सचिव अशोक कुमार गुरुवार दोपहर करीब 4 बजे ऑफिस से बाहर आए। उन्होंने कहा, ‘UPPSC एक दिन में ही प्रीलिम्स एग्जाम कराएगा। RO/ARO परीक्षा -2023 के लिए आयोग एक कमेटी बनाएगा। ये कमेटी सभी पहलुओं पर विचार कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी।’

PCS परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को होनी थी, वहीं RO/ARO परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को कई शिफ्ट में होनी प्रस्तावित थी। अशोक कुमार के बयान से यह समझा जा रहा है कि अभी परीक्षाएं टाल दी गई हैं। अब इनकी नई डेट घोषित की जाएंगी।

‘अधर में लटका दिया है, हम फैसले से खुश नहीं’

प्रयागराज में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्रों में से एक नवीन तिवारी ने कहा, ‘हम छात्र इस फैसले से खुश नहीं हैं। ये फैसला हमें अधर में लटकाने का है, न कि हमारी सुनवाई करने का।’

नवीन कहते हैं, ‘अब परीक्षा एक ही शिफ्ट में करवाई जाएगी, ये अच्छी बात है, लेकिन अभी तक हमें ये नहीं बताया गया कि इसकी तारीख क्या होगी।’

धरना प्रदर्शन करते छात्रों की तस्वीर।

RO/ARO के लिए समिति बनाना कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट

धरने पर बैठे नवीन कहते हैं कि RO/ARO परीक्षा के लिए समिति बनाए जाने को लेकर छात्रों के मन में सवाल हैं। समिति क्या फैसला करेगी, कब परीक्षा कराएगी ये अभी छात्र नहीं जानते।

नवीन आयोग पर आरोप लगाते हुए कहते हैं,

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RO/ARO एक रिएग्जाम है। ये फरवरी में पहले भी हो चुका है और तब ये एक ही शिफ्ट में लिया गया था, तो अब आयोग इसे दो शिफ्ट में क्यों करवाना चाहता है? ये कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मामला है। आयोग कोर्ट की अवमानना कर रहा है।

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छात्र एक ही शिफ्ट में एग्जाम करवाए जाने की मांग कर रहे थे।

‘आयोग आंदोलन को कमजोर करने की साजिश कर रहा है’

छात्रों का कहना है कि आयोग छात्रों को अभी RO/ARO के एग्जाम के लिए समिति बनाने का आश्वासन दे रहा है, बाद में वह एग्जाम को दो शिफ्टों में करवाएगा। दो शिफ्ट में एग्जाम हुआ तो नॉर्मलाइजेशन लागू करना होगा। जब PCS में नॉर्मलाइजेशन नहीं करवाने की बात आयोग ने मानी है तो वह इसे RO/ARO में लागू क्यों नहीं कर रहा।

आज 14 नवंबर के प्रदर्शन की तस्वीर।

ये आम छात्र नहीं हैं, आयोग के सामने से हटेंगे नहीं

धरने में शामिल एक ओर छात्र कहते हैं, ‘आयोग के सामने बैठे छात्र आम नहीं हैं, ऐसे छात्र हैं जो एक-दो नंबर से आयोग के भीतर पहुंचने से चूके हैं। आयोग क्या कर रहा है, छात्र अच्छे से समझ रहे हैं। अभी छात्र आज के फैसले पर मंथन कर रहे हैं, अभी आंदोलन खत्म नहीं होगा। हम RO/ARO का फैसला लेकर ही जाएंगे।’

नवीन का कहना है, ‘RO/ARO पर फैसला होने तक छात्र कहीं नहीं जाएंगे। PCS का एग्जाम दिसंबर में होना था, इसलिए अभी यह भी समझ के बाहर है कि क्या एग्जाम रद्द हो गया है या पहले से तय तरीके से 7-8 दिसंबर को ही होगा। इसलिए छात्र आंदोलन जारी रखेंगे।’

अखिलेश का तंज- घमंड के चलते सरकार आधी मांग मान रही

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने UPPSC परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन पर कहा, ‘समस्या का समाधान हो गया है और हमारी सरकार छात्रों के साथ है। अभ्यर्थियों की मांगें मान ली गई हैं।’

हालांकि यूपी सरकार के फैसले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज कसा है। उन्होंने X पर लिखा, ‘भाजपा सरकार को चुनावी गणित समझ आते ही जब अपनी हार सामने दिखाई दी तो वो पीछे तो हटी, लेकिन उसका घमंड बीच में आ गया है, इसीलिए वह आधी मांग ही मान रही है। ये आज के समझदार युवा हैं, सरकार इन्हें झुनझुना नहीं पकड़ा सकती। जब एक परीक्षा हो सकती है तो दूसरी क्यों नहीं। चुनाव में हार ही भाजपा का असली इलाज है। जब भाजपा जाएगी तब ‘नौकरी’ आएगी।’

यूपी PCS और RO/ARO पर छात्र आंदोलन जारी:नॉर्मलाइजेशन के जरिए धांधली जैसे 5 आरोप; आयोग परसेंटाइल मेथड पर विचार करने को तैयार

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में छात्रों का आंदोलन जारी है। अभ्यर्थी समीक्षा अधिकारी (RO), सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) और प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) की परीक्षा पहले की तरह एक ही दिन में करवाने की मांग कर रहे हैं। सड़कों पर उतरे स्टूडेंट्स एक से ज्यादा शिफ्ट में एग्जाम करवाने और परसेंटाइल मेथड के जरिए नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया के खिलाफ हैं। छात्र यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि नॉर्मलाइजेशन के जरिए आयोग अपने चहेतों की मदद करना चाहता है।

छात्र नॉर्मलाइजेशन और एक से ज्यादा शिफ्ट को लेकर आयोग पर 5 आरोप लगा रहे हैं-

1. बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक नॉर्मलाइजेशन लागू किया:

प्रयागराज में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्रों में से एक नवीन तिवारी के मुताबिक, ‘1 जनवरी 2024 को जारी UPPSC-2024 की विज्ञप्ति में नॉर्मलाइजेशन और परसेंटाइल मेथड का कोई जिक्र नहीं है। उस विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि प्री परीक्षा की मेरिट लिस्ट सामान्य अध्ययन में मिले मार्क्स के आधार पर बनेगी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था। अचानक नॉर्मलाइजेशन लागू करना न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का बल्कि संविधान के आर्टिकल-14 के विपरीत है।’

नवीन कहते हैं,

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यह खेल के बीच में खेल के नियम बदलने जैसा है।

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आयोग के गेट के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्र

2. मानविकी विषयों के लिए नॉर्मलाइजेशन की गणितीय प्रक्रिया गलत है:

नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया सवालों के कठिनाई के स्तर में अंतर को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। मानविकी विषयों (गैर-तकनीकी सब्जेक्ट्स) में कौन सा सवाल सरल है और कौन सा मुश्किल यह सांख्यिकी के फॉर्मूला से तय नहीं हो पाएगा।

नवीन दो सवालों का उदाहरण देते हुए कहते हैं- मान लीजिए दो पेपरों में महात्मा गांधी से जुड़े दो अलग-अलग सवाल पूछे जाते हैं-

  • गांधी जी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की अध्यक्षता किस साल में की थी?
  • ‘गांधी मर सकता है लेकिन गांधीवाद जिंदा रहेगा’ यह नारा गांधी जी ने किस साल दिया था?

इन दोनों सवालों में कौन सा फॉर्मूला यह तय कर पाएगा कि कौन सा सवाल आसान और कौन सा सवाल मुश्किल है।

नवीन कहते हैं कि NEET और JEE वगैरह के एग्जाम में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लागू है, लेकिन वह एग्जाम हायर स्टडीज के कॉलेज में एडमिशन के लिए हैं। वहीं UPPSC का एग्जाम देने के बाद सीधे गैजेटेड ऑफिसर बनते हैं। दोनों को एक ही तराजू पर नहीं तोला जा सकता। पूरे देश में किसी भी राज्य का लोकसेवा आयोग मानविकी के सब्जेक्ट्स में नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं करता। यहां तक कि UPSC में भी यह लागू नहीं है।

3. नॉर्मलाइजेशन लागू करने में UPPSC सक्षम नहीं:

नवीन बताते हैं कि पहले UPPSC प्री परीक्षा की आंसर की जारी करता था। अभ्यर्थी उसमें किसी भी सवाल के गलत होने पर उन्हें सही जवाब भेजते थे। हर साल पेपर में 7 से 12 सवाल बाद में हटाए जाते थे। उसके बाद रिवाइज्ड आंसर-की जारी की जाती थी। यह पारदर्शी व्यवस्था थी, जो कि अब बंद कर दी गई है।

PCS-J 2024 की परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने अपनी कॉपी की अदला-बदली का आरोप लगाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने 5 जून 2024 को UPPSC को याचिकाकर्ता के छह प्रश्नपत्रों की आंसर शीट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था। जुलाई में आयोग ने कोर्ट में स्वीकार कर लिया था कि PCS-J 2024 मेंस एग्जाम में 50 कॉपियां बदली गई थीं। इसके बाद आयोग के कई कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। नवीन तिवारी कहते हैं,

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आयोग नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाने में सक्षम नहीं है, क्योंकि पारदर्शिता और शुचिता की कमी है। मुख्य परीक्षा में कापियों की अदला-बदली की जाती है। आयोग नॉर्मलाइजेशन के बाद कॉपी बदलकर अपने चहेतों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाना चाहता है।

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4. UPPSC का परीक्षा केंद्रों की कमी का हवाला देकर शिफ्ट बढ़ाना एक बहाना है:

आयोग के खिलाफ धरने पर बैठे अभ्यर्थियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं और केवल 41 जिलों में ही परीक्षा आयोजित की जा रही है। UPPSC की मंशा सही होती तो परीक्षा एक ही दिन और एक ही पाली में करवाई जा सकती है। इससे पहले हमेशा एक ही पाली में एग्जाम होता आया है।

नवीन कहते हैं कि UPPSC का यह तर्क भी गलत है कि 5 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों वाली परीक्षा एक से अधिक शिफ्ट में होगी क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश के मुताबिक UPPSC की परीक्षा विशिष्ट श्रेणी की परीक्षा है और विशिष्ट श्रेणी की परीक्षा को 5 लाख अभ्यर्थियों वाले नियमों से छूट है।

5. दो शिफ्ट में एग्जाम से पेपर लीक की आशंका बढ़ेगी, कोर्ट में मामला खिंचेगा:

अभ्यर्थियों का कहना है कि इसी साल उत्तर प्रदेश पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती कई शिफ्ट में हुई। उसका पेपर लीक हुआ। यह भी तथ्य जरूरी है कि 11 फरवरी 2024 को RO का पेपर प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था न कि परीक्षा केंद्र से। उसमें सुधार न करके एग्जाम सेंटर की कमी की बात करना ऐसा है जैसे कि पेट की बीमारी में दिमाग का इलाज करना। नवीन के मुताबिक, नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया में भाग्य काम करेगा, स्टूडेंट्स की मेहनत नहीं। नॉर्मलाइजेशन के चलते एक शिफ्ट में कम मार्क्स लाने वाले को फाइनल रिजल्ट में मेरिट में स्थान मिल सकता है, वहीं दूसरी शिफ्ट में ज्यादा मार्क्स लाने वाले अभ्यर्थी का चयन रुक सकता है। इससे अभ्यर्थी परीक्षा के नतीजे को कोर्ट में चैलेंज करेंगे।

आयोग परसेंटाइल मेथड पर अभ्यर्थियों के सुझाव पर विचार को तैयार

आयोग के सचिव अशोक कुमार कहते हैं,

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हमारी गाइडलाइंस हैं कि अब सिर्फ सरकारी और एडेड कॉलेज में ही सेंटर बनाए जाएंगे। हमने राज्य के सभी जिलों में सर्वे किया। हमें एक दिन में एग्जाम करवाने के लिए पर्याप्त संख्या में सेंटर नहीं मिले। ऐसे में हमें 41 जिलों में दो शिफ्ट में एग्जाम करवाने का निर्णय लेना पड़ा। एक दिन में एग्जाम करवाना संभव नहीं था।

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नॉर्मलाइजेशन लागू करने को लेकर लग रहे आरोपों पर अशोक कुमार कहते हैं,

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हमने भारत सरकार के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। एक्सपर्ट्स ने हमें परसेंटाइल मेथड का सुझाव दिया, जिसे हम अपना रहे हैं। हमने स्टूडेंट्स से बाहर जाकर कई बार बात की है और कहा है कि अगर आपको कोई मेथड हमारे परसेंटाइल मेथड से बेहतर लगता है तो वह हमें सुझाएं, हम उसे अपनाने को तैयार हैं।

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अशोक कुमार से हमने स्टूडेंट्स के इस आरोप पर सवाल किया कि नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया के सहारे अपने चहेते अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा सकती है। इस पर अशोक कुमार कहते हैं, ‘हमारी प्रक्रिया आर्टिकल-14 का अनुपालन करती है। इसमें किसी तरह का पक्षपात नहीं है। पूरी एग्जाम प्रणाली कंप्यूटर सिस्टम बेस्ड है। हर रोल नंबर की कोडिंग होती है। किसी को नहीं पता होता है कि किस रोल नंबर की कॉपी किस व्यक्ति की है।’

हमने यह भी पूछा कि नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया किसी और आयोग के एग्जाम में नहीं अपनाई जाती। NEET जैसे एग्जाम और UPPSC के एग्जाम में अंतर है। इस पर अशोक कहते हैं कि यह प्रक्रिया सरकार की गाइडलाइंस के आधार पर है। आयोग एक्सपर्ट्स के सुझाव के आधार पर परसेंटाइल मेथड अपना रहा है। हम स्टूडेंट्स के हित में ही परसेंटाइल मेथड अपना रहे हैं।

क्या स्टूडेंट्स के विरोध के चलते एग्जाम रद्द हो सकता है?

नवीन तिवारी का कहना है,

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आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत शहर से बाहर बताए जा रहे हैं, जबकि वह यहीं मौजूद हैं। वह छात्रों से मिलना नहीं चाहते। जब तक एक से ज्यादा शिफ्ट पर आयोग दोबारा विचार नहीं करता, हमारा विरोध जारी रहेगा।

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छात्रों संजय श्रीनेत से मिलने की मांग पर अड़े हैं।

आयोग के सचिव अशोक कुमार का कहना है,

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एग्जाम की पूरी प्रक्रिया नियमों और आयोग की नीतियों के आधार पर आगे बढ़ रही है। आयोग ने अभ्यर्थियों के हित में और परीक्षा की गुणवत्ता के लिए ही यह प्रणाली अपनाई है। फिर भी हमने स्टूडेंट्स से सुझाव मांगे हैं। हम उन पर विचार करने के लिए तैयार हैं। आयोग के सामने जो भी प्रकरण आते हैं, आयोग उन पर गहराई से अध्ययन करके समाधान करता है।

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