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– फोटो : PTI
विस्तार
राजधानी में यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद लेने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। अब दिल्ली की सड़कों की दशा को ठीक करने में भी एआई का सहारा लिया जाएगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) तैयारी शुरू कर दी है। विभाग की ओर से ऑटोमेटिक रोड एसेट मॉनिटरिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जाएगा। सोमवार को विभाग की ओर से निविदा जारी की गई है। जिस निजी कंपनी को निविदा आवंटित होगी उसे एक साल के लिए काम करना होगा। फिर आगे से बढ़ाया भी जा सकता है।
मौजूदा समय में पीडब्ल्यूडी मैनुअल तरीके से सड़कों की निगरानी करता है। इसमें काफी समय लगता है और विस्तृत जानकारी भी नहीं मिल पाती है। ऐसे में एआई आधारित ऑटोमेटिक रोड एसेट मॉनिटरिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया जाएगा। इससे सड़कों में गड्ढा, हरियाली सूखने, डिवाइडर, स्पीड ब्रेकर, फुटपाथ टूटने आदि की जानकारी लोकेशन और फोटो के साथ तुरंत संबंधित डिविजन के वरिष्ठ अधिकारियाें तक पहुंचेगी। अधिकारियों ने बताया कि पीडब्ल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में दिल्ली में 1400 किलोमीटर लंबाई की विभिन्न सड़कें हैं। परियोजना में इन सभी सड़कों को शामिल किया गया है। निजी कंपनी महीने में दो बार सड़कों की रिपोर्ट भेजेगी। इसमें सड़कों में गड्ढे, डिवाइडर, फुटपाथ, स्पीड ब्रेकर में टूट-फूट, पेंट मार्किंग, सेंट्रल वर्ज, ड्रेन कवर, स्ट्रीट लाइटों में कमियां आदि की 100 फीसदी सटीकता के साथ जानकारी होगी। इस जानकारी के आधार पर योजना बनाकर सुधार कार्य किया जाएगा।
तीन स्थानों पर होगी माॅनिटरिंग
अधिकारियों के अनुसार, निजी कंपनी हर माह में दो बार सड़कों की एआई आधारित अत्याधुनिक कैमरों से वीडियो रिकॉर्डिंग करेगी। फिर इस विशेष साफ्टवेयर की मदद से उसका विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार किया जाएगा। इसके अलावा प्रतिदिन की भी निगरानी होगी। इसकी मॉनिटरिंग लोक निर्माण विभाग सचिवालय, मुख्य अभियंता कार्यालय और नियंत्रक अधिशासी अभियंता या प्रभारी अभियंता के निर्देशानुसार किसी अन्य तीन स्थानों पर सभी सहायक उपकरणों के साथ मॉनिटर किया जाएगा। सड़कों की कमियों की रिपोर्ट फोटो सहित पीडब्ल्यूडी कंट्रोल रूम, मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता या नामित किए गए अन्य अधिकारियों के पास भेजा जाएगा।
दो करोड़ से अधिक होगा खर्च…
अधिकारियों ने बताया कि परियोजना पर दो करोड़ से अधिक खर्च होने का अनुमान है। बीते साल और कुछ माह पहले पाॅयलट प्रोजेक्ट के तहत कई सड़कों का एआई से निगरानी की गई थी। इसमें परिणाम अच्छे आए। ऐसे में इसे सभी सड़कों के लिए लागू किया जा रहा है। इसकी मदद से सड़कों की कमियां तुरंत पता चल सकेंगी। विशेष तौर पर मानसून के दिनों एआई की मदद से जलभराव आदि के बारे में पता लगा कर समाधान किया जा सकेगा। इसके साथ ही सड़क पर किए गए काम का डाटा और मौजूदा समय में किए जा रहे काम का विवरण तैयार करने में भी मदद मिलेगी।
इसकी होगी निगरानी…
- खराब स्पीड-ब्रेकर
- सड़क पर गड्ढे, जलभराव, दरारें और अन्य नुकसान
- सड़क के किनारे की स्थिति, पैचवर्क की मरम्मत
- मैनहोल, ड्रेन कवर, सॉसर ड्रेन, बेल माउथ आदि की स्थिति
- सड़क पर पेंट के निशान, फुटपाथ की स्थिति।
- सभी प्रकार के सड़क संकेतों की स्थिति और स्थान
- सड़क के किनारे पेड़ और बड़ी झाड़ियां
- डस्टबिन की स्थिति, सड़क या आसपास कचरा
- टूटी हुई स्ट्रीट लाइट और ट्रैफिक लाइट
- निर्माण सामग्री के कारण बाधा
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