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उत्तर भारत के प्रसिद्ध आस्थाधाम, मां कैलादेवी के मंदिर में आज भी डकैतों के दर्शनों की कहानी सुनाई देती है। राजस्थान के इस चमत्कारी और शक्तिशाली शक्तिपीठ में, आज भी कई पुरानी मान्यताएं जीवित हैं। यह मंदिर न केवल विशेष तिथियों पर बल्कि सालभर भक्तों की अटूट भीड़ के लिए प्रसिद्ध है। करीब 2 से 4 दशक पहले, जब डकैतों का आतंक चरम पर था, चंबल के खूंखार डकैत भी इस मंदिर में मां के दर्शनों के लिए आते थे। वे विनम्रता से मां के सामने शीश झुकाते थे और घंटा भेंट करते थे।

 

कैलादेवी मंदिर में डकैतों के दर्शन की कहानी आज भी मंदिर के पुजारी और स्थानीय बड़े-बुजुर्गों से सुनी जा सकती है। राज्याचार्य पंडित प्रकाश चंद जती के अनुसार, 40 साल पहले रूपा डकैत ने उनके सामने कैला मां के दर्शनों के लिए आया था। डकैत भी मानव होते हैं और वे भी इस मंदिर में मां की आराधना करने आते थे। वे मां से विजय की कामना के साथ घंटा चढ़ाकर जाते थे। कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट के संतोष मामा का कहना है कि डकैत देवी के उपासक होते थे और देवी के प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा करते थे। आज भी, यह मंदिर अपनी विशेष मान्यताओं और चमत्कारों के कारण दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करता है।

 

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