क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है या नहीं! सुप्रीम कोर्ट आज इस सवाल पर फैसला सुनाएगा। इस फैसले का असर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी पर भी पड़ेगा।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर फैसला सुनाएगी। इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जेबी पार्डीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा भी शामिल हैं। कोर्ट ने आठ दिन तक दलीलें सुनने के बाद एक फरवरी को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था। अदालत ने कहा था कि 1981 के संशोधन से एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा मिला था।

मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस में कहा कि एएमयू 1920 के एक्ट से बना था और यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि एएमयू राष्ट्रीय महत्व का एक बेहतरीन संस्थान है और संविधान का अनुच्छेद 15 (1) कहता है कि राज्य किसी के साथ जाति, धर्म, भाषा, जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उनके पास अब कुछ ही कार्य दिवस बचे हैं, जिससे इस महत्वपूर्ण मामले में उनका फैसला आने की संभावना है। इस फैसले का असर एएमयू और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी पर पड़ेगा और यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इन संस्थानों के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा।

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