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डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने के करीब हैं। वोटों की गिनती में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार कमला हैरिस को काफी पीछे छोड़ दिया है। ट्रम्प ने अपनी जीत का ऐलान भी कर दिया है। हालांकि औपचारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं हुई है।
चुनाव बाद की प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ होगी। ऐसे में सवाल है कि ट्रम्प का दूसरा शासनकाल अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों और अमेरिका जाने की इच्छा रखने वाले भारतीयों के लिए कैसा होगा।
इस खबर में जानेंगे कि ट्रम्प की पॉलिसीज भारतीय लोगों के लिए कैसी रही हैं, हैरिस के बजाय ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से भारतीय छात्रों की दिक्कतें बढ़ेंगी…
ट्रम्प 2.0 शासन में प्रवासियों के लिए 4 बड़ी दिक्कतें हैं…
1. स्टूडेंट्स के लिए H-1B वीजा नियम और सख्त होंगे:
अमेरिका में रहने और पढ़ाई करने के लिए H-1B सबसे आम कैटेगरी है। डोनाल्ड ट्रम्प, H-1B वीजा प्रोग्राम की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने कहा था कि यह अमेरिकी कामगारों के लिए ‘बहुत बुरा’ है। अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने H-1B के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और सख्त कर दिया था। इसके चलते इस कैटेगरी के वीजा एप्लिकेशन रद्द होने का रेश्यो बीते सालों में 4 गुना बढ़ा है। 2015 में इसकी दर 6% थी जो 2019 में बढ़कर 24% तक हो गई थी। अब ट्रम्प H-1B वीजा प्रोग्राम के नियम और सख्त करने की बात कह चुके हैं। एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन के डायरेक्टर करुण कंदोई कहते हैं कि इससे अमेरिका जाने के इच्छुक भारतीयों के लिए वीजा मिलना मुश्किल हो सकता है। इस समय H-1B कैटेगरी में हर साल 65 हजार रेगुलर वीजा और अमेरिकी संस्थानों से हायर डिग्री लेने वालों के लिए अतिरिक्त 20 हजार वीजा की लिमिट है। हैरिस ने इस लिमिट को बढ़ाने की बात कही थी।
हैरिस ने H-1B कैटेगरी में हर साल 65 हजार वीजा की लिमिट बढ़ाने की बात कही थी।
2.स्टूडेंट वीजा और वर्क एक्सपीरियंस मिलने में दिक्कत:
ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में F-1 स्टूडेंट वीजा पर जांच बढ़ा दी थी। इसके अलावा अमेरिका में ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) की व्यवस्था है जिसके तहत अमेरिका जाने वाले विदेशी छात्रों को अमेरिका में काम करने का समय दिया जाता है। ट्रम्प ने OPT पर भी लिमिट लगाने की बात कही है। चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने अपने बयानों में सख्त माइग्रेशन पॉलिसीज लागू करने की बात कही थी। इससे अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों के लिए वहां काम करना मुश्किल हो जाएगा।
3. स्थायी नागरिकता के लिए ग्रीन कार्ड का लंबा टाइम पीरियड:
अमेरिका में स्थायी नागरिकों को एक प्लास्टिक का आइडेंटिटी कार्ड मिलता है। इसे ग्रीन कार्ड कहते हैं। इसकी प्रक्रिया बहुत मुश्किल है। विदेशी मूल के लोग जो अमेरिका में काम करना और रहना चाहते हैं, उनके लिए ट्रम्प की स्किल बेस्ड मार्किंग सिस्टम एक बड़ी चुनौती है। इसके तहत 84 साल तक का वेट-टाइम रखा गया है। अभी तक दस लाख से ज्यादा भारतीय अमेरिका में काम करने के लिए अलग-अलग तीन कैटेगरी के ग्रीन कार्ड वीजा मिलने के इंतजार में हैं।
4. बिजनेस के लिए EB-5 वीजा और ग्रीन कार्ड मिलना मुश्किल
EB-5 वीजा के तहत विदेशी निवेशकों को अमेरिका में ग्रीन कार्ड देने की व्यवस्था है। इस वीजा के लिए कम से कम निवेश पहले 5 लाख डॉलर था, जो अब बढ़कर 9 लाख डॉलर हो गया है। ट्रम्प की नीतियों के चलते यह रकम और बढ़ाई जा सकती है।
Bodo।Ai नाम की अमेरिकी कंपनी के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर रोहित कृष्णन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लिखा,
अमेरिका में इमिग्रेशन की प्रकिया कितनी मुश्किल है, यह बहुत कम लोग जानते हैं।
अरविंद श्रीनिवास Perplexity AI के को-फाउंडर और CEO हैं। वह लिखते हैं,
मैं तीन साल से ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहा हूं। लोगों को कोई आईडिया नहीं है कि माइग्रेशन में कितनी अप्रत्याशित चुनौतियां हैं।
इस चर्चा पर इलॉन मस्क ने भी कहा, ‘हमारा सिस्टम प्रतिभाशाली लोगों के लिए कानूनी रूप से अमेरिका आना बहुत मुश्किल बना देता है और अपराधियों के लिए अवैध रूप से यहां आना आसान बना देता है।’
5. अमेरिका में पैदा हुए बच्चों को नागरिकता मिलनी मुश्किल होगी:
ट्रम्प अमेरिका में पैदा होने वाले ऐसे बच्चों को अमेरिका की नागरिकता देने के पक्षधर नहीं हैं, जिनके माता-पिता अमेरिका के नागरिक नहीं हैं। ट्रम्प ने एक ऐसे मेरिट सिस्टम का प्रस्ताव दिया है, जिसमें स्किल्स को फैमिली कनेक्शन से ज्यादा वरीयता दी जाएगी। यानी यह देखा जाएगा कि नागरिकता के लिए आवेदन देने वाले बच्चे में किस काम को करने की काबिलियत है।
इसके अलावा ट्रम्प के पिछले शासन में टूरिस्ट और शॉर्ट टर्म वीजा की प्रक्रिया भी लंबी हो गई थी। 2017 में अमेरिका का टूरिस्ट वीजा मिलने में 28 दिन लगते थे। 2022 में यह अवधि बढ़कर 88 दिन की हो गई थी।
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