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उत्तर प्रदेश में बार एसोसिएशनों के बीच “हड़ताल संस्कृति” को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की नाराजगी के बावजूद, गाजियाबाद जिला न्यायालय परिसर में वकीलों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। सोमवार से शुरू हुई इस हड़ताल के कारण वादकारियों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वादकारी किसी तरह से कचहरी तक पहुंचते हैं और सब बंद देखकर निराश होकर लौट जाते हैं। कोर्ट खुली हुई हैं और मामलों में तारीख भी मिल रही हैं, लेकिन वकीलों के अदालत में पेश न होने के कारण मामलों की सुनवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।

 

अंडरट्रायल बंदियों की समस्या

गाजियाबाद जिला न्यायालय में वकीलों की हड़ताल से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले अंडरट्रायल बंदी हैं। इन बंदियों को न्यायालय में पेशी के लिए लाया जाता है, लेकिन वकीलों की गैरमौजूदगी के कारण उनकी पेशी नहीं हो पा रही है। इससे उनके मामलों की सुनवाई आगे नहीं बढ़ रही और वे न्याय की प्रतीक्षा में जेल में समय बिता रहे हैं। यह स्थिति न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनके परिवारों पर भी भारी प्रभाव डाल रही है। हड़ताल के चलते न्यायिक प्रक्रिया ठप हो गई है, जिससे अंडरट्रायल बंदियों के मामलों का निपटारा नहीं हो पा रहा है।  

 

आम लोगों की मुश्किलें

 

वकीलों की हड़ताल का असर केवल अंडरट्रायल बंदियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक असर आम लोगों पर भी पड़ रहा है। गाजियाबाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों से लोग न्याय की उम्मीद में कचहरी आते हैं, लेकिन वकीलों की गैरमौजूदगी के कारण उन्हें निराशा हाथ लग रही है। रोजमर्रा के मामलों से जुड़े लोग, जैसे तलाक, संपत्ति विवाद, और अन्य कानूनी मुद्दों के निवारण के लिए आए लोग, बिना किसी समाधान के लौट रहे हैं। इससे उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं और उन्हें न्याय पाने में देरी हो रही है।  

 

न्याय व्यवस्था पर असर

वकीलों की हड़ताल ने गाजियाबाद की न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाला है। न्यायालय के मामलों का निपटारा न हो पाने के कारण पेंडिंग मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यह स्थिति न्यायिक प्रणाली की कार्यकुशलता को कम कर रही है और आम लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम हो रहा है। न्याय पाने में देरी न केवल वादकारियों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि यह स्थिति न्यायिक प्रणाली के समग्र कार्यप्रणाली को भी प्रभावित कर रही है।

 

समाधान की आवश्यकता

 

गाजियाबाद में वकीलों की हड़ताल के चलते उत्पन्न हुई समस्याओं को देखते हुए, यह आवश्यक है कि बार एसोसिएशन और न्यायिक प्राधिकरण मिलकर इस स्थिति का समाधान निकालें। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बार-बार हड़ताल पर नाराजगी जाहिर करने के बावजूद, अगर इस तरह की हड़तालें जारी रहती हैं, तो न्यायिक प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ सकता है। वकीलों को अपनी मांगों के साथ-साथ आम लोगों और अंडरट्रायल बंदियों की समस्याओं को भी ध्यान में रखना चाहिए और उनके हित में निर्णय लेने चाहिए।

 

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