भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में छठ पूजा एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह पर्व न केवल आस्था और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और सामाजिक समरसता का भी अद्वितीय उदाहरण है। इसे ‘लोक आस्था का पर्व’ कहा जाता है और यह सूर्य देव और छठी मईया की आराधना के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में विशेष रूप से मनाया जाता है।
छठ पूजा का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
छठ पूजा की जड़ें प्राचीन वैदिक काल से जुड़ी हुई हैं। महाभारत काल में द्रौपदी द्वारा सूर्य देव की उपासना और राजा प्रियवद की कहानी से लेकर राम-सीता और कर्ण की कथा तक, इस पर्व का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व अत्यधिक है। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन संपन्न होती है और इसे सूर्य देवता, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मईया को समर्पित माना जाता है।
भोजपुरी समाज में छठ पूजा का महत्व
भोजपुरी भाषी समाज के लिए छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, और झारखंड के साथ-साथ नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी इस पर्व की धूम रहती है। विश्व के विभिन्न हिस्सों में बसे भोजपुरिया समुदाय इस पर्व को उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की धार्मिक असमानता नहीं होती और सभी एक समान श्रद्धा के साथ सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
छठ पूजा के अनुष्ठान और विधियाँ
छठ पूजा चार दिनों का पर्व है, जिसमें व्रती कठोर नियमों का पालन करते हैं। पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन उषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक अनुष्ठान का अपना विशेष महत्व होता है और ये सभी अनुष्ठान आत्मशुद्धि, संयम और तपस्या का प्रतीक माने जाते हैं। व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
छठ पूजा का महत्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अतुलनीय है। यह पर्व समाज में सामूहिकता और एकता का प्रतीक है। घाटों की सफाई, प्रसाद का वितरण और पूरी पूजा प्रक्रिया में सामूहिक सहयोग समाज के हर वर्ग को एक साथ जोड़ता है। छठ पूजा के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक गीत भोजपुरी संस्कृति के धरोहर हैं। ये गीत न केवल भक्ति भावना को जागृत करते हैं, बल्कि छठ पूजा के महत्व और मूल्यों को भी दर्शाते हैं।
छठ पूजा और आधुनिकता
समय के साथ आधुनिकता ने हमारे जीवन में प्रवेश किया है, परंतु छठ पूजा की पवित्रता और परंपराओं में कोई कमी नहीं आई है। आज भी शहरों में, चाहे वह दिल्ली हो, मुंबई हो या कोई अन्य महानगर, छठ पूजा उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। लोग कृत्रिम तालाब और जलाशयों का निर्माण करते हैं ताकि शहरों में भी इस पूजा का आयोजन हो सके।
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