रेरा के आरसी से नहीं हो रही वसूली
रेरा का गठन बायर्स के हितों की सुरक्षा के लिए किया गया था, जिसके तहत बिल्डरों और प्राधिकरणों के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी किए जाते हैं. हालांकि, अधिकांश बिल्डर और प्राधिकरण आरसी के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर कर देते हैं, जिससे वसूली की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है.
गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में अब तक केवल 12-15% आरसी की ही वसूली हो सकी है. गाजियाबाद में जिला प्रशासन को 142 करोड़ रुपये की वसूली करनी थी, लेकिन केवल 20 करोड़ रुपये के आसपास ही वसूली हो पाई है.
अपील में अटके मामले
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) से जुड़े 22 मामलों में से अधिकांश मामले कोर्ट में अपील के चलते लंबित हैं. जीडीए के खिलाफ रेरा ने वसूली के लिए आरसी जारी किया था, लेकिन जीडीए ने इन मामलों में कोर्ट में अपील की है, जिससे वसूली रुक गई है. जिला प्रशासन के अनुसार, जब तक कोर्ट का निर्णय नहीं आता, तब तक वसूली की प्रक्रिया नहीं हो सकती.
प्रशासन की सीमाएं
एक बड़ी समस्या यह है कि जिन बिल्डरों के खिलाफ आरसी जारी की जाती है, उनका आधिकारिक पता दिल्ली, नोएडा या अन्य राज्यों में होता है. इस कारण गाजियाबाद जिला प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ होता है. कानून के अनुसार, गाजियाबाद प्रशासन दूसरे जिलों या राज्यों में रहने वाले डिफॉल्टर्स को सीधे नोटिस जारी नहीं कर सकता.
एक्सपर्ट्स का नजरिया
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत कान्हा, जो होमबायर्स के मामलों में विशेषज्ञ हैं, ने बताया कि एक जिले का कलेक्टर दूसरे जिले के कलेक्टर के माध्यम से डिफॉल्ट करने वाले डेवलपर्स को नोटिस भेज सकता है. इसके लिए राजस्व वसूली अधिनियम 1890 के तहत प्रावधान मौजूद है, लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा रहा. उन्होंने सुझाव दिया कि यूपी रेरा को अपने नियम 24 का प्रयोग कर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगनी चाहिए ताकि वसूली में तेजी लाई जा सके.
बायर्स की परेशानी का कोई समाधान?
बिल्डरों द्वारा कोर्ट में अपील दायर करने के कारण वसूली की प्रक्रिया थम जाती है, जिससे बायर्स का पैसा फंसा रहता है. यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब जिला प्रशासन की सीमाओं और कानूनी पेचीदगियों का लाभ उठाकर बिल्डर बच निकलते हैं. जब तक रेरा और जिला प्रशासन इस समस्या का समाधान नहीं निकालते, तब तक बायर्स को अपने हक का इंतजार करना ही पड़ेगा.
Tags: Ghaziabad News, Local18
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