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-पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने को मनाएं ईको फ्रेंडली दीवाली: डॉ. निशा सिंह

गाजियाबाद। आनंद औद्योगिक क्षेत्र में अवस्थित मॉडर्न कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज की भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ तथा छात्र क्लबों के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को दिवाली के उपलक्ष्य में दिवाली मेला (प्रज्ञान उत्सव) का आयोजन महाविद्यालय में किया गया। इसका उद्देश्य छात्रों में रचनात्मकता एवं सामूहिक सहभागिता को बढ़ाना, कला- कौशल को प्रकट करना व छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना था। इन मेलों में एक तरफ जहां स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार-प्रसार हो रहा है, वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये बच्चे पौराणिक कथाओं और रामलीला आदि का आनंद उठाकर ज्ञान भी अर्जित कर रहे हैं। इस मेले का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर निशा सिंह व सभी विभागाध्यक्षों द्वारा किया गया।

मेले में कला व शिल्प प्रदर्शनी, पाक कला, सांस्कृतिक संलयन व अन्त: कार्यक्रम खेल आदि गतिविधियां सम्मिलित रहीं। जिसमें महाविद्यालय के सभी छात्र छात्राएं अत्यंत उत्साह के साथ सम्मिलित हुए। मेले में छात्रों ने कई स्टॉल लगाए, जिनमें उन्होंने कई प्रकार के चटपटे व्यंजन बनाने के साथ कई मनोरंजक गेम का आयोजन भी किया। इसके अतिरिक्त छात्रों ने विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम आयोजित कर सभी को मंत्रमुग्ध किया। मेले का मुख्य आकर्षण हस्तकला व शिल्प पर आधारित प्रदर्शनी (सृजन) रही। जिसमें महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के द्वारा विभिन्न हस्त निर्मित वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया। प्राचार्या प्रोफेसर डॉ. निशा सिंह ने छात्रों की उनके सराहनीय कार्य के लिए प्रशंसा करते हुए कहा कि दिवाली मेला न केवल हमारे विद्यार्थियों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है बल्कि उनमें सामूहिक सहभागिता को भी बढ़ावा देता है।

जिसमें छात्र अपनी कला कौशल और ज्ञान का प्रदर्शन करते हैं व जिससे छात्रों में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। अत: छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षण के साथ-साथ ऐसी पाठ्य सहगामी क्रियाओं की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने कहा हर साल दिवाली पर पटाखे, केमिकल युक्त चीजें, प्लास्टिक इत्यादि का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। इस दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। पर्यावरण और सेहत को ध्यान में रखते हुए हमें प्रदूषण मुक्त दीपावली मनानी चाहिए।

दिवाली में इलेक्ट्रिक लाइट्स का प्रयोग करने के बजाय मिट्टी के दीयों का प्रयोग कर घर को रोशन करें। हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के दीयों से न सिर्फ पर्यावरण के नुकसान होने के बचाव होगा। साथ ही कुम्हार और छोटे व्यापारियों को आर्थिक मदद भी मिलेगी। साथ ही लोकल को वोकल करने का अवसर भी मिलेगा। मिट्टी के दीयों के प्रयोग से बिजली की भी बचत होगी। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष व समस्त प्रवक्ता गण उपस्थित रहे।

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