सोमनाथ मंदिर के पास से बीते 30 सितंबर तड़के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई थी।
गुजरात में स्थित प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर के पास बुलडोजर एक्शन मामले में मुस्लिम पक्ष को राहत नहीं मिली है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सरकारी जमीन है। अगले आदेश तक जमीन का कब्जा गुजरात सरकार के पास ही रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहा
1 अक्टूबर को दायर की गई थी अवमानना याचिका
हाजी मंगरोलीशा पीर, हज़रत माइपुरी, सिपे सालार, मस्तानशा बापू, जाफर मुजफ्फर और ईदगाह पर डिमोलिशन की कार्रवाई की गई।
सोमनाथ मंदिर के आसपास कथित अवैध निर्माण पर 30 सितंबर को बुलडोजर चलाया गया था। पटनी मुस्लिम समाज ने 1 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी। याचिका में दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह, प्रभास पाटण, वेरावल, गिर-सोमनाथ में स्थित कई अन्य स्ट्रक्चर के कथित अवैध विध्वंस का हवाला दिया गया था।
संरक्षित स्मारक को भी गिरा दिया गया: शिकायतकर्ता
इस मेगा डिमॉलिशन के लिए 58 जेसीबी, 5 हिटाची, 50 ट्रैक्टर और 10 डंपर लगाए गए थे।
याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल और हुजैफा अहमदी ने आरोप लगाया कि संरक्षित स्मारक को भी गिरा दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई होने से ऐन वक्त पहले पहले रात में ही तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई। वहीं, सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की तरफ से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ को आश्वस्त किया कि जमीन अभी सरकार के कब्जे में रहेगी और जमीन किसी तीसरे पक्ष को नहीं दी जाएगी।
कोर्ट ने कबिल सिब्बल से पूछा- तीसरे पक्ष के क्या अधिकार हैं?
डिमॉलिशन के दौरान 9 क्लस्टर मस्जिदों के साथ 45 पक्के मकान भी गिराए गए थे।
मुस्लिम पार्टी की तरफ से दलीलें पेश करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि ये संरक्षित स्मारक हैं। किसी तीसरे पक्ष का अधिकार नहीं है। सिब्बल ने कहा कि ढ़हाए जाने का कारण यह बताया गया है कि वे स्मारक अरब सागर के पास हैं और जल निकाय के पास नहीं हो सकते। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि तीसरे पक्ष के क्या अधिकार हैं? यह सरकारी जमीन है और गुजरात हाईकोर्ट को इस मामले की जानकारी भी दी गई है।
सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश: गुजरात सरकार
अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान विरोध प्रदर्शन के लिए भारी संख्या में लोग जमा हो गए थे।
कपिल सिब्बल की इस दलील पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जिस जगह से अतिक्रमण हटाया गया है, वहां कोई भी संरक्षित स्मारक नहीं थी। जस्टिस गवई ने कहा कि हाईकोर्ट का यह आदेश 2015 में पारित किया गया था। आप भूमि का उपयोग केवल बताए गए उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं, धार्मिक उद्देश्यों के लिए नहीं।
मेहता ने आगे कहा कि इस मसले को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। यह मामला अतिक्रमण का है। उस जमीन के रजिस्ट्रेशन का दावा भी गलत है। हमने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में भी जवाब दिया है। पांच महीने पहले अतिक्रमण हटाने का काम शुरू किया गया था।
30 सितंबर को सोमनाथ में हुए इस मेगा डिमॉलिशन की ये खबर पढ़ें…
9 धार्मिक स्थलों के साथ 45 मकान जमींदोज, 102 एकड़ सरकारी जमीन खाली कराई
विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के पास अतिक्रमण साफ करने का शुक्रवार तड़के शुरू हुई कार्रवाई शनिवार को भी जारी रही। इस मेगा डिमोलिशन में 9 से अधिक धार्मिक स्थल सहित 45 पक्के मकान जमींदोज कर दिए गए। जेसीबी, हिटाची मशीनें, डंपर सहित अन्य साधनों के जरिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी। पूरी खबर पढ़ें…
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