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गाजियाबाद। शहर में कूड़ा और कबाड़ जलाने वालों पर नगर निगम ने अब निगरानी करना शुरू कर दिया है। कूड़ा और कबाड़ जलाने वालों पर लगातार कार्रवाई करने के लिए सभी जोन के स्वास्थ्य निरीक्षकों को भी निर्देश दिए गए है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार का कहना है कि सभी पांचों जोन के स्वास्थ्य निरीक्षकों को निर्देश दिए गए है कि ग्रैप लागू हो गया है। ऐसे में ग्रैप के दौरान कूड़ा और कबाड़ जलाने की घटनाओं को लेकर अधिक निगरानी बरतें। ऐसा करने वालों पर जुर्माना लगाकर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं। दरअसल, शहर में गै्रप लागू होने पर भी कूड़े और कबाड़ में आग लगाने की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। नगर निगम की ओर से निगरानी में लापरवाही किए जाने से शहर की हवा लगातार खराब हो रही है। कूड़ा व कबाड़ जलाने से वायुमंडल में विषैली गैस मिल जाती हैं,जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।

शहर में 15 अक्टूबर से गै्रप लागू है और पहले चरण के प्रावधानों में कूड़े के निस्तारण और कूड़ा व कबाड़ को जलाने पर पूरी तरह से रोक लगाना शामिल है। इसके लिए नोडल एजेंसी नगर निगम को जिम्मेदारी दी गई है,लेकिन अभी तक नगर निगम ने कूड़ा व कबाड़ जलाने वालों पर कार्रवाई शुरू नहीं की है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली में ऐसा करने वालों पर जुर्माना लगाने से लेकर एफआईआर दर्ज कराने तक का प्रावधान है। लेकिन अभी तक नगर निगम ने इसको लेकर सक्रियता नहीं दिखाई है। इस वजह से गै्रप लागू होने के बाद भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा हैं। शहर के पॉश इलाकों से लेकर दूरदराज की कॉलोनियों में खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है। राजनगर एक्सटेंशन में चार से पांच जगहों पर अवैध वेंडर कूड़ा डालते हैं,जिसमें से कबाड़ बीनने वाले अपनी जरूरत की चीजें निकालकर उसे आग लगा देते हैं। कई बार लोगों की सूचना पर पहुंची दमकल की टीम ने आग बुझाई है। इसी तरह ट्रांस हिंडन में कड़कड़ मॉडल में रेलवे पुल के पास इकट्ठे कूड़े में किसी ने आग लगा दी। लोगों ने सोशल मीडिया पर फोटो डालकर आग बुझानेे की मांग की। इसके अलावा विजयनगर, साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साईट-4,बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र, वैशाली, झंडापुर, राजनगर एक्सटेंशन, राजेंद्रनगर, पांडवनगर, खोड़ा,सिद्धार्थ विहार आदि इलाकों में आए दिन कूड़ा जलाया जाता है।

मगर नगर निगम की ओर से अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है। शहर में अवैध रूप से झुग्गी-झोपड़ी डालकर इनमें रहने वाले अधिकांश लोग शहर में घूम-घूमकर कबाड़ बीनते हैं। इसमें से जरूरी चीजें बेचने के बाद थर्माकोल,पॉलिथीन आदि को जला देते हैं। राजनगर एक्सटेंशन,सिहानी गांव,सिद्धार्थ विहार,मकनपुर समेत दर्जनों इलाकों में अक्सर कबाड़ जलाया जाता है,जिसका विषैला धुआं हवा को प्रदूषित कर रहा है। झुग्गियों में आग लगने से कई बार बड़े हादसे हो चुके हैं। लेकिन इन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही। इसके अलावा नंदग्राम रेत मंडी और हिंडन विहार में बड़े पैमाने पर कबाड़ जलाया जा रहा है। ई-वेस्ट जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं लोनी के कृष्णानगर में होती हैं,लेकिन प्रशासन व नगर पालिका परिषद इस पर लगाम नहीं लगा पा रहे है।

गै्रप के पहले चरण में खुले में कूड़ा इकट्ठा न हो और औद्योगिक इकाइयों के कचरे का भी निस्तारण हो। कूड़ा जलाने पर पूरी तरह से रोक। 10 साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर पाबंदी। निर्माण स्थल ढके हों और मलबे का सही से निस्तारण हो। डीजल जेनरेटर के स्थाई रूप से इस्तेमाल पर पाबंदी है। सड़कों की मैकेनाइज्ड सफाई और पानी का छिड़काव करना। जाम वाले स्थानों पर पुलिसकर्मी तैनात कर ट्रैफिक सुचारू रखना है। प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना है। मलबा (सीएंडडी वेस्ट) रोजाना इकट्ठा हो और इसकी साइट पर एंटी स्मॉग गन चलाई जाने के निर्देश दिए गए हैं।

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