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एमसीडी मुख्यालय
– फोटो : अमर उजाला

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दिल्ली की साफ-सफाई सहित दूसरे रुके काम को तेज करवाने के लिए दिल्ली नगर निगम के आयुक्त पांच करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च कर सकेंगे। सोमवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के बाद शहरी विकास विभाग की विशेष आयुक्त सोनालीका जिवानी ने एक आदेश जारी किया।

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विभाग के अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, एमसीडी में स्थायी समिति के न होने और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के रुख के कारण दिल्ली में ठोस कचरे की मौजूदा समस्या बढ़ रही थी। इस समस्या को देखते हुए एलजी वीके सक्सेना ने एमसीडी आयुक्त को मौजूदा पांच करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय शक्तियां सौंपने को मंजूरी दे दी।

बता दें कि बीते 10 जुलाई को एमसीडी ने डीएमसी अधिनियम, 1957 की धारा 202 के प्रावधानों के अनुसार एमसीडी को वित्तीय शक्तियां सौंपने के लिए दिल्ली सरकार के पास आवेदन किया था। बताया गया कि शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अनावश्यक रूप से इसे लंबित रखा। इससे वित्तीय मंजूरी की कमी के कारण एमसीडी की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई। मौजूदा समय एमसीडी में स्थायी समिति नहीं है। इस समस्या को देखते हुए एलजी सचिवालय ने टूबीआर के नियम 19(5) का हवाला देते हुए दो मौकों पर फाइल वापस मंगवाई। हालांकि, मंत्री फाइल अभी तक नहीं भेजी गई है और अभी तक उसका पता नहीं चल पाया है।

अधिकारी ने बताया कि नगर निगम के ठोस अपशिष्ट के संग्रह और परिवहन, सड़कों की सफाई के लिए 1137.98 करोड़ रुपये की लागत के अनुबंध, नरेला, बवाना में 604.26 करोड़ रुपये की लागत से अपशिष्ट से ऊर्जा सुविधा स्थापित करने के लिए दर अनुबंध, सिंघोला में अपशिष्ट के जैव-खनन के लिए 46.17 करोड़ रुपये की लागत के दर अनुबंध और ओखला में 156.5 करोड़ रुपये, गाजीपुर में 223.50 करोड़ रुपये और भलस्वा में 223.50 करोड़ रुपये की लागत के 03 डंप स्थलों पर विरासत अपशिष्ट के जैव-खनन के लिए एलजी ने वित्तीय शक्तियों को एमसीडी आयुक्त को सौंपने को मंजूरी दे दी। इस आशय का प्रस्ताव एमसीडी द्वारा दिल्ली सरकार के समक्ष रखा।

आयुक्त के वित्तीय अधिकार बढ़ने से घटेगा लैंडफिल साइट का आकार

उपराज्यपाल के एमसीडी आयुक्त के वित्तीय अधिकारों में विस्तार करने से राजधानी की तीनों लैंडफिल साइट को कूड़ा मुक्त करने की योजना को गति मिलेगी। एमसीडी दो वर्ष से इन लैंडफिल साइटों से कूड़ा हटाने की दिशा में काम कर रही है, लेकिन आयुक्त के वित्तीय अधिकार कम होने और स्थायी समिति का गठन नहीं होने के कारण कूड़ा उठाने के दूसरे चरण का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा था। इस योजना पर करीब 600 करोड़ रुपये व्यय होेने का अनुमान है। एमसीडी गाजीपुर, ओखला और भलस्वा सैनेटरी लैंडफिल साइटों को कूड़ा मुक्त करने की दिशा में कार्य कर रही है। इस कड़ी में उसने करीब दो साल पहले एक दीर्घकालिक योजना बनाई है। इसके तहत पहले फेस में 150 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाने का निर्णय लिया गया और पहले फेस में 150 लाख मीट्रिक ठन कूड़ा उठाया भी जा चुका है।

आप का एलजी पर हमला

आम आदमी पार्टी ने एमसीडी कमिश्नर को वित्तीय अधिकार देने के मामले में उपराज्यपाल को कटघरे में खड़ा किया है। आप का कहना है कि एलजी ऑफिस दिल्ली सरकार के खिलाफ झूठा दुष्प्रचार करना बंद करना चाहिए। आप के मुताबिक, शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के पास यह फाइल बीते 06 सितंबर को आई और उसी दिन उन्होंने अपनी मंजूरी दे दी। सवाल है कि मंत्री की मंजूरी के बाद भी यह फाइल अधिकारियों ने आगे क्यों नहीं बढ़ी? उपराज्यपाल क्या इस फाइल में देरी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे?

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