कासगंज का नदरई पुल
नदरई पुल की सबसे खास बात यह है कि यह पुल लगभग 60 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसके नीचे काली नदी बहती है, जबकि उसके ऊपर से नहर और नहर के ऊपर सड़क बनी हुई है, जिस पर आज भी भारी वाहन चलते हैं. यह पुल 1.5 किलोमीटर लंबा है और इसकी मजबूती आज भी वैसी ही बनी हुई है, जैसी 150 साल पहले थी।.
पुल के अंदर बनी गुफा
इस पुल के निर्माण का एक और अनोखा पहलू यह है कि इसके अंदर एक गुफा भी बनी हुई है. कहा जाता है कि अंग्रेज आपातकाल की स्थिति में इस गुफा में छिप जाया करते थे. इसके बावजूद पुल आज तक कहीं से भी लीकेज नहीं हुआ है, जो इसकी शानदार इंजीनियरिंग का प्रमाण है.
नदरई पुल के पीछे का उद्देश्य
इतिहासकार अमित तिवारी के अनुसार, इस पुल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य इस इलाके में नहरों के कारण होने वाली जलभराव की समस्या से निजात दिलाना था. अंग्रेजों ने इस पुल का निर्माण बहुत सोच-समझकर किया था, ताकि पानी की समस्या हल हो सके. 135 साल पहले, 1889 में बनकर तैयार हुए इस पुल से होकर लोअर गंगा कैनाल गुजरती है. इसे दुनिया के शीर्ष जलसेतुओं में गिना जाता है और यह कई अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम का भी हिस्सा है.
विदेश तक होती थी चर्चा
19वीं शताब्दी में नदरई पुल विश्व भर के अखबारों की सुर्खियों में रहा था. 16 जनवरी 1892 को अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया के ‘पेसिफिक रूरल प्रेस’ अखबार के मुख्य पृष्ठ पर इस जलसेतु की खबर छपी थी.
Tags: Kasganj news, Local18, UP news
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