नकल रोकने के लिए सुधार
मंत्री बंगारप्पा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ाने के लिए कई सुधार किए गए हैं. इसमें परीक्षाओं की लाइव स्ट्रीमिंग और वेबकास्टिंग जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं, जिससे नकल की घटनाओं पर लगाम लगी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि छात्र अब परीक्षाओं की प्रक्रिया से अच्छी तरह परिचित हैं और उन्हें ग्रेस मार्क्स की जरूरत नहीं है.
मुख्यमंत्री की असहमति
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पहले भी ग्रेस मार्क्स दिए जाने के औचित्य पर सवाल उठाया था. उन्होंने इस प्रथा को समाप्त करने का निर्देश दिया था. समीक्षा बैठकों में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रथा छात्रों की वास्तविक क्षमता के आकलन में रुकावट बन रही है.
पिछले साल के रिजल्टों पर प्रभाव
वर्ष 2024 की मार्च/अप्रैल में होने वाली SSLC परीक्षाओं के दौरान, कर्नाटक स्कूल परीक्षा और मूल्यांकन बोर्ड (KSEAB) ने रिजल्टों को सुधारने के लिए 20 प्रतिशत तक ग्रेस मार्क्स दिए थे. इस कदम से लगभग 1.70 लाख छात्रों को पास किया गया और कुल पास प्रतिशत में 20% की बढ़ोतरी देखी गई थी. हालांकि, इस साल से यह ग्रेस सिस्टम पूरी तरह समाप्त की जा रही है.
ये भी पढ़ें…
AIIMS में बिना लिखित परीक्षा नौकरी पाने का मौका, निकली है बंपर वैकेंसी, 67000 पाएं मंथली सैलरी
Tags: Board exam news, Board exams
- व्हाट्स एप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- टेलीग्राम के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमें फ़ेसबुक पर फॉलो करें।
- हमें ट्विटर पर फॉलो करें।
Follow Us on Social Media
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||