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नई दिल्ली. बीजेपी की उम्मीदवार शगुन परिहार ने जम्मू-कश्मीर की किश्तवाड़ सीट पर जीत दर्ज की. चुनाव आयोग के मुताबिक परिहार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद अहमद किचलू को हराकर किश्तवाड़ विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. शगुन परिहार को अपना उम्मीदवार बनाने का बीजेपी का फैसला जिले की धार्मिक आबादी का समर्थन हासिल करने के लिए एक रणनीतिक कदम था. शगुन परिहार की उम्मीदवारी का चयन संभावित रूप से बड़ी मुस्लिम आबादी और छोटे हिंदू समुदाय दोनों को जोड़ सकता था. बीजेपी को उम्मीद थी कि वह उस इलाके में पैठ बना सकेंगी जो पहले में आतंकवादी वारदातों से प्रभावित रहा है.

शगुन परिहार का चयन दोनों धार्मिक समूहों के बीच की खाई को पाटने और विपरीत हालातों में एकता की भावना को बढ़ावा देने की कोशिश के रूप में देखा गया. बीजेपी ने जिले की जनता की प्रभावी ढंग से सेवा करने और अधिक सामंजस्यपूर्ण भविष्य की दिशा में काम करने के लिए सभी मतदाताओं की चिंताओं को देख करके उनके महत्व को पहचाना. चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. शगुन परिहार ने अपने पहले चुनावी अभियान में व्यवसायों को लूटने और हिंसा करने के आरोपी लोगों को सजा और आम लोगों के लिए “शांति, सुरक्षा और समृद्धि लाने” के लिए प्रतिबद्धता को चुनावी मुद्दा बना करके मतदाताओं का भरोसा जीतने की कोशिश की.

कौन हैं शगुन परिहार?
इलेक्ट्रिक पॉवर सिस्टम में एमटेक की डिग्री रखने वाली शगुन परिवार मौजूदा समय में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही हैं और जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. जम्मू- कश्मीर में पंचायत चुनाव से ठीक पहले 1 नवंबर, 2018 को परिहार के पिता अजीत परिहार और उनके चाचा अनिल परिहार की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. वे दोनों भाजपा में वरिष्ठ नेता थे. चुनाव प्रचार के दौरान शगुन ने जोर देकर कहा था कि उनके लिए वोट उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के कारण नुकसान उठाने वाले हर परिवार के लिए होंगे.

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किश्तवाड़ नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ था
भाजपा के भीतर एक उदारवादी आवाज माने जाने वाले उनके चाचा अनिल ने मुस्लिम समुदाय से कुछ समर्थन हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी. वह उग्रवाद के चरम के दौरान किश्तवाड़ की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल रहे. खासकर 1990 के दशक में भाजपा के डोडा बचाओ आंदोलन के दौरान जम्मू में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी. ऐतिहासिक रूप से, किश्तवाड़ नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ रहा है. लेकिन 2014 में राजनीतिक नजारा बदल गया, जब भाजपा ने पहली बार सीट पर कब्जा किया, जिसमें उसके उम्मीदवार सुनील शर्मा विजयी हुए.

Tags: Jammu Kashmir Election, Jammu kashmir election 2024

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