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अतुल भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अनुज कुमार

Updated Mon, 07 Oct 2024 07:59 AM IST

सिलिकॉसिस की वजह बन रहे उद्योगों की पहचान सीपीसीबी करेगा। एनजीटी का आदेश हैं। दिल्ली सहित राजस्थान, एमपी, झारखंड में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।


मजदूर (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : freepik

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मार्बल और अन्य पत्थरों की कटाई व पॉलिश से जुड़ी इंडस्ट्री में काम करने वाले कामगारों में मिलने वाली सिलिकॉसिस बीमारी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक नीति तय करने की जरूरत बताई है। एनजीटी ने इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य सरकारों से ऐसे सभी उद्योग और फैक्टरी को भी चिह्नित करने के लिए कहा है, जहां सिलिकॉसिस होने की आशंका है। पूरे देश में इस तरह के उद्योगों को चिह्नित किया जाएगा।

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एनजीटी में पीपुल्स राइट्स एंड सोशल रिसर्च सेंटर (प्रसार) व अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है, अलग-अलग उद्योगों में काम करने वाले लोगों में सिलिकॉसिस की बीमारी हो रही है। फेफड़ों में लंबे समय तक सांस के साथ सिलिका डस्ट के पहुंचने से यह बीमारी होती है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं है। पूरे देश में इसकी निगरानी, इलाज और जांच की उचित सुविधा नहीं होने से यह बीमारी तेजी से फैल रही है। इससे सांस से जुड़ी कई दूसरी बीमारियां भी होने लगती हैं और फेफड़ों के ऊतकों तक को नुकसान पहुंचता है।

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