एम्स ने आईआईटी के साथ मिलकर वर्चुअल रियलिटी थेरेपी विकसित की है।
– फोटो : अमर उजाला
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गर्भावस्था या जन्म के बाद मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाले विकार से खोए अंगों की जान फिर से लौटने की उम्मीद बंधी है। एम्स ने आईआईटी के साथ मिलकर वर्चुअल रियलिटी थेरेपी विकसित की है। इस थेरेपी के ट्रायल के दौरान मरीज के ऊपरी अंगों में सुधार दिखा है। उम्मीद है कि भविष्य में अंग में और सुधार हो सकेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि दो साल तक की उम्र में बच्चे के मस्तिष्क का विकास होता है। इस दौरान यदि बच्चा सामान्य व्यवहार नहीं करता। समय पर बैठने, खड़ा होने, बोल या सुन पाने में दिक्कत होती है तो बच्चे में सेरेब्रल पाल्सी विकार होने की आशंका हो सकती है। यह एक प्रकार की दिव्यांगता है। इसमें प्रभावित अंग पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाता।
एम्स के बाल तंत्रिका विज्ञान प्रभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ शेफाली गुलाटी ने बताया कि इस थेरेपी के ट्रायल के दौरान पांच से 18 साल के बच्चों का ग्रुप बनाया गया। इस दौरान जिन बच्चों के बाएं हाथ में गतिविधियां कम थीं। उसी हाथ से बच्चे को कुछ खेल खिलवाए गए। इस दौरान वेब कैमरे की मदद से बच्चे पर नजर रखी गई। कैमरे मोशन सेंसर से जुड़े थे।
आठ सप्ताह तक हर दिन दो घंटे यह थेरेपी देने के बाद बच्चे के ऊपरी अंग में सुधार दिखा। 12 सप्ताह बाद सुधार का स्तर बढ़ा। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस थेरेपी की मदद से भविष्य में विकार से पीड़ितों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि बच्चे के बढ़ने के साथ इस रोग को पकड़ पाना आसान है। यदि जल्द रोग को पकड़ कर इसका इलाज करवाते हैं तो सुधार की उम्मीद है। इससे भविष्य में होने वाली जटिलताएं कम हो सकती हैं।
सेरेब्रल पाल्सी होने के कारण
- बच्चे के मस्तिष्क के विकास के दौरान चोट लगना
- मस्तिष्क में विकृति होना
- ऑक्सीजन की कमी, बच्चे में संक्रमण
- गर्भावस्था के दौरान मां को संक्रमण
- मां के गर्भ में बच्चे का असामान्य आनुवांशिक विकास
- नवजात शिशु का पीलिया या अन्य संक्रमण
- डिलीवरी के दौरान मस्तिष्क में कोई डेमेज होना
यह बच्चे रहते हैं हाई रिस्क में
प्रीमेच्योर बच्चे, जन्म के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत हो, मां में पहले से कोई संक्रमण रहा हो
एक हजार में से तीन बच्चे हो सकते हैं पीड़ित
आंकड़े बताते हैं कि एक हजार में से तीन बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) विकार होने की आशंका रहती है। इसमें मस्तिष्क और शरीर की मांसपेशियों के बीच तालमेल नहीं रहता। यह मस्तिष्क के उन हिस्सों में असामान्य विकास या क्षति के कारण होता है, जो न्यूरो मोटर की फंक्शन को नियंत्रित करता है। इस विकार के स्पास्टिक, डिस्किनेटिक, अटैक्सिक, हाइपोटोनिक सहित कई प्रकार हो सकते हैं। इस विकार के होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
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