कादरी साहब की पत्नी तजुम्मली बेगम का निधन हो चुका था, जिसके बाद कादरी साहब ने उनकी याद में इस मिनी ताजमहल का निर्माण शुरू किया. कादरी हमेशा अपनी पत्नी की यादों में डूबे रहते थे, और उनके प्रेम की यह निशानी उसी भावना का प्रतीक है. उन्होंने 2012 में अपने घर के पास स्थित एक खेत में इस इमारत का निर्माण शुरू किया. इमारत की डिजाइन आगरा के ताजमहल से प्रेरित है और इसमें बेगम तजुम्मली का मकबरा भी बनाया गया है.
मिनी ताजमहल के निर्माण में लगा दी पूरी जिंदगी की कमाई
कादरी साहब ने अपने जीवनभर की कमाई इस महल के निर्माण में लगा दी थी. दो वर्षों तक उन्होंने इस इमारत पर काम किया, लेकिन 2014 में उनकी 23 लाख रुपये की बचत खत्म हो गई. हालांकि इमारत लगभग तैयार हो चुकी थी, लेकिन संगमरमर पत्थर का काम अभी बाकी था, जिसके लिए करीब 10 लाख रुपये की जरूरत थी. कादरी साहब अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने पेंशन से पैसे जोड़ते रहे और मृत्यु से पहले तक उन्होंने 74,000 रुपये जुटा भी लिए थे. उनका सपना था कि इस महल को पूरा करके वे अपनी पत्नी की याद को हमेशा के लिए संजोएंगे, लेकिन इससे पहले ही उनका निधन हो गया और यह इमारत अधूरी रह गई.
पर्यटकों के लिए आकर्षण
आज यह मिनी ताजमहल अधूरा होने के बावजूद प्रेम की अनोखी निशानी के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है. दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं और यहां फोटोग्राफी भी करते हैं. खासकर वीकेंड पर यह स्थल लोगों के आकर्षण का केंद्र बनता है. यह मिनी ताजमहल कादरी साहब के अमर प्रेम और समर्पण की कहानी बयां करता है, जो ताजमहल की तरह ही प्रेम की एक अनमोल निशानी बन चुका है.
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