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33 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा त्यागी

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30 अप्रैल 2024। पेन्सिलवेनिया, USA की Lehigh University में पढ़ने वाले 19 साल के भारतीय स्‍टूडेंट आर्यन आनंद को US पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। आर्यन यहां फुल स्कॉलरशिप पर पढ़ाई कर रहा था। यानी न सिर्फ कॉलेज की फीस माफ थी बल्कि हॉस्टल फीस, मेस फीस भी यूनिवर्सिटी की तरफ से भरी जा रही थी। इसके अलावा यूनिवर्सिटी हर साल आर्यन को इंडिया एक ट्रिप का वादा भी कर चुकी थी।

तो ऐसा क्या हुआ कि USA की इस टॉप यूनिवर्सिटी को अपने इतने खास स्टूडेंट को खुद ही अरेस्ट करवाना पड़ा? आखिर आर्यन ने ऐसा क्या किया था?

23 फरवरी 2024….. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Reditt के 50,000 मेंबर के एक ग्रुप ‘Btechटार्ड्स’ में एक पोस्ट किया गया। इस लंबे-चौड़े पोस्ट में बताया गया कि ग्रेस मार्क्स के सहारे बोर्ड एग्जाम में पास होने वाला लड़का किस तरह धोखाधड़ी और फ्रॉड करके टॉप अमेरिकन यूनिवर्सिटी में फुल स्कॉलरशिप पर एडमिशन पाने में सफल हुआ। ये कहानी एक अनजान अकाउंट से पोस्ट की गई थी। इसका दावा था कि वो अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा है। ये अनजान लेखक यहां खुलकर अपने फ्रॉड के बारे में बता रहा था। जैसे कि उलाहना देकर कह रहा हो, ‘सब बता रहा हूं यहां, जिसको जो करना हो कर लो…पकड़ सकते हो तो पकड़कर दिखाओ…।’

जीनियस स्टूडेंट्स के बीच पहुंचा फ्रॉड पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल दिलचस्पी न रखने वाला ये लड़का अमेरिकी यूनिवर्सिटी में एडमिशन चाहता था। हाई स्कूल से बोर्ड एग्जाम तक की मार्कशीट एडिट करके उसने ये हासिल किया और दुनियाभर के जीनियस स्टूडेंट्स के बीच एक फ्रॉड पहुंच गया। अमेरिकी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलने की बात जब लड़के ने घर पर बताई तो उसके पिता के मुंह से निकला, ‘तुझे तो प्लस-माइनस भी नहीं आता, ये कैसे हो गया?’

भारतीय समय के अनुसार रात के करीब 3 बजे।

Reditt पर ये पोस्ट किया गया जिसका टाइटल था- ‘मैंने झूठ-फरेब और फ्रॉड के दम पर अपना करियर बना लिया…।’

स्कूल की फर्जी वेबसाइट, ईमेल आईडी बनाई

जब 19 साल के नोएडा में पढ़ने वाले एक Btech स्टूडेंट मनोज (बदला हुआ नाम) ने ये पोस्ट पढ़ा तो उसे इसमें सच्‍चाई नजर आई। फरीदाबाद के प्राइवेट कॉलेज में पढ़ने वाले मनोज के दिमाग में पहला ख्याल यही आया कि अमेरिका के एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए उसने दिन-रात एक कर दिए हैं। दूसरी ओर कोई बिना किसी मेहनत के वहां तक कैसे पहुंच गया? ये न सिर्फ उसके साथ बल्कि मेहनत करने वाले हर स्टूडेंट के साथ गलत था।

मनोज एक पढ़ने-लिखने वाला साधारण सा लड़का था जिसे डिटेक्टिव बनने या लाइफ में थ्रिल और एक्साइटमेंट लाने की कोई लालसा नहीं थी। लेकिन इस पोस्ट को पढ़ने के बाद उसने ठान लिया कि इसकी जड़ तक जाना है और पता लगाना है कि क्या वाकई कोई इतना बड़ा फ्रॉड कर सकता है?

पोस्ट में आगे लिखा था, ‘मैंने ये पहले किसी को नहीं बताया है कि मैं यहां तक कैसे पहुंचा क्योंकि कहीं न कहीं ये डर था कि मैं पकड़ा जाऊंगा। मैंने 9वीं से 11वीं तक अपनी सभी मार्कशीट्स को एडिट कर उन्हें विदेश में एडमिशन के लिए परफेक्ट बनाया। मार्कशीट्स ऑथेंटिक लगे इसके लिए स्कूल के नाम का फेक स्टैम्प और फेक सील भी खरीद ली।’ US यूनिवर्सिटी की एप्लिकेशन में इस स्टूडेंट ने लिखा कि वो चंडीगढ़ में रहता है। जबकि वो राजस्थान के कोटा के रूबी स्कूल का स्टूडेंट था।

उसने अपने स्कूल के नाम पर एक वेबसाइट डोमेन खरीदा। स्कूल के नाम से एक ईमेल आईडी भी बनाई ताकि जब US की यूनिवर्सिटी स्टूडेंट को वेरिफाई करने के लिए स्कूल को मेल लिखे या उसकी वेबसाइट पर जाए तो वो खुद ही उनका जवाब दे सके। इसी ईमेल आईडी से उसने स्कूल और यूनिवर्सिटीज के बीच फॉर्मल कम्युनिकेशन मैनेज किया।

फेक मार्कशीट्स के अलावा उसने कॉलेज एडमिशन के लिए AI की मदद से निबंध लिखे। इंटरनेट से पहले कंटेंट कॉपी किया, फिर किसी दूसरे टॉपिक के निबंध का राइटिंग स्टाइल कॉपी किया और फिर AI की मदद से बेहतरीन निबंध लिख डाला।

इस तरह उसने कई Ivy League यूनिवर्सिटीज में अप्लाई किया। बहुत लंबे समय तक इन यूनिवर्सिटीज से कोई जवाब नहीं आया तो उसने सोचा शायद उन्हें उसके किए फ्रॉड का पता चल गया होगा। लेकिन एक दिन अचानक एक यूनिवर्सिटी ने उसे मेल भेजा।

उसने अपने पोस्‍ट में लिखा, ‘मुझे नहीं पता उस कॉलेज को मेरी एप्लिकेशन में क्या पसंद आया। मैं नाम तो नहीं लिखूंगा लेकिन वो US के टॉप 25 कॉलेज में से एक है। न सिर्फ उन्होंने मुझे एडमिशन ऑफर किया बल्कि ऐसे पैकेज भी ऑफर किया जिसमें वहां का पूरा खर्चा कवर हो रहा था। अब मुझे बस वहां मेरे खाने का खर्चा उठाना था जोकि करीब 5,000 डॉलर सालाना पड़ता यानी 4-5 लाख रुपए।’

अब उसे लगने लगा कि किस्मत उसके साथ है। तो सोचा कैसा हो जाए कि अगर पूरी स्कॉलरशिप मिल जाए। उसने लिखा, ‘मुझे आजादी चाहिए थी जोकि सिर्फ तभी मिल सकती थी जब पेरेंट्स से बिना पैसे लिए मैं किसी फॉरेन कॉलेज में पढ़ने के लिए चला जाऊं। तो इसके लिए मैंने एक और फ्रॉड प्लान किया।’

पिता का फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवा फुल स्कॉलरशिप मिली

इसके बाद उसने यूनिवर्सिटी को लिखा कि उसके पिता की कैंसर से मृत्‍यु हो गई है और इस वजह से वो US में रहने और पढ़ने का खर्चा नहीं उठा सकता। उसने पिता का फर्जी डेथ सर्टिफिकेट भी बना कर जमा करा दिया। यूनिवर्सिटी ने इस बात को गंभीरता से लिया और तुरंत उसका पूरा खर्चा उठाने का जिम्मा ले लिया। इसमें उसकी ट्यूशन फीस, रहने-खाने का खर्चा और साल में एक बार भारत आने-जाने का पूरा खर्चा शामिल था।

ये सब होने के बाद अब मौका था 12वीं के रिजल्‍ट का। इसके बाद ही उसे US जाना था।

उसने पोस्ट में बताया, ‘मुझे डर था कि कहीं मैं 12वीं में फेल न हो जाऊं। अगर फेल हो गया तो एडमिशन कैंसिल हो जाएगा। फाइनली रिजल्ट आया, मुझे 58% मार्क्स हासिल हुए थे। इसके बाद सबसे पहले मैंने इसे एडिट करके 91% किया। फिर पेरेंट्स को दिखाया तो सब बहुत खुश हुए। इसके बाद डिजिलॉकर से मिली मार्कशीट को भी एडिट किया और उसमें भी 91% मार्क्स कर लिए और वही मार्कशीट स्कूल के फेक ऑफिशियल ईमेल आईडी से कॉलेज को भेज दी। उन्होंने तुरंत ये मार्कशीट एक्सेप्ट कर ली और मेरा एडमिशन पक्का हो गया।’

अपने फिजिक्स एग्जाम के बारे में बात करते हुए उसने कहा, ‘फिजिक्स के एग्जाम में एक सवाल आया था कि X- रेज कैसे बनती हैं? तो इसके जवाब में मैंने लिखा कि X-रे X-रे मशीन से बनती हैं। मैथ्स में मैंने सिर्फ क्वेश्चन्स को ही आंसर शीट में कॉपी करके लिख दिया।’

इसके बाद उसे वीजा इंटरव्यू देने जाना था। इसके लिए वो थोड़ा नर्वस था क्योंकि उसे पता था कि डॉक्यूमेंट्स तो नकली बनाए जा सकते हैं। लेकिन इंटरव्यू में खुद को कैसे बचाएगा। लेकिन जैसे ही इंटरव्यूअर को पता चला कि विदेश की बड़ी यूनिवर्सिटी के लिए उसका चयन फुल स्कॉलरशिप पर हुआ है तो उसने आगे कुछ नहीं पूछा और वीजा अप्रूव हो गया।

अगस्त 2023…..

इस तरह वो USA पहुंचा जिसका पूरा खर्चा उसकी यूनिवर्सिटी उठा रही थी। उसने लिखा, ‘मैं वहां के कुछ स्टूडेंट्स से मिला जिन्हें स्कॉलरशिप मिली थी। सब के सब जीनियस थे। किसी ने कोई बेहतरीन रीसर्च की थी, तो कोई इंटरनेशनल ओलिंपियाड का विजेता था और इन सब के बीच मैं एक फ्रॉड था। मगर वहां दूसरी समस्याएं भी थी। स्कॉलरशिप बचाए रखने के लिए सेमेस्टर एग्जाम्स में मुझे अच्छे मार्क्स लाने ही थे। यहां मार्कशीट एडिट करके काम नहीं चलाया जा सकता था। इसके बाद मैंने एग्जाम में चीटिंग का प्लान बनाया।’

‘एग्जाम के दिन मैं हॉल से बाहर निकलने के रास्ते के पास बैठा। जैसे ही इंविजिलेटर पेपर बांटकर दूसरी ओर मुड़ा मैंने पेपर कोट में छिपाया और मैं क्लास से बाहर भाग गया। फिर इंटरनेट की मदद से पूरा पेपर सॉल्व किया। इसके बाद जब पेपर सब्मिट करने आया तो इंविजिलेटर स्टूडेंट्स से घिरा था क्योंकि सभी स्टूडेंट्स अपना-अपना पेपर सब्मिट करने के लिए खड़े थे। इसी भीड़ का फायदा उठाकर मैंने भी अपना पेपर सब्मिट कर दिया। सभी एग्जाम्स में मैंने यही किया और अच्छे मार्क्स ले आया।’

फर्जी CV बनाकर इंटर्नशिप जॉइन की कुछ समय बाद उसे थोड़ी बोरियत होने लगी। उसे लगा कि थोड़ी कमाई की जाए। तो उसने फेक CV बनाया और न्यूयॉर्क की एक कंपनी में वर्क फ्रॉम होम नौकरी भी जॉइन कर ली जिसमें उसे 1500 डॉलर सैलरी मिलने लगी।

पोस्ट के अंत में उसने लिखा, ‘मेरा ऐसा किसी चीज में दिमाग लगाने का मन नहीं करता जिसमें फ्रॉड नहीं होता।’

उधर फरीदाबाद में बैठे मनोज ने जब ये पोस्ट पढ़ा तो उसने ठान लिया कि इस फ्रॉड को यूं ही जाने नहीं दिया जा सकता। मनोज ने देखा के ये Reditt पोस्‍ट एक अज्ञात अकाउंट से किया गया था। तो उसने अकाउंट को अच्छे से स्कैन किया।

इसी स्कैन के दौरान उसे एक फोटो मिली जिसके बैकग्राउंड में किसी यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग दिख रही थी। रिवर्स गूगल इमेज सर्च पर उस फोटो को डालने पर पेन्सिलवेनिया की Lehigh University का नाम सबसे पहले आया। मनोज का तीर निशाने पर लग गया था। इसके अलावा पोस्ट लिखने वाला Reditt पर भी इसी यूनिवर्सिटी को फॉलो करता था।

मनोज ने पोस्ट किए जाने के 12 घंटे के अंदर Lehigh University को मेल कर इस पूरे एडमिशन फ्रॉड के बारे में जानकारी दी।

मनोज ने मेल में लिखा, ‘मैं आपके संज्ञान में एक Reditt पोस्ट में लिखे गए एडमिशन फ्रॉड को लाना चाहता हूं जो काफी चिंताजनक है। ये फ्रॉड एक भारतीय स्टूडेंट ने किया है और मैं इससे जुड़ी जानकारी आप तक पहुंचाना अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझता हूं।’

मनोज ने अपने मेल में इस फ्रॉड स्टूडेंट के बारे में कुछ क्लूज भी दिए…..

  • भारतीय स्टूडेंट है।
  • पिता की कैंसर से मृत्‍यु के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर उसे फुल स्कॉलरशिप मिली है।
  • 12वीं में 91% स्कोर की मार्कशीट है जो कि फर्जी है।
  • गैरकानूनी रूप से पार्ट-टाइम नौकरी जिससे 1500 डॉलर की कमाई कर रहा है।

करीब एक महीने बाद यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने मनोज से संपर्क किया। कुछ समय बाद यूनिवर्सिटी ने मनोज को कन्फर्मेशन भी दिया कि फ्रॉड स्टूडेंट पकड़ा जा चुका है। उसे कॉलेज से निकालकर अरेस्ट किया गया है। अब मनोज को ये भी पता चल चुका था कि ये लड़का 19 साल का आर्यन आनंद है। आर्यन को जून में भारत डिपोर्ट कर दिया गया।

आर्यन एक आर्मी अफसर का बेटा है जिसने कोटा के रूबी स्कूल से बोर्ड एग्जाम्स दिए थे। इसके पहले वो कानपुर और हैदराबाद के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ चुका था। उसका परिवार चंडीगढ़ का रहने वाला था।

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