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56 मिनट पहले

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अब उत्तर प्रदेश सरकार मुज्जफरनगर के दलित स्टूडेंट अतुल कुमार का IIT धनबाद में पढ़ने का पूरा खर्च उठाएगी। इसके लिए अतुल को सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की तरफ से स्कॉलरशिप दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को IIT धनबाद को अतुल कुमार को एडमिशन देने का आदेश दिया था। दरअसल, अतुल तय समय पर इंस्टीट्यूट की 17,500 रुपए की एडमिशन फीस नहीं जुटा पाए थे। इस वजह से उनका एडमिशन कैंसिल हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- समय पर फीस न देने की वजह से कैंसिल नहीं होना चाहिए एडमिशन इसके बाद अतुल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने अतुल के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि अतुल ने JEE एडवांस्ड का एग्जाम क्वालिफाई किया है और मेरिट के बेसिस पर एडमिशन हासिल किया है। समय पर फीस न दे पाने की वजह से ऐसे स्टूडेंट का एडमिशन कैंसिल नहीं होना चाहिए जो सही मायने में उसका हकदार हो।

सुप्रीम कोर्ट के कहने सुपरन्यूमरेरी सीट बनाई गई अतुल कुमार एक दलित स्टूडेंट है जो उत्तर-प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में खतौली का रहने वाला है। उनके पिता गांव में टेलर का काम करते हैं और दिनभर में करीब 450 रुपए की कमाई कर पाते हैं।

अतुल ने इस बार JEE एडवांस का एग्जाम दिया जिसमें उनकी कैटेगरी रैंक 1455 थी। रैंक के अनुसार उन्हें IIT धनबाद में एडमिशन मिलना था लेकिन समय पर 17, 500 रुपए की फीस जमा नहीं कर पाए।

अतुल के पिता राजेंद्र कुमार ने बताया, ‘गांव के ही एक व्यक्ति ने रुपए देने की बात कही थी, लेकिन वक्त पर रुपए नहीं दिए। फीस का इंतजाम करने में शाम 4:45 बज गए। जब तक वेबसाइट पर डेटा अपलोड करते, समय समाप्त हो गया।

इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने फैसला किया कि अतुल के लिए एक IIT धनबाद में एक सुपरन्यूमरेरी सीट बनाई जाए जिससे अभी जो स्टूडेंट्स वहां पढ़ रहे हैं उनपर इसका कोई असर न हो। कोर्ट ने कहा, ‘प्रतिभाशाली छात्रों को निराश नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे टैलेंट को जाने नहीं दे सकते।’ CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कोर्ट में मौजूद छात्र से कहा, ऑल द बेस्ट, अच्छा करिए।

कोर्ट ने फैसले में छात्र को हॉस्टल सहित सभी सुविधाएं देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जो छात्र IIT धनबाद में एडमिशन ले चुके हैं, उनपर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि छात्र को अतिरिक्त सीट पर एडमिशन दिया जाएगा।

SC के विशेष प्रावधान के तहत अतुल को एडमिशन दिया सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘सिर्फ फीस जमा नहीं करने की वजह से अतुल का एडमिशन रोक दिया गया। पिटीशनर अतुल कुमार एक मार्जिनलाइज्ड ग्रुप से आते हैं और उन्होंने एडमिशन पाने की हर संभव कोशिश की तो उन्हें ऐसे नहीं छोड़ा जा सकता।

आर्टिकल 142 कोर्ट को ऐसे मामलों को सुलझाने की पावर देता है। कोर्ट ये फैसला सुनाता है कि स्टूडेंट को IIT धनबाद में एडमिशन दिया जाए। उसे उसी बैच में एडमिशन दिया जाए जिसमें अगर वो समय पर फीस जमा करता, तब एडमिशन मिलता।’

पहले भी कई बार इस्तेमाल हो चुका है आर्टिकल 142

मार्च 2024 जस्टिस CT रविकुमार की बेंच ने एक रेप केस को आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए खारिज कर दिया था। इसमें आरोपी का उसकी 10 साल बड़ी मकान मालकिन के साथ अफेयर था। 2019 में दोनों ने मंदिर में शादी की और साथ रहने लगे।

मगर आरोपी ने महिला से कोर्ट मैरिज करने के लिए मना कर दिया। इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ रेप के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि इस मामले में महिला नादान नहीं थी। वो लड़के से 10 साल बड़ी थी और एक समझदार महिला थी।

अक्टूबर 2023 वरूण गोपाल नाम के एक आदमी से एलिमनी अमाउंट न मिलने के बाद उसकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए फैसला सुनाया कि वरूण गोपाल की एन्सेस्ट्रल प्रॉपर्टी यानी उसकी 6 दुकानों को बेचकर पत्नी की एलिमनी का पैसा चुकाया जाए।

मई 2023 एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक शादीशुदा कपल की सहमति से उनके बीच के दूसरे सभी मामले सुलझा कर उन्हें तलाक दिया था। दरअसल, पति-पत्नी ने एक दूसरे के खिलाफ तलाक, मेंटेनेंस, दहेज उत्पीड़न जैसे कई केस किए हुए थे। हालांकि दोनों समझौता करने को भी तैयार थे लेकिन दोनों ही पार्टी किसी फैसले पर नहीं पहुंच पाए जिस वजह से तलाक का मामला अटका हुआ था।

भोपाल गैस ट्रेजेडी का मामला सुप्रीम कोर्ट ने साल 1991 में यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन को आदेश दिया था कि वो भोपाल गैस ट्रेजेडी के विक्टिम्स को 470 मिलियन US डॉलर कम्पनसेशन दे।

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