प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : एएनआई
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली में वायु प्रदूषण होने का मुख्य कारण बताया है। बोर्ड ने अधिकरण को सूचित किया है कि बायोमास और जीवाश्म ईंधनों का अधूरा दहन (जिसमें यातायात में उपयोग ईंधन भी शामिल है,) राजधानी में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है।
एनजीटी ने इससे पहले बोर्ड से जवाब मांगा था। इसमें दिल्ली में विभिन्न ईंधनों के अधूरे दहन, बायोमास जलने, वाहनों से होने वाले प्रदूषण (विशेषकर पुराने और खराब रखरखाव वाले वाहनों) और कोयले के उपयोग से होने वाला वायु प्रदूषण शामिल था। सीपीसीबी ने 18 सितंबर की अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसने एक अध्ययन किया है, इसमें बायोमास और जीवाश्म ईंधन के अधूरे दहन (जिसमें यातायात में उपयोग ईंधन भी शामिल है) को कणीय पदार्थों की ऑक्सीडेटिव क्षमता (ओपी) के लिए प्रमुख योगदानकर्ता बताया गया है। ओपी वायुजनित कणीय पदार्थ (पीएम) के संपर्क में आने से होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों को दर्शाता है, जो ठोस पदार्थों, रसायनों, तरल पदार्थों और एरोसोल का मिश्रण है।
अध्ययन के मुताबिक अमोनियम क्लोराइड, यातायात के धुएं से निकलने वाले कार्बनिक एरोसोल, आवासीय हीटिंग व जीवाश्म ईंधन से असंतृप्त वाष्पों (किसी खास तापमान पर हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा, जो उसकी अधिकतम सीमा तक न पहुंचे) का ऑक्सीकरण दिल्ली के अंदर पीएम 2.5 के प्रमुख स्रोत हैं।
सीएक्यूएम ने जारी किए थे निर्देश
रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कुछ निर्देश जारी किए थे। इसमें दिल्ली के 300 किमी के भीतर स्थित ताप विद्युत संयंत्रों और एनसीआर में स्थित औद्योगिक इकाइयों के कैप्टिव पावर प्लांटों में कोयले के साथ 5-10 प्रतिशत बायोमास का सह-प्रज्वलन था। इसके अलावा एनसीआर में उद्योगों में ईंधन के रूप में बायोमास की अनुमति है। साथ ही, कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।सीएक्यूएम ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को पराली जलाने को खत्म करने और नियंत्रित करने के लिए संशोधित कार्य योजना को सख्ती व प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया है।
वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए किए गए प्रयास
सीपीसीबी ने अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए प्रयास किए गए हैं। इसमें अधिकारियों ने अपनी कार्रवाई में बीएस-VI अनुरूप इंजनों को शामिल किया है। इससे ईंधन दहन और इंजन दक्षता में सुधार करने में मदद मिली है। बोर्ड ने कहा कि इसमें एनसीआर के 3,256 पेट्रोल पंपों पर वाष्प रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) की स्थापना भी शामिल है। इससे परिवेशी वातावरण में वाष्पों के उत्सर्जन और द्वितीयक कार्बनिक एरोसोल के निर्माण में कमी आएगी। यही नहीं, रिपोर्ट में फसल अवशेष जैसे बायोमास को अधूरे रूप से जलाने के संबंध में भी कहा गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद के लिए सब्सिडी प्रदान करने व पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिए एक योजना कार्यान्वित की जा रही है।
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