क्यों की जाती है रावण के मुकुट की पूजा?
लोकल 18 ने रावण के मुकुट की पूजा के महत्व को लेकर प्रयागराज की कटरा श्री रामलीला कमेटी के सदस्यों से बातचीत की. इस दौरान कमेटी के मंत्री शिवदास गुप्ता ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे हम आगे बढ़ा रहे हैं. हर वर्ष रामलीला के आयोजन से पहले रावण के मुकुट की पूजा की जाती है. ब्राह्मणों को हम लोग अपने आराध्य मानते हैं, और रावण भी एक ब्राह्मण था, इसलिए हम उसकी पूजा करते हैं. यह हमारे पारिवारिक संबंधों का भी प्रतीक है.
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प्रयागराज के कटरा से रावण का संबंध
रावण का संबंध प्रयागराज के कटरा क्षेत्र से हैं. इस पर श्री रामलीला कमेटी के मंत्री शिवदास गुप्ता ने बताया कि रावण महर्षि भारद्वाज के नाती और विश्रवा मुनि के पुत्र थे. रावण का ननिहाल प्रयागराज के कटरा में था, जहां आज भी महर्षि भारद्वाज का आश्रम स्थित है. सनातन धर्म में लोग अपने संबंधियों से कभी बैर नहीं करते, यही कारण है कि कटरा रामलीला कमेटी हर वर्ष रावण के मुकुट की पूजा के बाद भव्य शोभायात्रा का आयोजन करती है.
बता दें कि पूरे भारत में रामलीला खास तरीके से होती है. हर कमेटी अलग नियमों का पालन करती है. लेकिन प्रयागराज की रामलीला इसलिए खास है, क्योंकि यहां जो होता है वो कहीं और नहीं होता है. वो है रावण के मुकुट की पूजा.
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